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मोह मोह के धागे(भाग २ )

मोह मोह के धागे(भाग २ )

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आज राजीव बहुत खुश था. अपर्णा और उसकी शादी की तीसरी सालगिरह थी. उसने अपर्णा के लिए गुलाब के फूल ख़रीदे और, सोने की बालिया भी खरीदी. वो घर पंहुचा और काफी देर तक उसने दरवाजे की घंटी बजायी, पर अपर्णा ने दरवाज़ा नहीं खोला. उसने दो तीन बार आवाज़ भी लगायी, पर कोई जवाब नहीं आया. फिर उसे याद आया की दरवाज़े की एक चाबी उसी के पास है. उसने दरवाज़ा खोला और घर के अंदर आ गया. घर मे आने के बाद उसने फिर एक बार आवाज़ लगायी, "अपर्णा.. अपर्णा...". पर कोई जवाब नहीं आया. उसने घर मे सब जगह देख लिया, पर अपर्णा कहीं नहीं थी. इतने मे राजीव की नज़र, टेबल पर रखे हुए एक कागज़ पर गयी. उसने वो कागज़ उठाया और उसके होश उड़ गए. "राजीव बुरा मत मानना, पर मैं अब तुम्हारे साथ और नहीं रह सकती. इस तरह घुट घुट कर, अपनी ख्वाहिशो को मारकर मैं नहीं रह सकती. मैं अभय के साथ हमेशा के लिए जा रही हूँ". राजीव के आँखों में पानी था और वो गुस्से से लाल हो चूका था. उसने वो फूल उठाये और जोर से ज़मीन पर पटककर कुचलने लगा. वो बालिया भी उसने फेकनी चाही, पर वो ऐसा कर न सका. उसने वो बालिया अपने पास ही रखी और घर से निकल पड़ा.

राजीव और अपर्णा की शादी घर के बुजुर्गो ने तय करवाई थी. उस समय राजीव एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था. सामान्य वर्ग का ही इंसान था. अपने माँ, पिताजी , बड़े भाई और भाभी के साथ रहता था. शादी के कुछ शुरुवाती दिन बड़े अच्छे से गुजरे. सब कुछ अच्छा चल रहा था की एक दिन अचानक, राजीव के बड़े भाई और भाभी ने घर के बटवारे की बात कर दी. उन्होंने जो भी बोला, वो राजीव ने मान लिया और घर के हिस्से हो गए. ये सब देखकर अपर्णा बहुत गुस्सा हुई और वह राजीव को कोसने लगी,

"न जाने मैं कहाँ आ गयी हूँ . तुमसे शादी करके तो मेरी किस्मत ही फुट गयी है,चुप क्यों हो? बोलो कुछ".

"भैया घर के बड़े है. और वैसे भी, तुम जानती हो न की, घर की सारी जरूरते भैया ही पूरी कर रहे है. मुझसे जितना बन पाता है, मैं उतना उनकी मदद करने की कोशिश करता हूँ ,तो उनका ये हक़ बनता है की वो इस घर का बड़ा हिस्सा रखे. और कुछ ही दिनों की बात है अपर्णा, थोड़े ही दिनों में मेरा प्रमोशन होने वाला है."

राजीव ने काफी प्यार से अपर्णा को समझाया।

"क्या? सच में राजीव ,में बहुत खुश हु तुम्हारे लिए आज. कोई बात नहीं. तुम्हारा प्रमोशन हो जाये उसके बाद हम हमारे घर में नया सामान ले आएंगे. फिर हमें किसी के सामने हाथ फैलाने की जरुरत नहीं रहेगी."

ये सुनकर राजीव को बहूत ख़ुशी हुई।

तीन दिन बाद राजीव की कंपनी में पार्टी थी, वहा प्रमोशन का ऐलान होने वाला था। सब लोग अपने परिवार के साथ आये थे ,राजीव और अपर्णा भी उस पार्टी में पहुंच गए, इतनी बड़ी पार्टी देखकर तो, अपर्णा के जैसे होश ही उड़ गए, राजीव ने अपर्णा की पहचान अभय से करवाई। अभय राजीव का सीनियर था, प्रमोशन का ऐलान हुआ, और प्रमोशन राजीव को न मिलकर किसी और को ही मिल गया। ये सुनकर राजीव को अफ़सोस हुआ, पर अपर्णा बहुत गुस्से में थी, और वो वहां से निकल गयी,राजीव उसके पीछे दौड़ता हुआ गया,

"तुमने तो कहा था की आज तुम्हे प्रमोशन मिलने वाला है, क्या हुआ? उस पार्टी में देखाना, सब औरते कैसी सज सवंर कर आयी थी ,और एक मैं ,तुम तो हमेशा ही ऐसे भिखारियों जैसे रहोगे, पर मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता।"

राजीव ने अपर्णा को एक थप्पड़ लगाया और वो बहुत दुखी हो चूका था. अगले दिन सुबह अपर्णा कुछ काम के लिए घर से निकली, और उसकी मुलाकात एक बार फिर अभय से हुई ,

"कल आप काफी गुस्से में थी,और राजीव भी मुझसे बात किये बगैर चला गया",

अभयने अपर्णा से पूछा. अपर्णाने अभय को सारी बातें बता दी, धीरे धीरे वो चोरी छुपे मिलने लगे ,अपर्णा की सारी जरूरते अभय पूरी करने लगा था। राजीव को इस बारे में कभी शक नहीं हुआ। अगर उसको शक हो भी जाता तो, अपर्णा कुछ बहाने बनाकर टाल देती।

शादी के तीन सालों बाद, आज राजीव को अपर्णा और अभय के बारे में पता चला था ,वो अकेला ही रास्ते पर चला जा रहा था, अपनी बीती हुई ज़िन्दगी और अपर्णा के साथ बिताये हुए कुछ ख़ुशी के पलों को याद करता हुआ, इतने में उसे किसी औरत की आवाज़ सुनाई दी,

"कोई मेरी मदत कीजिए"

राजीव ने इधर उधर देखा, तभी उसे झाड़ियों के पीछे एक लड़की नज़र आयी ,वो दौड़ता हुआ उस लड़की के पास गया ,वो लड़की काफी ज़ख़्मी थी, और उसने शादी का जोड़ा पहना था। राजीव ने उससे उसका नाम पूछा

"नैना..".

इतना कहकर वो लड़की बेहोश हो गयी , और राजीव उस सुनसान जगह पर अकेला ही उस बेहोश लड़की के पास बैठा रहा।

तो आपको क्या लगता है? नैना के आने से राजीव अपनी बिखरी हुई ज़िन्दगी को समेट पायेगा?

क्रमश:


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