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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Abstract

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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23 नंबर की पहेली

23 नंबर की पहेली

2 mins
203

प्रतिलिपि वाले भी कमाल करते हैं 

आधी रात को ही क्यों परेशान करते हैं 

टेढ़े मेढे टॉपिक से सबको छकाते रहते हैं 

लेखकों की कल्पनाशक्ति को बढ़ाते रहते हैं 


अब तक 99 का फेर सुना था 

कोई इससे पार नहीं पा सका था 

मगर आज प्रतिलिपि वालों ने सबको 

23 नंबर के फेर में ही उलझा रखा था 


सभी माथापच्ची कर रहे थे

कोई दो से तीन हो रहे थे 

तो कोई तीन दो पांच के बजाय 

दो और तीन पांच कर रहे थे।


23 नंबर की अबूझ पहेली में 

सब के सब "चित्त" हो रहे थे 

हम भी रात के बारह बजे जगकर 

23 नं की ताल पे ता ता थैया कर रहे थे।


किसी को जब कोई सिरा ना मिला 

कोई लकी या अनलकी नं ना मिला 

ना तो जूतों की साइज़ है इतनी होती 

और ना ही कोई बनियान की ऐसी होती। 


ना तो बीवी की 23 सहेलियां हैं 

ना 23 बच्चे करने की हिम्मत है 

शादी की उम्र भी 18 और 21 है 

फिर ये 23 नं की कैसी मुसीबत है।


फिल्मों में भी हीरो नंबर वन सुना था 

बीवी नंबर वन भी सामने आ गई थी 

आंटी नं 1 से लेकर कुली नं 1 भी देख ली 

जोड़ी नंबर वन भी 23 नं से घबरा गई थी।


विक्टोरिया नंबर 203 के 

राजा और राणा की तरह ही 

सब लोग 23 नं के पीछे पड़े थे 

इश्क, मोहब्बत, प्रेम को छोड़कर 

"अंकशास्त्र" जैसे नीरस विषय में 

सब के सब लेखक आकंठ गड़े थे।


जब कुछ समझ में हमारे नहीं आया 

तो हमने 23 नंबर को ऐसा किक लगाया 

कि वह सीधा "जहन्नुम" में जाकर रुका 

और फिर सब लेखकगणों को है चैन आया।




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