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Neha yadav

Drama

3  

Neha yadav

Drama

वो नीला रंग और खुले बाल

वो नीला रंग और खुले बाल

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जैसे-जैसे घड़ी की सुइयाँ बढ़ रही थी, वैसे वैसे मेरे दिल की धड़कन.. अभी तो बस सुबह के 8 बजे थे और आगे था पूरे 34 घंटे का इंतजार। 10 जून को यानि कि कल मेरे जन्मदिन की रात 8 बजे मुझे छवि से मिलने जो जाना था। छवि मेरे ही दफ्तर में सहकर्मी थी, पिछले दो वर्षो से हम एक ही दफ्तर में थे। अचानक ठीक मेरे 27वे जन्मदिन के एक दिन पहले सुबह 7 बजे छवि का मैसेज आता हे :- गुड मॉर्निंग रोशन! और साथ मे यह मैसेज भी कल रात 8 बजे पर्फेक्ट रेस्टोरेंट पहुच जाना। यू तो छवि मुझे रोज गुड मॉर्निंग, गुड नाइट के मैसेज करती हे, पर अचानक उसे ऐसे किसी रेस्टोरेंट में क्यू मिलना है? मेरे मन में एक अजीब सी भावना आ रही थीं, क्यू मिलना है छवि को? वो भी कल मेरे जन्मदिन की शाम जो मेरे परिवार, दोस्तो के नाम होना चाहिए।यह सब सोचते सोचते दफ्तर के लिए तैयार हो गया। मैंने तो रास्ते में तय कर लिया था, कि उससे दफ्तर में ही पूछ लूंगा। दफ्तर में घुसते से ही सबसे पहले छवि की डेस्क पे गया। पर क्या वो तो आज खाली थी, फिर पता लगा दो दिन की छुट्टी पर है मैडम। पता लगते ही मैंने तुरंत छवि का नंबर घुमाया मैंने ओर कहा :- हैलो छवि.. कितना परेशान कर रखा है सुबह से, क्या मतलब हे उस मैसेज का?? ऐसे दफ्तर के बाहर क्यू मिलना है? फिर तुम आई भी नहीं आज बस मैं ही बोल रहा था। फिर मैंने कहा हैलो छवि सुन रही हो.. फिर वो धीरे से बोली.. :-अभी कुछ नहीं कह सकती सबकुछ बताऊंगी मगर कल, तुम्हें मेरी कसम हैं कल के पहले कुछ ना पूछना कहकर फ़ोन काट दिया। पूरा दिन दफ्तर में घबराता रहा यही सोच में डूबा की :-आखिर क्यू बुलाया हे?? फिर धीरे से मन के कोने मे एक ख्याल ने दस्तक दी. (रोशन कही छवि को तुमसे प्यार तो नहीं हो गया) फिर मैंने अपने मन से कहा मैंने कभी उसे उस नजर से नहीं देखा ना कभी ऐसा सोचा उसके लिए। उसके हाव भाव से भी कभी ये एहसास ना हुआ मुझे.. इन्ही विचारो मे शाम के 6 बज गए। दफ्तर से घर जाने का समय हो गया.. जाते जाते कल की छुट्टी का आवेदन दे आया.. ऐसी बेचैनी मे काम नहीं कर पाता कल.. कल क्या होगा कल क्या कहना है छवि को क्या कहूँगा मैं?? यही सोचते सोचते घर आ गया.. आज मेरे पसंद की भिंडी की सब्जी बनी थी, पर जरा मन नहीं था खाने का.. पर माँ के बार बार कहने पर दो रोटी बड़ी मुश्किल से खायी... सब लोग सोने चले गए पर मेरी आंखो से नींद कोसो दूर थी..बड़ी मुश्किल से सुबह के चार बजे झपकी लगी...बहुत प्यारी लग रही थी छवि उस नीले रंग के सूट में... वो खुले बाल बार बार उसके गाल पर आ रहे थे मुझे देख बाल बांधने लगी मैंने कहा रहने दो ना अच्छी लग रही हो ऐसे ही. पलके नीचे कर मुस्कुराने लगी.. फिर बोली रोशन वो मुझे यह कहना था तुमसे के अब मेरे दिन का चैन रातों की नींद खो गई हैं कही.. मैने कहा छवि तबीयत खराब हे क्या ऐसे क्यू कह रही हो.. बोली रोशन तुम कब बड़े होओगे.. बोली क्या जिंदगी भर मुझे बाल बांधने से रोकोगे.. बुडापे में भी खुले बाल ही पसंद आएंगे क्या.. तुम्हे चाहती हूं मैं... मैं तो जैसे घबरा ही गया कि ये क्या बोल गयीं.. फिर मेरे कान के पास आके बोली हैप्पी बर्थडे रोशन आई लव यू... मैंने कभी पहले तो नहीं सोचा था पर आज जो हम दोनों के बीच बात हुई उससे अजीब सी कड़ी जुड गयी थीं मुझे भी एहसास हुआ कितनी