ये तेरा घर - ये मेरा घर
ये तेरा घर - ये मेरा घर
[ ये तेरा घर - ये मेरा घर, कभी था हमारा घर ]
प्राचीन काल से ही हमारे देश में संयुक्त परिवार की प्रथा रही है। एक बड़ा - सा घर और उसमें मम्मी - पापा के साथ - साथ दादा -दादी , चाचा - चाची और उनके बच्चे एक साथ एक छत के नीचे रहते थे।
सभी बच्चे एक साथ खेलते, खाते - पीते और पढ़ते -लिखते थे। एक सदस्य परेशान होता तो सभी सदस्य उसकी समस्या का समाधान करते।
किन्तु आज संयुक्त परिवार की प्रथा टूट रही है और उसकी जगह एकल परिवार ले रहा है। परिवार के सदस्यों के बीच वो प्यार, अपनापन और सम्मान अब देखने को नहीं मिलता जो कभी मिला करता था। जिस घर को कभी हमारा घर कह कर पुकारा जाता था, उस घर के टुकड़े होकर तेरा - मेरा घर में परिवर्तित हो रहा है। अब हाल ये है कि एक भाई अपने दूसरे भाई के साथ नहीं रहना चाहता। शादी होते ही एक भाई अपने दूसरे भाई से अलग होने के बहाने तलाशने लगता है, क्योंकि वो सोचता है कि उसकी पत्नी परिवार के सारे सदस्यों का काम क्यों करेगी ? उसे अपनी पत्नी और बच्चों के लिए कुछ लाना हो तो चुपके से लाना पड़ता है क्योंकि अपने भाई के बच्चों को भी देना पड़ेगा। सिर्फ इन कारणों से आज संयुक्त परिवार टूटकर बिखर रहा है।
भारत में प्राचीन काल से ही "वसुधैव कुटुम्बकम्" की रीति को अपनाया जा रहा है, अर्थात् पूरी पृथ्वी हमारा परिवार है। किन्तु सच्चाई यह है कि हम अपने परिवार को भी अपना नहीं समझते हैं !