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Gaurav Gyan

Abstract

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Gaurav Gyan

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लफ्ज़ छलकता है

लफ्ज़ छलकता है

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आँखो से,छलकता है,लफ्ज़...

ख़ामोशी से,

मुस्कुराते जुबां पर रहता है ग़ज़ल ...

अदायगी की,

कुछ पल तुम्हारी होती, तो वो...

स़मा कही, हमारी जीवन की...,

जल रही होती।

जल रही स़मा थी...

महफ़िल सजी थी पर,... पर

झरोखे पर बैठकर हम, दुइक्ले

पुर्वइया से करने लगे... जुग़ल

और...

बंध कर स़मा ...

बांध पर छलकते पैमाने...

बंद बोतल मे, अरे.... हुजूर...

बंद बोतल मे भी...

छलकने लगी...

लफ्ज़ - ए- लफ्ज़ो की सिसकियों,

खामोशी से।


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