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टैगाने की आत्मविभोरता

टैगाने की आत्मविभोरता

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आजकल अंतरजाल में फेसबुक नामक सामयिक साइट पर डाला जाने वाला पोस्ट अपने दोस्तों और करीबियों से अनदेखा न रह जाय,  इसके लिए उससे उन दोस्तों और करीबियों के नाम टैग यानि संलग्नित करने का चलन बहुत जोरों पर है।

इसके आशीत, आशातीत और अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिलते रहे हैं। यह सुखदायी भी हो रहा है, और दुखदायी भी।

आपने इस रचना के शीर्षक में एक शब्द पढ़ा होगा, "टैगाना"। इसका अर्थ अगर नहीं समझ पाए तो अनर्थ भी हो सकता है। इसीलिये इसे समझना जरूरी है।

अगर किसी कन्या या महिला ने अपने पोस्ट से आपको टैग किया है, तो आप अपने को भाग्यशाली समझने लगते हैं। आप अपने को साधारण से असाधारण, या अगर विशिष्ट समझते हैं तो अतिविशिष्ट समझने का वहम पालने लगते हैं। वैसे भी आप इतनी कवितायें, कहानियां सोशल साइट पर डालते रहते है, कि लोग अजीज आकर लाइक वगैरह डाल देते हैं, तो आप अपने को विशिष्ट समझ लें, इसमें आपका दोष भी नहीं  है। जमाना ही ऐसा है। वैसे भी लेखक और वह भी हिंदी के लेखक नामक प्राणी को कोई घास तो डालता नहीं, पढ़ने की तो बात ही दीगर है। हिन्दी में पाठकों का अकाल पड़ गया है या आप का लिखा ही इतना घटिया है कि लोग पढ़ना तो दूर झांकना भी पसंद नहीं करते हैं। ऐसे में अगर कोई कन्या या महिला आपको अपने लेखकीय कर्तृत्व के साथ टैग कर देती है तो आपकी बांछें खिलनी ही चाहिए। अगर नहीं खिलती हैं, तो यह सोचने पर विवश होना पड़ेगा कि आप किस श्रेणी में आएंगे। बिना खुश हुए तो गदहा भी नहीं रहता होगा।

हम लोग "टैगाना" शब्द पर चर्चा कर रहे थे। टैगाना शब्द मूलतः टैग धातु से आया है। टैग धातु वह धातु है जो धातु नहीं होते हुए भी धातु है। यह आँग्ल भाषा में अंतरजाल के फेसबुक नामक सामाजिक कर्तृत्व किये जाने वाले स्थल पर अक्सर प्रयोग किया जाने लगा है। यह एक साथ सकर्मक और अकर्मक दोनों ही क्रिया रूपों में प्रयुक्त होता है। इसको अकर्मक क्रिया रूप में प्रयोग किया जाय तो उसे "टैगना" कहा जाएगा। टैगना यानि फेसबुकीय मित्र मंडलीय विस्तार में स्त्रीलिंगीय या पुलिंगीय या दोनों लिंगीय या अलिंगीय प्राणी को टैग यानि संलग्नित किये जाने से संबंध रखता है।

जैसे: माला ने श्रीमाली को फेसबुक पर डाले गए पोस्ट से टैग कर दिया।

इसी वाक्य पर अगर यह प्रश्न उठाया जाए, जो जमाने से उठाया जाता रहा है कि माला ने श्रीमाली को ही क्यों टैग किया?

या श्रीमाली ने माला से ही क्यों टैगाया? तो यह टैगना क्रिया का सकर्मक रूप कहा जाएगा।

इसका सकारात्मक पहलू यह हो सकता है कि माला ने श्रीमाली को ही टैगने के लिये पसंद किया?

क्या माला और श्रीमाली के बीच "कुछ-कुछ होने जैसा" अरसे से हो रहा है?

या श्रीमाली ही ऐसा था जिसने माला से "टैगाने" के लिए अपने को प्रस्तुत किया?

यह विश्लेषण यहां पर इसलिए बेमानी हो जाता है क्योंकि फेसबुक में श्रीमाली जैसे कई मित्रों और मित्राणियों का फेस उभर आता है, जिसमें से माला जैसियाँ किसी को भी टैग कर सकती हैं। वहाँ न खाप पंचायतों का डर है और न टैगाने से कोई भाग सकता है।

तो इससे यह स्पष्ट होता है कि टैगने और टैगाने के लिए यहाँ हर कोई स्वतंत्र है।  परंतु यहां पर एक भयंकर और दारुण लोचा उत्पन्न हो रहा है जिसकी चर्चा मैं उदाहरण के साथ करूँगा। आप जरा ध्यान दीजियेगा।

मैंने हाल ही में फेसबुक पर एक महिला का एलान देखा, "अगर किसी ने मुझे टैगने की कोशिश की, तो मैं उसे अमित्र या अन्फ़्रेंड का दूंगी।"

टैगमुक्ति के लिए वैसे उनका यह ऐलान काबिलेतारीफ है, लेकिन इसमें इसकी भी संभावना बन सकती है कि वे अगर खुद भी किसी को टैग करना चाहें तो प्रतिक्रिया स्वरूप उन्हें भी अमित्र किया जा सकता है। टैगमुक्ति का यह तरीका प्रभावी होते हुए भी विपरीत परिणाम उत्पन्न करने वाला हो सकता है। अतः टैग किये जाने पर  टैगाने का सुख प्राप्त करना इस कलियुग में परमसुख की तरह है। हाँ , इसके लिए अगर टैगने वाला या वाली आकर्षक व्यक्तित्व का हो और उनकी पोस्ट भी  आपकी रुचि का हो, तो टैगाने का सुख और आनंद कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए इस सुख का लाभ लेना चाहिए। हाँ, आपके अनुसार अगर आपको किसी आपत्तिजनक पोस्ट के साथ टैग किया गया हो, तो आप पोस्ट की गुणवत्ता के बारे में रिपोर्ट कर सकते है और उन जनाब का अकाउंट ही गोल करवा सकते है। यह एक वैधानिक चेतावनी भी है और वैसे पोस्ट से साइट के लिए स्वच्छता अभियान का आगाज़ भी कर सकते हैं।

आजकल फेसबुक पर अक्सर यह चेतावनी पोस्ट करते हुए लोग टैग करने वालों को विभिन्न उपाधियां जैसे "टैगासुर" या "टैगादैत्य" से नवाज़ने लगे हैं। आप अगर स्वच्छता अभियान में लग जायेंगे तो आप को इन उपाधियों से कभी नहीं अलंकृत किया जाएगा। इसकी पूरी गारंटी है। हाँ, भविष्य में आपको "टैगश्री", "टैगभूषण", "टैगविभूषण" या "टैगरत्न" आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया जा सकता है।

पहले आप अनगिनत लोगों को टैग कर सकते थे। परंतु अभी मार्क जुकरबर्ग को लगा होगा कि एक ही व्यक्ति या ब्याक्तिन इतने लोगों को एक साथ टैग कर दे, यह बिलकुल नाइंसाफी है, इसलिए उसकी अधिकतम संख्या की सीमा निर्धारित कर दी गयी है। इस सीमा में आप आ जाते हैं, यह फख्र की बात है। इसलिए टैगने  का यह परम पुनीत कार्य सभी मित्रों और मित्राणियों द्वारा जारी रहे यही मेरी हार्दिक इच्छा है।

टैग शब्द के हिंदी शब्द कोष में प्रवेश ने एक तहलका मचा दिया है। कुछ नयी शब्दावलियों पर ब्याख्यासाहित गौर फरमाएं:

टैगना और टैगाना क्रिया रूप है, इससे कुछ अन्य शब्द विस्तार इस तरह दिए जा सकते हैं:

टैगाहट: टैगने के अकुलाहट को टैगाहट कहा जाता है- उसने टैगाहट पूर्ण नज़रों से हमें देखा। विशेष अर्थ- उसकी नज़रें मुझे टैगने को व्याकुल थी।

टैगात्मक : टैग किये जाने लायक, इसके जैसे शब्द हैं, रचनात्मक। हम सबों को उनके टैगात्मक विचारों से लाभान्वित होना चाहिए।

टैगाभास: यानि दो टैग किये जाने वाले पोस्टों के बीच का विचारांतर। वाक्य - रमेश और रानी के पोस्टों में टैगाभास परिलक्षित होता है।

वैसे कई सामासिक शब्द भी बनाये जा सकते है या आगे जिनके बनाये जाने की संभावना है।

टैगाभ्यास: टैग करने के लिए आवश्यक प्रैक्टिस या पूर्वाभ्यास।

टैगाचार और टैगाचरण: टैग किये जाने के कृत्य को टैगाचार और आचरण को टैगाचरण कहा जायेगा। इस टैगाचार या टैगाचरण शब्द का प्रयोग सकारात्मक या नकारात्मक सन्दर्भ में किया जाए, यह  उस पोस्ट के गुणात्मक अर्थ पर निर्भर करेगा।

उदाहरणस्वरूप एक वाक्य देखें: उस कन्या या उस महिला ने अपने बॉस के टैगाचार अथवा टैगाचरण से तंग आकर इसकी शिकायत थाने में कर दी। अब   थानेदार को यह सोचना पड़ेगा कि शिकायत को किस धारा के अंतर्गत दर्ज किया जाय।

माएँ और पिताएँ अपने बच्चों की फेसबुकीय प्रतिभा का भविष्यालोकन करते हुए उनका  नाम भी इसप्रकार रख सकते है:

टैगेश, टैगेंद्र, टैगेश्वर, टैगाग्र, टैगागार, टैग शरण, टैगचरण, टैगनंदन, टैगुद्दीन, टैगलक, टैगार्डिन, टैगार्क,  टैगीन, टैगानंद, टैगलीन आदि।

अगर यह शब्द आज से 20-25 साल पहले चलन में आया होता तो फ़िल्मी संगीत में एक तहलका मच गया होता:

दीदी तेरा देवर दीवाना, चाहे कुड़ियों को टैगाना।

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मेरे जीवन साथी टैग किये जा, .जवानी दीवानी खूबसूरत..जिद्दी पड़ोसन,  टैग किये जा।

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तब तो हद ही हो जाएगी, जब गाने के बोल "गोली मार भेजे में...." बदलकर, " टैग कर फेसबुक में..."

हो जाएगा।

प्रिय पाठकों जब भी मुझे फेसबुक में टैग किया जाता है तो मैं "टैगाने की आत्ममुग्धता" में कई दिनों तक  विभोर रहता हूँ। उस विभोरपने से अपने को निकालने में बड़ी दिक्कत होती है। आप भी टैगाने पर अपने चरमानंद की स्थिति को अवश्य जाहिर करें।

 

 


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