दुरुस्त आँखों वालों
दुरुस्त आँखों वालों
बधाई, कि तुम्हारी आँखें दुरुस्त हैं। तुम आर्मी में जाओ, पायलट बनो। तुम्हें सुबह उठकर बिस्तर, ज़मीन और टेबल नहीं टटोलने पड़ते। तुम्हारे चश्मेंं रखने की जगह बदलने पर तुम्हारी मम्मी से लड़ाई नहीं होती। तुम्हारे भाई-बहन तुम्हारे चश्मेंं छिपाकर तुम्हारे मज़े नहीं लेते। 6-6 महीने की उम्र वाले तुम्हारे भतीजे-भांजियाँ तुम्हारे चश्मेंं नहीं खींचते। और उनकेमाँ-पापा के आस पास होने की वजह से तुमको उनकी इस हरकत पर फालतू हँसना नहीं पड़ता। तुम्हें तुम्हारा चश्मा पहन कर फोटो खिंचवाने की डिमांड करने वाले रिश्तेदारों के बच्चों को क्यूट नहीं बोलना पड़ता।
तुम्हारा जीवन बहुत सुखी है। इसका तुम्हें सचमुच अंदाज़ा नहीं है। या शायद होगा भी। तो मेरा एक सवाल है। तुम अपनी ज़िंदगी में ख़ुश क्यों नहीं रहते? आखिर चश्मे वालों से तुम्हें तक़लीफ क्या है? तुम हमें चैन से जीने क्यों नहीं देते? तुम क्यों हमसे वाहियात सवाल कर-कर हमारी ज़िंदगी में धनिया बोऐ रहते हो? कुहनी से हाथ जोड़कर एक रिक्वेस्ट है। प्लीज, प्लीज प्लीज, प्लीज, ये सवाल पूछना बंद कर दो:
1.ये नज़र का चश्मा है?
नहीं। चश्मेंं तो नज़र के होते ही नहीं हैं। बोलने और सुनने के होते हैं। और पता है, कभी-कभी हम नदी में चश्मेंं फेंक के मछली पकड़ लेते हैं।
2.पावर है इसमें?
जी नहीं, हम तो बस डेनियल विटोरी के फैन हैं, इसलिऐ लगाऐ रहते हैं। नाक पर वजन लेकर घूमने, और नोज-पैड से नाक पर गड्ढे बनवाने का शौक़ है हमें।
3.प्लस में है या माइनस में?
पूछते तो ऐसे हैं, जैसे हम बता देंगे और प्लस-माइनस का कॉन्सेप्ट समझ में आ जाऐगा।
4.तो ये हमेशा लगाना पड़ता है?
नहीं, बस सूरज उगने से सूरज ढलने तक। अँधेरे में मेरी आँखों की रौशनी वापस आ जाती है।
5.अच्छा ये कितनी उंगलियाँ हैं?
क्यों बताऐंं, तुम्हारे नौकर हैं क्या? मैं लगा के देख लूँ?
6.चश्मा है, सर्जरी नहीं। जैसे दिखते हो वैसे ही दिखोगे।
इसके अलावा कुछ और बातें, जिन्हें आप जीते-जी जान लें तो बेहतर होगा। कौन जाने नर्क के शैतान भी चश्मा लगाते हो :
1.ये चश्मा है, हैंड लेंस नहीं। इससे आपको फिंगरप्रिंट नहीं दिखेंगे। नाक के ब्लैकहेड्स निकालने के लिऐ इनका इस्तेमाल न करें।
2.चश्मा नज़र को ठीक कर देता है। चश्मेंं लगाने के बाद हमें क्लास में आगे बैठने नहीं पड़ती। हमें धक्का देकर आगे न भेजें।
3.बिना चश्मा लगाऐ हम अपना चश्मा नहीं ढूँढ़ पाते। ऐसे समय में हमारी मदद करें।
4.चश्मा लेंस पकड़कर न उठाऐं। ख़ासकर पराठे खाऐ हुऐ तेली हाथों से। आपके फिंगरप्रिंट कोर्ट में पेश कर हम कुछ भी साबित नहीं करना चाहते।
5.नज़र ख़राब होना छूत की बीमारी नहीं है। हमारा चश्मा ट्राय करने के पहले उसे पोंछने की ज़रूरत नहीं है।
6.चश्मे का दाम न पूछें। बस, न पूछें।
7.आप हमारे डॉक्टर न बनें। हमें न बताऐं कि प्याज का रस या घोड़े का सूसू डालकर हमारी आँखें दुरुस्त हो जाऐंगी।
दुरुस्त आँखों वालों, हमें पता है तुम्हें चश्मेंं बड़ी विदेशी चिड़िया लगते हैं। तो तुम एक काम करो। एक चश्मे की दुकान पर जाओ। उससे कहो चश्मा लेना है, लेकिन आँख दुरुस्त है। वो तुम्हारा आई-टेस्ट करेगा। और कुछ नहीं तो कम से कम -0.25 पावर तो निकाल ही देगा, एक आँख में ही सही। लेकिन हमें बख़्श दो।
तुम्हारी आँख दुरुस्त है फिर भी वह -0.25 पावर तो निकाल ही देगा.....