अच्छी लड़की हैं छवि सुंदर संस्कारी मेरी माँ की भाषा में और कितनी प्यारी जैसे बालों वाली बात कहा ले गयी बस मैंने भी उसका हाथ पकड़ा और... हैप्पी बर्थडे टू यू हैप्पी बर्थडे टू यू हैप्पी बर्थडे डियर रोशन माँ पापा भाई मेरे बेड के आसपास खड़े हो ताली बजा रहे थे.. मैंने आँखे मसली फिर समझ आया बेटा तू तो सपना देख रहा था.. फ़िर सबका आशीर्वाद लिया.. और नहाने चला गया.. आज बड़ा अच्छा अच्छा लग रहा था.. बार बार वही नीला सूट आंखो के सामने आ रहा था माँ के साथ मंदिर जाना था माँ तैयार थी मैंने कहा माँ साड़ी अच्छी नहीं है आज मेरे पसंद का रंग पहनो नीले रंग की साड़ी पहनो आज तुम..माँ साड़ी बदलने जाने लगी फिर बोली रोशन तुझे तो भूरा रंग पसंद हैं आज नीला कैसे हो गया.. मैंने कहा माँ चॉइस हैं बदल गयी.. मन्दिर से आने के बाद फ्रेंड्स के साथ मूवी देखने गया सारा दिन बर्थडे सेलिब्रेशन में बीता... छः बजे घर वापिस आया तैयार होने... कल तक जो चिंता का विषय था आज उस पल के लिए काफी उत्साहित था मैं.. फटाफट तैयार हुआ और माँ के पाव पड़ कर निकल गया घर से.. रास्ते में एक फूल वाला दिख गया समझ नहीं आया कौनसे रंग के लूँ पर फिर सफेद गुलाब ले लिए.. रेस्टोरेंट पहुंचा तो मैडम का मैसेज आया ट्रेफिक में है थोड़ा लेट हो जाएंगी.. दो तीन कॉफी पी ली मैंने भी तब तक.. फिर एक दम से पीछे से आवाज आई... बार बार दिन ये आए बार बार दिल ये गाये हैप्पी बर्थडे टू यू... देखा तो छवि बुके लिए खड़ी थी वही नीला सूट खुले बाल..और काजल वाले नैन.. ओह माइ गॉड.. ये वही छवि है जिसे मैंने दो साल मे शायद ढंग से देखा ही नहीं.. मैंने कहा छवि जन्मदिन मेरा है बर्थडे गर्ल तुम लग रही हो.. बोली रोशन मैं सदा ही ऐसी लगती हूं.. मैंने कहा छवि बोलो क्या हुआ ऐसे क्यू मिलना था तुम्हें.. क्या बात है तुम्हारे मन मे.. बोली रोशन मैं वैभव से बहुत प्यार करती हूं और मैं उसके बिना नहीं जी सकती... ऐसा लगा जैसे सपनो का महल बिना बने ही उजड़ गया..मैं झट से बैठ गया तो बोली क्या हुआ तुम खुश नहीं हो क्या मेरी पसंद सुन कर मैंने सोचा कि तुम्हें मैंने एक अच्छा दोस्त और समझदार इंसान समझा हैं इसलिए सबसे पहले तुम्हें बताया है.. पर रोशन मैं वैभव को कैसे कहूं वो तो मेरी तरफ देखता भी नहीं है... पर मुझे पता है कि वो तुम्हारा सबसे अच्छा दोस्त हैं तो तुम उसे मना लोगे.. है ना रोशन.. मैने कहा हां छवि पूरी कोशिश करूंगा.. तो झट बोल पड़ी ना बाबा कोशिश वोशिश नहीं तुम्हें ही करना है ये... बस फिर क्या हम अपने अपने घर आ गए.. दो दिन में जैसे मुझे एक पल ब्रह्मांड की खुशी का एहसास हुआ वही एक पल में पहाड जैसे दुख का झटका लगा है.. क्यू किया ऐसा भगवान् मेरे साथ... ये कैसा खेल था जहां सिर्फ मेरी हार थी.. तभी मेरे अंदर से आवाज आई रोशन दो दिन पहले तक जिस लड़की के लिए तुम्हारे मन में कुछ ना था आज क्या उसी के लिए तुम अपने भाई जैसे दोस्त का घर नहीं बसने दोगे क्या.. माना थोड़ा मुश्किल हे रोशन पर एक तरफ तुम्हारी 20 साल की दोस्ती थी एक तरफ दो दिन का एक तरफा प्यार... चुनाव सिर्फ़ दोस्ती का ही होना था.. अगले ही दिन वैभव से मिलने गया छवि के मन की बात रखी.. वैभव बोला यार अपन प्यार व्यार के लफड़े में नहीं पड़ते बाबा तू तो माँ से मिला दे छवि को माँ राजी तो मैं भी राजी.. देखते देखते दो महीने में दोनों की शादी हो गई.. उस रात मन बहुत बैचैन था मेरा.. खुश थी छवि काफ़ी फिर भी पता नी क्यू.. शायद आज अपने लिए दुखी था पर पहले ही दूसरे शहर में ट्रान्सफर