ग़ज़ल
ग़ज़ल
रहने दीजे आप क्यों तकल्लुफ उठा रहे,
मैं पहले ही घायल हूँ, आप क्यों खंजर चला रहे।
धड़कनो के शोर में सारे शोर ग़ुम गए,
लगता है वो कहीं से मेरे क़रीब आ रहे।
अब आ जो गए हैं तो यूँ रुखसत ना होइए,
आज ही तो आये है और आज जा रहे।
आये जो याद आपकी तो ग़मज़दा करे,
जो आप आये तो सारे गम जुदा रहे।
हर वक्त ,हर एक सांस ,हर एक शय में तू रहे,
तेरे दिल में ना रहें तो बता हम कहाँ रहें।
दूर होके मुझसे तुम खुशनुमा से हो लिये,
बस हम ही जिंदगी भर तेरे दर्द में रहे।
शोहरत कमाने घर से हम दूर चल दिये,
माँ फिर भी कहती है,तू जहाँ रहे खुश रहे।
दुआओं है माँ की जो मुझे है खड़ा किये,वरना
उनकी चाहत थी वही वो रहे,हम नहीं रहे।
फिरदौस मिले मुझको या दोज़ख ही सही,
हम करेंगे वही काम जिसमे माँ खुश रहे।