STORYMIRROR

Neha H Bhavnani

Inspirational

4  

Neha H Bhavnani

Inspirational

आजादी तालों से

आजादी तालों से

1 min
494

आशिक़ी और बंदगी,

दोनों को ही नापसंद है यह पाबंदी।


ना इश्क़ को बांध सके यह रिवाज़ और समाज

और ना ही बंदगी किसी धर्म की मोहताज।


न इश्क़ बंध पाया कभी क़िस्मत की लकीरों में,

न बंदगी कभी अंधविश्वास की ज़ंजीरो में।


जो इश्क़ तेरा रूहानी है और दिल में है सच्चाई,

तो न खुदा अलग है तुझसे न तेरे इश्क़ से खुदाई।


खुश होगा खुदा तेरा,

जब ताले सोच के खुलेंगे,

खुली सोच की आज़ादी मिलेगी अगर

तो सेहरा में भी गुल खिलेंगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational