वह अनमोल पल......
वह अनमोल पल......
यह बात उन दिनों की है जब मेरी दादी की तबीयत काफ़ी खराब थी। हमारा 30 लोगों का संयुक्त परिवार था जिसमें हर आयु के लोग थे। दादी की बीमारी के कारण उनकी 6 संतानें उनके साथ ही थीं। वे बार-बार बेहोश हो जाया करती थीं।
वे हम सभी बच्चों को बेहद प्यार करतीं और हम भी उन पर जान छिड़काते थे। हम बच्चों ने प्लान किया कि आगामी मार्च में दादी का जब जन्म दिन आएगा, तो हम सब मिल कर मनाएंगे। लेकिन दादी की दिनोंदिन बिगड़ती तबीयत को देखते हुए हम लोगों ने तय किया कि उनका जन्मदिन हम 24 जून को ही सेलिब्रेट कर लें।
हम लोग 23 जून को कार्यक्रम की योजना बनाने बैठे। तय हुआ कि लड़के बाहर का काम करेंगे और हम लड़कियां घर की सफ़ाई करेंगी। चिप्स नीबू-पानी घर पर ही बनाएंगी बाक़ी स्नैक्स बाहर से मँगा लेहमारे लिए 24 जून बड़ा रोमांच भरा दिन था। हर बच्चा अपनी-अपनी आयु के अनुसार काम में लगा था। सबमें बहुत उत्साह था। हमने छत पर कार्यक्रम रखा। दीयों से 87 अंक लिखा, क्योंकि हमारी दादी 87 साल की कई माह पूर्व हो चुकी थीं। हमारी मम्मी&चचियां वगैरह हमारे इरादे भांप गयीं I लिहाज़ा उन्होंने खाने की व्यवस्था करनी शुरू की। सबने एक-एक व्यंजन बनाया सब एक से बढ़ कर एक थे। हमने दादी का लंबे समय से इलाज कर रहे डा0 गणपति मिश्रा को भी आमंत्रित किया। केक का आर्डर पहले दे दिया था। रात में सारे बच्चे नहा धो कर अच्छे कपड़े पहन कर तैयार हुए। सबने बर्थडे कैप लगहालांकि दादी सुस्त थीं] पर उन्होंने हमारी मदद से केक काटा। उनके चेहरे से स्नेह प्रेम और प्रसन्नता टपक रही थीं वे हमें प्यार कर रही थीं हमारी सराहना कर रही थीं और हम खुशी से भरे हुए थे। घर के बाक़ी बड़ों ने भी हमारे प्रयासों को खूब सराहा। वह दिन शायद हमारे घर में कोई नहीं भूलेगा। दादी के साथ गुज़रा वह समय हमारे दिलों में ख़ास जगह रखता है।