आधुनिक नारी
आधुनिक नारी
संचालित कर दया करूणा, स्वार्थ पूर्ति का भाव नहीं
स्वयं को समर्पित तुझको कर दूँ,
इच्छाऐं मेरी खास नहीं ॥
डोली सजा तेरे दर पर आई, ज़ोर-जबरदस्ती की कोई बात नहीं
हाथ उठाने की गलती ना करना,
नहीं सहूँगी वार कोई ॥
तेरे इशारों पर इत-उत डोलूँ, तू कोई सरकार नहीं
क्रोध से तेरे मैं थर्र-थर्र काँपू,
डरने वाली मैं नार नहीं ॥
तुम जलाओं शमां की महफिल, हो के नशे में धुत्त कहीं
ढूँढ बहाने झूठ भी बोलो
इतना तुम पर ऐतबार नहीं ॥
भरोसा करूँ मैं खुद से ज्यादा, धोखा ना देना मुझको कभी
छोड़ने में तुझको देर करूँ ना
दिल्लगी मुझको पसंद नहीं ॥
पढ़ी-लिखी मैं शिक्षित नारी, अबला, अनपढ़, गँवार नहीं
प्रेम करों तो प्यार मिलेगा
नहीं सहुंगी अत्याचार कोई ॥
दफ्त र संग मैं घर संभालू, आराम का ना नाम कहीं
ऊपर से तेरे नखरे सहती
मुझमें शक्ति का अंबार नहीं ॥
कदम मिला मैं साथ चलूँ, मानू तेरी हर बात कही
हँसी-खु़शी तेरे संग, जिंदंगी बिता दूँ
प्रेम का मेरे कोई पार नहीं ॥
