वह ठंड भरी रात, डोरेमोन के साथ
वह ठंड भरी रात, डोरेमोन के साथ
एक लम्बे सफर पर मैं और मेरा दोस्त डोरेमोन बाइक पर जा रहे थे। मेरी पुलिस भर्ती की शारीरिक परीक्षा थी। मेरे प्रिय मित्र डोरेमोन ने अपनी जी तोड़ मेहनत करके मेरे साथ मेरी दौड़ पूरी करने की तैयारी कराई थी। वह रोज सुबह जल्दी उठकर मुझे उठाता, मैं बहुत आलसी हूं सोता रहता हूं। डोरेमोन मेरे लिए तेज कॉफी की कॉपी तैयार करता, और फिर मैं कॉफी पी कर निकल पडता दौड़ लगाने के लिए। डोरेमोन बोलता था कॉफी पीकर दौड़ लगाने से गला सूखा नहीं होता है और बहुत जल्दी सांस नहीं फूलती है। इस तरह कई महीनों की मेहनत के बाद परीक्षा का दिन भी नजदीक आ गया।
मैं शाम को अपने प्रिय मित्र डोरेमोन को लेकर बाइक से आगरा निकल पड़ा । दिसंबर का महीना हड्डियों को कंपा देने वाली ठंड,।ऊपर से बाइक पर रात का सफर। मैं और डोरेमोन जितना हो सकता था उतने कपड़े पहन कर निकले थे, लेकिन ठंड हमारे अंदर तक बढ़ती जा रही थी । कोहरा इतना अधिक था कि हमें रास्ते में आने वाला ना तो कोई रास्ता दिख रहा था न ही रास्ते में आने वाला कोई भी पत्थर और गड्ढे। जहाँ तक कि हमारे आगे चलने वाले कोई भी वाहन तक दिखाई नहीं दे रहे थे। हमें निकलते निकलते नौ बज चुके थे। 10-15 किलोमीटर के बाद अगर कोई चाय की दुकान दिखती तो चाय पीते। ठंड इतनी ज्यादा थी कि हम लोगों के हाथ कांप रहे थे, और पैर बिल्कुल सुन्न पड़ चुके थे । ग्लब्स पहने होने के बावजूद भी बाइक का हैंडल हमारे हाथ में भी नहीं आ रहा था। फिर हम आगे बढ़ते अगर रास्ते में कोई आग जलती हुई दिखती तो हम आग पर हाथ सेंकते, अगर कोई चाय की दुकान मिलती तो वहां चाय पीते। इस तरह वह ठंड भरी रात मैने और डोरेमोन ने बड़े मजे के साथ निकाली। और रात को मैं अपने एक रिश्तेदार के यहां पर रुका। सुबह होने पर हमें परीक्षा के लिए जल्दी से जल्दी जाना था। आज भी वो ठंड भारी रात हमारी जहन से कभी नहीं निकलती है।