STORYMIRROR

Mahavir Uttranchali

Abstract

3  

Mahavir Uttranchali

Abstract

2 कुण्डलिया छंद

2 कुण्डलिया छंद

1 min
279

(1.) जिसमें सुर-लय-ताल है


जिसमें सुर-लय-ताल है, कुण्डलिया वह छंद

सबसे सहज-सरल यही, छह चरणों का बंद

छह चरणों का बंद, शुरू दोहे से होता

रोला का फिर रूप, चार चरणों को धोता

महावीर कविराय, गयेता अति है इसमें

हो अंतिम वह शब्द, शुरू करते हैं जिसमे


(2.) कुण्डलिया के छंद में


कुण्डलिया के छंद में, कहता हूँ मैं बात

अंत समय तक ही चले, यह प्यारी सौगात

यह प्यारी सौगात, छंद यह सबसे न्यारा

दोहा-रोला एक, मिलाकर बनता प्यारा

महावीर कविराय, लगे सुर पायलिया के

अंतरमन में तार, बजे जब कुण्डलिया के


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract