व्यापारी का सपना (भाग-1)
व्यापारी का सपना (भाग-1)
प्राचीन समय की बात है, एक स्मान्न व्यापारी एक गाँव में रहता था। एक कुछ समय बाद उसका सौभाग्य नष्ट हो गया। अब यह वह दरिद्रता से दुखी था। पूर्णमासी की रात उसके सपने में एक जैन मुनि आए और वे बोले, " मैं वैभव हूँ। कल सुबह मैं तुम्हारे घर आऊँगा। तुम मेरे सिर पर एक डंडा मारना जिसकी वजह से मैं सोने के ढेर में मे परिवर्तित हो जाऊँगा। इसके पश्चात् तुम मुझे अपना व्यापार सौंप देना।
अगली सुबह उसके दरवाजे पर सचमुच
एक जैन मुनि प्रकट हुए। वे दिखने में वसे ही लग रहे थे , जैसे कि उसने सपने में देखा था। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने जल्दी से अपना सपना याद करते हुए मुनि के सिर पर हल्का-सा एक डंडा मारा, तुरंत ही मुनि धरती पर गिर गया और सोने के ढेर में बदल गया। व्यापारी हक्का-बक्का रह गया।
फिर जल्दी से सारा सोना एकत्रित कर के उसने एक कमरे में छिपा दिया। दिलचस्प बात यह थी कि एक नाई व्यापारी के घर की खिड़की से यह सारा प्रकरण देख रहा था। वह ऐसी घटना देखकर बड़ा विस्मित हुआ। उसने सोचा यदि सिर पर चोट करने से जैन मुनि सोने में बदल जाते हैं, तो मैं भी इन्हें अपने घर बुलाऊँगा। अगती सुबह आसमान के साथ नाई के मन में भी सुनहरा सूरज चमक रहा था।
वह सोने के बारे में बार-बार सोचते हुए मुस्कुरा रहा था। वह एक जैन मंदिर में गया। उसने वहाँ नतमस्तक होकर प्रार्थना की। प्रार्थना के बाद वह मुख्य मुनि से जाकर मिला और उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण दिया। मुनि बोले, " हे पुत्र! मैं तुम्हारा निमंत्रण अवश्य स्वीकार करूँगा और तुम्हारे घर न आऊँगा।" नाई खुशी-खुशी घर के लिए लौट गया।
उसने दरवाजे के पास मुनियों को मारने के लिए डंडा रख लिया और सोने को इकट्ठा करने के लिए कुछ बोरे भी रख लियो। जैसे ही मुनियों ने नाई के घर में प्रवेश किया, उसने उनके सिर पर डंडे मारने शुरू कर दिए। कुछ मुनि मूर्छित हो गए, कुछ वहीं ढेर हो गये, कुछ अपने पैर सिर पर रख के मदद के लिए भागे। जब गाँववालों ने शेर सुना तो उन्होंने बात का पता लगाया।
पता चला कि एक नाई कुछ मुनियाँ को अपने घर बुलाकर पीट रहा था। कहानी सुनकर नाई को सरपंच ने जब नाई के मुँह से भारी कहानी सुनी तो वह बोला, "मेरी इसमें कोई गलती नहीं है। मैंने वैसा ही किया जैसा व्यापारी ने किया।" सरपंच ने तुरंत उस व्यापारी को बुला कर पूछा कि क्या उसने किसी मुनि की थी ? व्यापारी बोला " नहीं, मेरे सपने में एक सपने में एक जैन मुनि आए और वे बोले, "मैं वैभव हूँ। कल सुबह मैं तुम्हारे घर आऊँगा हूँ मैं तुम मेरे सिर पर एक डंडा मारना में सोने के ढेर में में परिवर्तित हो जाऊँगा, और अगली सुबह मेरे दरवाने पर एक जैन मुनि प्रकट हुए। वे दिखने दिखने में वैसे वैसे ही लग रहे थे थे, जैसे कि मैंने अपने सपने में देखा।
