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हमारा अपना अंतर्मन

हमारा अपना अंतर्मन

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                                         रास्ते सब सही नहीं अगर ये कहना अगर हम सही मान भी ले तो इसका दूसरा पहलू ये कहता है की सारे रास्ते गलत भी नहीं होते।
बात नज़रिऐ की है और समझ की जो हर इंसान का अलग अलग है। कुछ अपने तज़ुर्बे को अहमियत देते हैं तो कुछ अपनी आँखों के सामने दूसरों के साथ हुए हादसे को अपना आधार मानते हैं।
लेकीन सोचने की बात यही है जो फिर वही आकर ठहर जाती है क्या सही है और क्या गलत।

कौन करेगा इसका फैसला, आँखों देखा आधार, नज़रिया, सोच, समझ या तज़ुर्बा या शायद इनमे से कोई नहीं, शायद कुछ और है अगर मैं सही समझ रहा हूँ आपकी तरह तो वो है अपना अंतर्मन।

अंतर्मन ही सही फैसला ले सकता है सही गलत से कहीं ऊपर बढ़ कर बहुत शांति होती है अपने आप में अपने आप को महसूस कर के देखिएगा।

राजनितिक और कूटनीतिक फैसले दूर की बात है सम्मान और अपमान भी चलो अभी के लिए रहने देते हैं, जीवन और भविष्य को विराम देते हैं ; फ़र्ज़ कीजिये की हमें कुछ खाने की या चखने की इच्छा है जो हमारे सामने ही है और हो सकता है शायद हमारी सेहत के लिए ठीक नहीं है। उलझन शुरू होती महसूस होगी हमें चखें ना चखें सही होगा या नहीं होगा और बहुत कुछ ऐसा ही मुझे भी कुछ ऐसा ही महसूस हुआ अब एक बार अपनी आँखें बंद कीजिये और फैसला अपने अंतर्मन पर छोड़ दीजिये और मुझे इस बात का पूरा यक़ीन है आपको भी मेरी तरह सटीक ना सही लेकीन सही फ़ैसला ज़रूर मिलेगा।

                     बहुत आसान लगा ना आपको मुझे भी लगा अब चलिऐ अपने आस पास की हो रही घटनाओं को सोच कर देखें जो डर से कुछ ना बोले या फिर ये सोच कर रहने दिया की बे-फ़िजूल बातों में अपना कीमती वक़्त कौन ख़राब करे एक बार सोच के देखिएगा।
और उन सब घटनाओं को अपना श्रोत मानियेगा जो किसी ना किसी कारन से हमसे जुड़ीं है सामजिक और असामाजिक दोनों ही इसमें शामिल है।

कुछ भी फैसला लेने से पहले या चुपचाप जीते चले जाने से या नज़रअंदाज़ करने से पहले एक बार अपने अंतर्मन को मौक़ा ज़रूर दीजियेगा, शायद वो कुछ सही राय दे दे जो सही फैसला भी हो जाए, और उस फैसले की आवाज़ यक़ीनन हमारी ख़ामोशी से बेहतर होगी।


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