आँखों का तारा
आँखों का तारा
फिर आज कापियां बिना कुछ लिखे लाया है। बस घर जाके सिर्फ खेल खेलना। चलो फिर आज क्लास के बाहर निकलो। फिर मैडम को उस पर गुस्सा आया। मालूम नहीं क्यों हर रोज़ स्कूल में बिना कुछ लिखे ही आने की उसको आदत हो गई है। मार खाने के बाद भी इस लड़के को कोई फर्क नही पड़ता। कल अपने पिताजी को लेकर स्कूल आना मैडम जोर से चिल्लाई । मैडम को राजू पर बहुत गुस्सा आता। उसका चहेरा देखते ही वो नफरत से राजू की आंखों में देखती।
वो लड़का चुप चाप बिना कुछ बोले क्लास के बाहर निकल जाता। राजू नाम का ये लड़का रोज़ स्कूल देरी से आता। और स्कूल का घर काम भी लाता नहीं था। मैडम रंजन रोज़ रोज़ राजू की इस लापरवाही से परेशान थी । मैडम को राजू पर बहुत गुस्सा आता। दूसरे दिन मैडम ने उसकी अच्छी ख़बर लेने की ठान ली। प्रिंसिपल के आँफिस में वो राजू की सभी फ़रियाद की सूची बनाकर जाने ही वाली थी तभी क्लास की छात्रा ने कहा मैडम आज राजू स्कूल में नहीं आने वाला। मैडम को ज्यादा गुस्सा आया। वो आज किसी भी तरह राजू को बड़ी सजा देना चाहती थी। राजू का घर का पता लेकर वो उसके घर की तरफ दूसरी एक छात्र के साथ गई।
दूसरी तरफ राजू ने सुबह जल्दी उठकर उसकी बीमार माँ को रोटियाँ बनाकर खिलाई और अपनी नन्ही बहन को लेकर खेत में मजदूरी करने चला गया था। स्कूल जाने के बजाए अगर खेत में काम करने से जो दो पैसे मिलते उसमे से माँ की दवाएं आ जाएंगी ये सोचकर वो आज स्कूल नही गया था।
मैडम राजू के घर पहुंची। दरवाज़ा खटखटाया लेकिन कोई आया नहीं। कुंडियाँ भी नहीं लगी थी इसलिए मैडम सीधी घर में अंदर जा पहुंची। एक महिला खटिया पे लेटी थी। बहन को देख वो खड़ी हो गई।
बहन जी आप?
आयिए। दूसरी खटिया बिछाई और उसपर एक चद्दर बिछाकर वहां बैठने को कहा। बीच बीच में वो खांस रही थी। मैडम जी चुपचाप बैठ गए।
बहन जी क्यों आज इस तरफ? मेरा राजू स्कूल में अच्छी तरह से पढ़ता तो है ना?
मैडम जी कुछ भी बोली नहीं।
जी...बस सिर्फ राजू के पिताजी से मिलना था।
बहन जी ..... राजू के पापा तो......वो थोड़ा रोने लगी। फिर बोली....दो महीने पहले ही वो चल बसे । मैं और मेरी छोटी बिटिया हम दोनो को राजू ने संभाला है। मैं तो कुछ दिनों से बहुत बीमार हूँ । राजू ही हमको खाना बनाकर खिलाता है। वो घर का सभी काम तो करता ही है पर मेरी दवाइयाँ भी लाता है। स्कूल की छुट्टी के बाद वो होटल के बरतन साफ करके जो भी कमाता उसी से हम सबका गुजारा हो रहा है। इतना बोलकर वो रोने लगी।
बहन जी, राजू को मेरी बहुत परवाह है । उसी की वजह से में आज जीवित हूँ। वो मेरी हिम्मत बन गया है।
मैडम जी इतना सुनते ही.....सोच में पड़ गई। बिना कुछ जाने राजू पर गुस्सा होने पर शर्मिंदगी महसूस करने लगी। उनको राजू के तरफ लगाव होने लगा। सारा गुस्सा वहीं पिघल गया। इतना छोटा बच्चा और इतना बड़ा काम। उसकी माँ की आंखों में जो अपने बेटे की कहानी थी वो हीरो से कम नहीं थी। मैडम जी वहां से बिना कुछ कहे निकल गई।
दूसरे दिन स्कूल में राजू के देर से आने पर मैडम ने उसे डांटा नहीं। राजू आज भी स्कूल का लेसन नहीं लाया था। फिर भी टीचर ने आज उसे शिक्षा नहीं दी। वो सोच में पड़ गया। तभी मैडम ने राजू के पास जाकर उससे माफ़ी मांगी। और स्कूल की फ़ीस भी प्रिंसिपल से बात कर के माफ़ करवाई। और सभी स्कूल के शिक्षको से बात करके कुछ रुपए इक्कठे किए और उसकी माँ को दिया, ताकि राजू की पढ़ाई ना रुके और उनका गुज़ारा भी हो। राजू अब रोज़ स्कूल समय से आ जाता। और पढ़ने में भी ध्यान देने लगा। उसकी माँ घर पे सिलाई का काम करती थी। राजू अब स्कूल में सभी की आँखों का तारा बन गया।