की अर्जी लगा चुका था ताकि कुछ समय माहोल बदल जाए मेरा.. तीन साल बीत चुके थे अब उस बात को माँ का रोज फोन आता है और एक बार तो जरूर कहती हैं कि कोई राजकुमारी मिली मैं हर वक़्त यही कहता कि अभी मेरी राजकुमारी को समय लगेगा.. पूरे तीन साल बाद घर जा रहा था.. पुराने दोस्तो से मिला तो पता लगा कि वैभव और छवि का शादी के छह महीने बाद ही तलाक हो गया था.. वजह किसी को नहीं मालूम थी.. वहा से सीधा वैभव के घर गया... वैभव वैभव नीचे से ही आवाज लगाई.. अरे रोशन मेरे भाई कब आया तू कहता हुआ वैभव नीचे आया.. मैंने कहा वैभव सबसे पहले ये बता छवि कहा है तो बोला मुझे क्या पता कहा है वो मेरा उससे कोई वास्ता नहीं. और ना मुझे मतलब है वो कहा है उससे... मैंने कहा अखिर ऐसा क्या हुआ कि तुमने छह महीने में उसे तलाक दे दिया.. तो बोला वो इसी लायक थी.. आए दिन नाटक थे उसके उस की दिनभर की बाते सुनो.. अगर उससे ना पूछो के आज का दिन कैसा गुजरा तो उसको बुरा लगना... हसी मजाक करना ये सब आठ पंद्रह दिन में फरमाइश के घर से बाहर कही चलो सिर्फ मैं और तुम... जैसे मुझे उसके सिवाय कुछ काम ही ना हो हजार बार कहा उससे घर में माँ का हाथ बटाओ घर संभालो.. फिर नयी जिद ऑफिस जाने की समझा समझा के थक गया की मुझे उसकी नौकरी नहीं पसंद घर में रहा करे मैं हूँ कमाने के लिए पर उससे समझना ही नहीं था बहुत उड़ने का शौक था उसे तो मैंने भी उसे आजाद कर दिया शादी के बंधन से... मैंने कहा वैभव तुम कोहिनूर परख ही नी पाए मेरे भाई कह कर आँख से आंसू पोंछता हुआ फिर छवि के घर गया... चहरे पे सदा हंसी रखने वाली छवि की आँखों में काफी नमी थी कभी बाल नहीं बांधने वाली छवि जुड़ा बनाए थी.. जैसे ही मैंने उसे पुकारा छवि मुझसे गले लग कर जोर जोर से रोने लगी कहने लगी रोशन मुझे नहीं मालूम था वैभव ऐसी मानसिकता का इंसान हे मैंने उसे सदा हँसता मुस्कुराता देखा तो कभी लगा ही नहीं कि वो सब दिखावा हैं बहार की महिला के लिए वो खुले विचारों का हे अपनी पत्नि के लिए नहीं.. फिर भी मैंने उसे काफी समझाया पर उसे जैसे कोई बंधन नहीं चाहिए था.. फिर बाबा की तबीयत भी ठीक नहीं रहती थीं तो मैंने भी तलाक के कागज साइन कर दिए... गहरी चिंता में खोया था मैं के मैने अपने ही हाथों उसकी बर्बादी लिख दी.. एक बार मैं वैभव का मन पड़ लेता तो ऐसा नहीं होता.. बहुत उथल पुथल चली मन में.. पर आज कलेजा कर बोल ही दिया उससे आई यम सॉरी छवि बट आई लव यू... आज से नहीं पहले से काश मैं तुम्हें तब ही बता देता पर शायद तब तुम्हारा प्यार वैभव के लिए इतना गहरा था के तुम कुछ समझ नहीं पाती... क्या तुम मुझसे शादी करोगी... छवि बिल्कुल शांत खड़ी थी मैंने कहा मुझसे कुछ गलती हो गई क्या तो कहने लगी नहीं गलती मुझसे हुई जो मैं जीवन के फूल और धूल में अन्तर ना कर पायी पर रोशन क्या तुम्हारे घरवाले मानेंगे लोग कहेंगे एक तलाकशुदा ही क्यू मिली तुम्हें... मैंने कहा छवि कोई क्या कहता मुझसे इससे कोई मतलब नहीं है रही मेरे घर की बात तो ये मेरे ही घर के संस्कार बोल रहे हैं.. तुम्हारी क्या राय है बस ये बताओ.. उसने मेरे पाव पड़ लिए मैंने कहा पगली ये क्या कर रही है फिर वो भी हंस पड़ी.. मेरे घरवाले मेरे फैसले से सहमत थे शुरू शुरू मे समाज के कुछ लोग ताना कसते थे पर हम दोनों ने जमाने का हमेशा साथ सामना किया... आज हम शादी के 10 साल बाद भी उतने ही खुश हैं और आज भी छवि खुले बालो में और नीले सूट में बड़ी गजब लगती है... 


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