Aparna P

Tragedy

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Aparna P

Tragedy

निरुपमा

निरुपमा

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 अरे तू आज वापस आया दो दिन पहले आके गया था ना??

 और ज्यादा पैसे भी दिये थे तुने!!! 

 इसलिये याद है मुझे, नही तो दिनमें इतने कस्टमर आते कौन याद रखता है सबको? 

 बोsल किसके पास जायेगा? 


  ए… मिली… अभि खाली कोन कोन है ?लेके आ 

  तू चुन ले पसंद से 'तेरी 

चौघींना घेऊन मिली बाहेर आली 

तोंडात पान ठेवत अम्मा म्हणाली देख ये डॉली , जासमीन , खूषबू और ये नया माल!! ओपनिंग हुआ है पर चीज एक नंबर है!!! 

अम्मा वो मुझे उस दिन वाली, वोही… मैं उसके साथ ही… 

कोन उस दिन वाली? 

जी… नाम नही पुछा था मैंने, वो कथ्थे आंखोंवाली !!

तेवढ्यात मीली म्हणाली अम्मा निरु… 

 पर निरू तो आज!!! 

मीलीला थांबवत अम्मा म्हणाली नीरु के पास जायेगा?? पर आज नही! आज उसको रेड सिग्नल!! कुछ फायदा नही!!, इनमेंसे चुन.. 

जी एक बार मील सकता हू उसे? 

हा पर उसका भी पैसा देना पडेगा. 

ठिक है ये लो.

निरू….. तेरा आशिक आया है, बात करनी है तुझसे, वैसे आज कर भी क्या सकेगा!!! जोरजोरात अम्मा हसत म्हणाली. 

अम्माची हाक ऐकून निरु बाहेर आली आणि त्याला म्हणाली क्या बात करनी है? बोलो 

त्यावर तो म्हणाला जी अंदर बैठ के बात करेंगे? 

ती : हा चल पर जल्दी कर मैं मस्त पिक्चर देख रही हूं. 

बोलत बोलत निरु त्याला खोलीत घेऊन गेली. 

आत गेल्यावर त्याला खुणेने तिने बसायला सांगितलं आणि म्हणाली बोल… क्या… 

तो : जी कुछ नही ,उस दिन ढेर रात मैं आपके पास आया था , वो दोस्त लेके आये थे जबरदस्ती ! मै उस दिनसे पहले कभी आया नही था यहाँ!

 उस दिन हमने बाते की थी बहोत सारी !! 

फिर आप सो गयी मैं ऐसेही बैठा रहा था सुबह तक!

 जी मैने यहासे आपकी डायरी लेके पढी, इसमे बहोत सारी कविताये, गाने लिखे हुए है. और लिखावट भी बहोत खूब है. 

जी मैं भी लिखता हूं, फिल्मों के लिए लिखना चाहता हूं। एक दो जगह बात चल रही है, अगर डिरेक्टर को मेरी कहानी पसंद आएगी तो उसपर फ़िल्म बनेगी. 

 आपको फिल्मे देखना पसंद है? 

निरु : जी बहोत पसंद हैं।

 तो : आपकी कविताये!! बहोत भाने वली है दिल मे उतरने वाली कविता लिखती हो आप!! मैं ये आपकी डायरी फिरसे पढना चाहता हूं, इसलीये आज वापस आया हूं. 

निरु : जी बचपनसे लिखनेका शौक है मुझे , रोज कुछ ना कुछ लिखे बिना निंद नही आती. 

तो : कहा तक पढ़ी हो ? इतना अच्छा लिखती हो , इतना खूबसूरत लफ्जोनका इस्तमाल!!! 

निरू : जी बारवी तक पढ़ी हु और उर्दु भी जानती हूं , बंगाली और हिंदी उपन्यास पढ़ने का शौक है , देखो ये सब!! 

तो : अरे ये हिंदी नोवेल्स यहाँ? 

निरू : जी मैं पढ़ती हु , अम्मा ने लाके दीये. 

तो : अजीब बात है!! तुम जैसी लड़की ये सब….. 

निरू : आप जैसे लोगोंको अजीब ही लगेगा!! क्या हमें ये पढ़ने का हक्क नही है???

तो : वैसी बात नही, बुरा न मानना पर थोड़ा अजीब लगा!! 

जी आपका पूरा नाम जान सकता हूं? कहासे आयी हो? और यहा कैसे? 

निरू : इंटरव्यू लेने आये हो??

 मैं दार्जिलिंग से हु, वहा मैं बारवीतक पढ़ी और उसके बाद पैसों-के वासते मेरे बाप ने मेरी शादी करा दी एक आदमी से, मुंबई मे नोकरी करता है, अच्छा कामाता है इसलीये बाप खूष था. 

 शादी के बाद मुझे वो मुझे मुंबई लेके आया और यहा बेच दिया. और क्या बताना तुमको वही हमेशावाली फिल्मी कहानी लगी होगी ना? लेकिन यही सच है और तकदीर भी. 

खुशीसे कोयी नही आता रे यहा. 

 तो : आप बहोत अच्छा लिखती हो, ये लिखना बंद मत करो, लिखती रहो. 

निरु : अब थोडे दिनो के बाद बंद पडेगाही. 

तो : ऐसा मत करो, लिखती रहो. मैं ये लेके जाऊ, आपके लिखे गाने, ये शायरी बहोत खूबसुरत है. मैं ये डायरी लेके जाऊ? 

निरु : जी जरूर वैसे मेरे बाद इसको कौन पढेंगा और यहा इसकी जरूरत भी क्या?

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आज त्याच्या फिल्मला नॅशनल अवॉर्ड मिळालंच, बेस्ट स्टोरी, बेस्ट लिरीक्स !!

 निरूला अवॉर्ड फंक्शनला घेऊन जाण्यासाठी तो आला आणि अम्माकडून त्याला कळलं 

 अरे निरु अब इस दुनिया मे नही रही. बिमार थी वो कबसे!! एड्स हुवा था ना? 

रुक तेरे लिये कुछ छोडके गयी है, ये किताबे, दो डायरिया और ये खत.* तू अगर वापस आया तो जरूर देना* बार बार ये कहती थी. 

  त्याने ते पत्र उघडून वाचलं...


प्रिय अंजान 

अंजान इसलिए क्यों की आपने हमारा नाम, गाँव, पढ़ाई सब जान लिया पर हमें तो कुछ बतायही नही. सिर्फ फिल्मो में लिखना चाहते हो ये बताया था आपने. मैं ज्यादा दिन नही रहूंगी, हमारे धंदे का इनाम जो मिला है मुझे! मेरी किताबे, और कुछ लिखी हुई कहानियाँ, कवितायें ये सब तुम्हारे लिए छोड़ कर जा रही हूं अम्मा के पास. अगर पसंद आयी तो फिल्मो में इस्तमाल करना खुद के नाम से. मेरे नाम और नसीब के दाग इसपर मत गिरने देना।

अगर अगले जनम मे तकदीर अच्छी हो तो जरूर फिर से मुलाकात होगी।

 

अलविदा!!

 

निरू 

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पत्र वाचून त्याचे डोळे पाणावले. अवॉर्ड फंक्शनला तो गेला, निरुने लिहिलेली कहाणी, गाणी, कविता सगळं आणि त्याचं श्रेय स्वतःला घेताना त्याचे पाय लटपटू लागले. त्याने धाडस करून सगळ्यांसमोर सत्य उघड केलं. पुढची दोन वर्षे बेस्ट स्टोरी, बेस्ट साँग्ज, लिरिक्सचे अवॉर्डस निरूपमा या नावालाच मिळत गेले.


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