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मधु त्रिवेदी

Drama Inspirational

5.0  

मधु त्रिवेदी

Drama Inspirational

तुम हो मेरा पहला प्यार

तुम हो मेरा पहला प्यार

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मोहन ग्रेजुएशन फर्स्ट यीअर का छात्र था। पढ़ने में बहुत होशियार पर संकोची स्वभाव का था। वह बहुत कम बोलता था पर जरूरत पड़ने पर सब की सहायता भी करता था।

तभी उसके पड़ोस में राधा नाम की लड़की अपने परिवार के साथ रहने आई। राधा बहुत सुंदर और चंचल स्वभाव की लड़की थी। वह नई-नई आई थी, इसलिए किसी को भी नहीं जानती थी। एक दिन उसके घर की बिजली अचानक चली गई। उसके घर का फ्यूज उड़ गया था। तभी पड़ोस के लोगों ने कहा कि वह मोहन को कहे, वह बिजली का काम जानता है। वह ठीक कर देगा। मोहन अपने घर में बैठा पढ़ाई कर रहा था; तभी उसका ध्यान पायल की छन-छन की आवाज पर गई जो धीरे धीरे तेज होती जा रही थी। अचानक आवाज बंद हो गई और दरवाजे पर दस्तक हुई। मोहन ने जैसे ही दरवाजा खोला राधा उसके सामने खड़ी थी। वह उसे देखता ही रह गया और कुछ बोल भी ना सका। तभी राधा ने उससे कहा क्या आप मेरी सहायता करेंगे; मेरे घर का फ्यूज उड़ गया है मोहन ने हाँ में सिर हिलाया और राधा के साथ उसके घर चला गया।

मोहन जब फ्यूज ठीक कर रहा था तो राधा मोमबत्ती लेकर उसके पास बड़ी थी। मोमबत्ती की रोशनी में राधा का मुस्कुराता चेहरा मोहन को उसकी तरफ खींच रहा था। फ्यूज ठीक करके मोहन अपने घर आ गया। पर राधा का मुस्कुराता हुआ चेहरा उसकी आँखों के सामने बार-बार आ रहा था। पूरी रात वह राधा के बारे में सोचता रहा। अगले दिन मोहन जब अपने कॉलेज की कक्षा में बैठा हुआ पढ़ाई कर रहा था; तभी वही पायल की आवाज़ उसे फिर सुनाई दी। उसने सामने देखा तो राधा आ रही थी। राधा किसी को भी नहीं जानती थी पर मोहन को देख कर उसके समीप आ गई और पूछा क्या मैं आपके पास बैठ सकती हूँ। मोहन ने कहा कुछ नहीं बस हाँ में सिर हिलाया। राधा नई थी इसलिए मोहन ने अपना फर्ज समझा कि वह उसकी सहायता करें। और राधा से कहा कि आपको कुछ सहायता चाहिए तो मुझे बताएं। अब तक जितनी भी पढ़ाई हुई है ; मैं उसके नोट्स आपको दे दूँगा।

राधा ने मुस्कुरा कर कहा, आप बोल भी सकते हैं। मोहन को राधा की बात पर आश्चर्य हुआ। उस ने राधा से पूछा आपको ऐसा क्यों लगा कि मैं बोल नहीं सकता। राधा हंसी और बोली आप सिर्फ हां सिर हिलाते हैं ; इसलिए मुझे ऐसा लगा।

राधा और मोहन एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन चुके थे। मोहन को एहसास हो चुका था कि उसे पहली नजर

में राधा से प्यार हो गया है। पर समस्या थी कि वह राधा को बताये कैसे ? उसे डर था कि कहीं वह उसे खो ना दे। मोहन ने निश्चय किया कि वह एक खत में अपने दिल की सारी बातें लिखेगा। उसने खत लिख तो लिया; पर उसे राधा को देने की हिम्मत नहीं हुई। समय बीतता गया।

एक दिन राधा सज-धज कर मोहन के पास आई और बोली आज मेरी सगाई है। मोहन को लगा कि वह

मजाक कर रही है। लेकिन यह बात सच थी। मोहन के पैरों के नीचे से जैसे किसी ने जमीन खींच ली हो। उसका दिल टूट गया। वह राधा को बताना चाहता था तुम मेरा पहला प्यार हो पर बता न सका। राधा बहुत खुश थी

उसकी खुशी में मोहन ने भी खुश होना ही अच्छा समझा। उसका पहला प्यार अधूरा रह गया था। पर वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था।

एक हफ्ते बाद राधा की शादी हो गई। मोहन ने राधा की शादी में उसके परिवार वालों की बहुत मदद की। शादी के बाद राधा ने कॉलेज आना छोड़ दिया। मोहन ने राधा के छोटे भाई से पूछा तो उसने बताया कि जीजाजी ने राधा को कॉलेज जाने से मना किया है। मोहन को यह बात अच्छी नहीं लगी पर वह कुछ भी न कर

सका। एक दिन मोहन को राधा रास्ते में मिली। राधा के चेहरे पर मायूसी थी; वह चमक नहीं थी जो पहले हुआ करती थी। मोहन ने उससे बात करने की कोशिश की, पर राधा ने कुछ भी नहीं कहा और चली गई। मोहन ने

राधा के छोटे भाई से इस बारे में पूछताछ की तो उसने बताया की जीजाजी दीदी को शराब पीकर बहुत मारते हैं। उस पर शक करते हैं। मोहन ने राधा के घर जाकर उसके पति को समझाने की बात सोची। और वह उसके घर जा पहुँचा।

घर के अंदर से किसी के चिल्लाने की आवाजें आ रही थी। मोहन ने देखा तो राधा फर्श पर बैठी थी और उसके सर से खून निकल रहा था। मोहन राधा का हाथ पकड़कर उसे उसके माता-पिता के घर ले आता है। पर उसके परिवार वाले अपनी शादीशुदा बेटी को घर पर रखने से इनकार कर देते हैं। मोहन तलाक लेने और राधा की दूसरी शादी करने की बात करता है। परिवार वाले मोहन से कहते हैं कि एक तलाकशुदा लड़की से कौन शादी करेगा ? मोहन कहता है कि वह राधा से शादी करेगा। राधा के परिवार वाले राधा की शादी मोहन से करने

के लिए तैयार हो जाते हैं पर राधा, मोहन से शादी करने को तैयार नहीं थी ; उसे लगता है कि मोहन उस पर तरस खाकर शादी कर रहा है पर परिवार वालों के दबाव में उसे शादी के लिए तैयार होना पड़ता है।

एक महीने बाद राधा की शादी मोहन से हो जाती है। शादी के अगले दिन राधा को सफाई करते हुए एक

डायरी मिलती है।

यह वही डायरी थी जिसमें मोहन अपने दिल की सारी बातें लिखता था। इस डायरी में वह खत भी था जो वह राधा को देना चाहता था। पर दे न सका। राधा डायरी में लिखी सारी बातें पढ़ लेती है। राधा को इस बात का अफसोस होता है कि वह मोहन ने प्यार को समझ नहीं पाई, पर खुशी भी होती है कि उसे एक ऐसा जीवनसाथी मिला जो उसे बेहद प्यार करता है। मोहन जब घर आता है तो राधा उसके गले लग

कर कहती है कि तुम्हारा पहला प्यार अधूरा नहीं है। शायद मैं भी तुम से प्यार करती थी पर मैं समझ नहीं सकी। मुझे माफ़ कर दो।दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करते हैं।


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