आगाज़
आगाज़


जिंदगी एक पहेली है, तुम खुद को जरा सरल करो,
माना कि मंज़िल दूर है, पर तुम कोशिश तो भरपूर करो।
जिंदगी बाद में, पहले खुद को समझना शुरू करो,
हाथ छुड़ाने वालों से दूर, हाथ मिलाने वालों के संग चलो।
जो सितारों से सपने सजाये है, उनकी ओर बढ़ते चलो,
रास्तों में साथ ना मिले किसी का तो, ईश्वर का हाथ थाम चलो।
जो खो दिया उसका ग़म कैसा?
नाकामयाबी को पीछे छोड़, तुम एक नया आगाज करो।
समय की कीमत को अब पहचानो तुम, छोटी सी तो यह जिंदगी है,
तिनका-तिनका बुन कर अपना घोसला बनाओ तुम।
बढ़ते चलो कदंब छोटे है तो क्या?
वक़्त बदलेगा,
ज़माना भी बदलेगा,
तुम इरादे बड़े और हौसले तो बुलंद करो,
चलो कुछ नए तुम निर्माण करो।