बदलाव
बदलाव
" पैदा किया है, तो कोई अहसान नही किया। सब करते हैं। जब देखो,तब टोकाटाकी करती रहती हो! अब यहाँ नही रहना, जा रहा हूं ,अब नही आऊंगा और मुझे ढूंढने की कोशिश भी नहीं करना.'
गुस्से में बड़बड़ाते हुये वह घर से चला गया।
मैं हतप्रभ रह गयी!इतना गुस्सा? और ऐसी जली कटी बातें? वह भी अपने ही जने बेटे से! कलेजा छलनी हो गया!क्या गलत कहा था मैनें ? यही ना कि
"घर, बाहर के काम करते हुए थक जाती हूँ और तू सारा-सारा दिन मोबाइल पर जुटा रहता या सोता रहता है ! ना नौकरी करना चाहता ,ना ही किसी काम में हाथ बंटाता है ..क्या इसी दिन के लिए तुझे पैदा किया है "
गुस्से और क्षोभ में आज मुँह से ये भी निकल गया था ।
वह चला गया पर मुझे बहुत बेचैनी होने लगी! किसी काम में मन नही लग रहा था तो चुपचाप आँखे बंद करके बैठ गई। हर आहट पर लगता था कि वह आ गया! तीन-चार घंटे बीत गए। बार बार घड़ी पर नज़र जाती.. पता नहीं कब तक आये ,या आये ही नही ! कहकर जो गया है कि अब नही आयेगा। दिल में बेचैनी हो रही थी, तभी जानी पहचानी आहट सुनाई दी... हाँ वह आ गया था.. दिल में खुशी की लहर दौड़ गई तभी उसकी आवाज़ सुनाई दी
"सॉरी मम्मी..मुझे माफ कर दो"
कहते हुए वह लिपट गया।
अचकचाकर मैंने उसे देखा! कुछ देर पहले ही कितना नाराज़ होकर ना जाने कितनी बातें सुनाकर गया था.. अब अचानक माफी? इतना परिवर्तन क्यों हुआ? मैं सोच ही रही थी कि वह फिर बोल पड़ा..
"पता है मम्मी.. आज मैनें सड़क के किनारे एक आँटी के डिलीवरी का दर्द होते देखा! मम्मी..वह बहुत तड़प रही थी!उफ्फ...कोई हेल्प करने के लिए आगे नही आया.. तब मैं उन्हें हॉस्पिटल लेकर गया पर उन्हें हॉस्पिटल के बाहर ही बच्चा हो गया" कहते हुए उसने मेरे हाथ पकड़ लिया
"आपने भी तो मुझे पैदा करने में कितना कष्ट सहा होगा ,,ऐसे ही तड़पी होगीं..है ना मम्मी ?"
वह अनवरत बोलता जा रहा था और मैं चुपचाप उसे देख रही थी! बेटे में बदलाव का कारण, अब मेरी समझ में आ गया था।