shivam singh

Tragedy

3  

shivam singh

Tragedy

वो लौट के आएगी...

वो लौट के आएगी...

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केशव एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाला साधारण का लड़का था। उसके पिताजी एक कॉलेज में किरानी का काम करते थे। उनके कुछ खेत भी थे जिनमें अक्सर वो घूमने और काम करने जाया करता था।

गाँव के स्कूल से ही 10वी की परीक्षा देने के बाद पारिवारिक स्थिति सही नहीं होने के कारण वह ट्यूशन पढ़ाने लगा। इसी क्रम में उसने एक निजी स्कूल जॉइन किया जहां उसकी मुलाकात कोमल से हुई।

         उसके बारे में जितना लिखा जाए वो कम है। हिरणी सी बल खाती उसकी कमर, बादल से घुंघराले काले बाल, झील सी गहरी आंखें, जिनमें डूब जाने का मन करता था। गुलाब की पंखुड़ियों जैसे गुलाबी होंठ जिन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता था मानो प्रकृति ने अपनी सारी आभा उस रूप में ढाल दी हो।

     कोमल उस समय छठी कक्षा में ही पढ़ती थी। उसे देखते ही केशव को पहली नज़र में उस से प्यार हो गया। उस समय वो पानी पीने नीचे आयी हुई थी। केशव ने धड़कते दिल से उसके पास जाकर प्रिंसिपल चैम्बर का रास्ता पूछा। कोमल ने बिना कुछ बोले अपने बाएं हाथ से दूसरी तरफ इशारा किया। केशव ने एक नज़र उसे देखा और वह प्रिंसिपल के कमरे की तरफ चल पड़ा। प्रिंसिपल के चैम्बर में पहुंच कर 

  "मे आई कम इन मैम"?

  "यस , प्लीज् कम इन"

  " हेलो मैम, माइसेल्फ केशव "

हाथ आगे बढ़ाते हुए केशव बोला

जी कहिये, प्रिंसिपल कहती हैं।

  मैम मैं आपके विद्यालय में अध्यापन का कार्य करना चाहता हूं। ये मेरे एजुकेशनल क्वालिफिकेशन सर्टिफिकेट हैं। हाथ में पकड़े फ़ाइल को आगे बढ़ाते हुए केशव बोला....

 कुछ देर तक सारे सर्टिफिकेट को देखने के बाद प्रिंसिपल बोली" मिस्टर केशव आपके क्वालिफिकेशन तो कुछ ज्यादा नहीं हैं तो आप जूनियर क्लासेस में क्लास ले सकते हैं। 

और उस दिन उसे क्लास में भेज दिया गया। दो पीरियड खत्म होने के बाद उस दिन स्कूल में एक शिक्षक के अनुपस्थित होने का कारण उसे छठी कक्षा में भेजा गया। वहां कोमल दूसरे नम्बर बेंच पर बैठी हुई थी। उसे देखते ही केशव के दिल की धड़कनें बढ़ गयी। कक्षा में जाकर एक किताब हाथ में लेकर उस किताब से अपना चेहरा ढंक कर उसने जो बोलना शुरू किया तो बेल बजने पर ही रुका। बीच बीच में वह कोमल का चेहरा भी देख लेता था। पर उसका चेहरा देखते ही वह बोलना भी भूल जाता था। इस तरह पहला दिन किसी तरह बीता।

 बच्चों से क्लास का feedback लेने पर पता चला कि बच्चों को क्लास अच्छा लगा था। इसलिए केशव का दो पीरियड उस क्लास में फिक्स कर दिया गया।

 धीरे धीरे समय बीतने लगा। और वे सब एक दूसरे से बहुत घुल मिल गए। उम्र में ज्यादा फर्क नहीं होने कारण उनके बीच दोस्ताना सम्बन्ध स्थापित हो गया था। साथ में बातें करना, लंच करना , खेलना सभी काम होने लगे थे। फिर भी इन दोनों के बीच दूरियां अभी कायम थी। दोनों ही एक दूसरे से आमने सामने बात करने में झिझकते थे। फिर भी दोनों एक दूसरे के साथ शरारतें किया करते थे। 

    फिर इसी तरह दो वर्षों का समय व्यतीत हो गया। अब दोनों एक दूसरे को दिल से पसन्द करने लगे थे। एक दूसरे को देखे बिना रह नहीं पाते थे। किसी भी बहाने से वो इसके क्लास में आ जाती थी या फिर ये उसके क्लास में , बस दोनों को एक दूसरे को देखने का बहाना चाहिए होता था। दोनों समझ चुके थे कि अब हमारे बीच प्यार पनप चुका है पर इज़हार करने से दोनों डरते थे। 

    वो स्कूल 8वी कक्षा तक ही था , परीक्षा नजदीक आ रही थी ।और इनके दिल की घबराहट बढ़ती जा रही थी। फिर आखिर वो दिन आ ही गया। परीक्षा हुई ,परिणामों को घोषणा हुई । वह अच्छे ग्रेड से पास हुई। सभी बहुत खुश थे परंतु दोनों के दिल रो रहे थे। उन्हें अच्छी तरह पता था ये अब शायद उनका आखिरी मिलन है। फिर कोमल घर जा रही थी, और केशव उसे देखे जा रहा था। उसका तो मन हो रहा था कि उसे वही रोक ले अपने सीने में छुपा ले और कहीं जाने नहीं दे, पर ऐसा करना सम्भव नही था। उसकी आँखों में आंसू भर आये पर उसने किसी तरह से अपने आंसू रोके। छुट्टी हुई और वो नदी के किनारे अकेले में जाकर फफक- फफक कर रोया। इतना रोया ,जितना उसने अपने लाइफ में कभी नहीं रोया था।

 उसके बाद कई महीने बीत गए। उनसे न तो कोमल को देखा न ही उस से कोई बात हुई। वह बस दिन भर उसे याद करते रहता था। उसने स्कूल जाना भी छोड़ दिया था। उसकी तो जैसे दुनिया ही उजड़ गयी थी।

  फिर कुछ दिनों बाद जब शाम के वक्त वह नदी के किनारे बैठा उसकी यादों में खोया हुआ था। तभी उसके फ़ोन की रिंग बजी। उसने फ़ोन उठाकर अनमने ढंग से कहा,

"हेलो, कौन"

उधर से एक मधुर सी आवाज़ आयी," नहीं पहचाना, मैं कोमल"

यह सुनते ही उसके दिल ने तो मानो धड़कना बन्द कर दिया। वह तो बस वैसे ही फ़ोन कान में लगाये बैठा रह गया। उसके मुंह से एक आवाज़ नहीं निकल रही थी।

उधर से आवाज़ आयी "हेलो, सुन रहे हैं। " तब जा के इसकी तंद्रा टूटी

फिर दोनों में कुछ समय के लिए बातें हुईं। फिर कोमल ने फ़ोन रख दिया।

उस दिन वह बहुत खुश था। जिसे वह दिन रात याद करता रहता था, आज उस से बात जो हुई थी।

  फिर इसी तरह समय बीतता गया। पर वो कोमल को भुला नहीं पा रहा था। उसे दिन रात उसकी जुदाई खलती रहती थी। फिर बहुत दिनों तक उसकी उससे कोई बात चीत नहीं हुई फिर भी वह बस उसका इंतज़ार करता रहता था। इसी तरह 3 वर्ष बीत गए। अब कोमल 10 वी में जा चुकी थी। अब वह पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो चुकी थी। फिर 10वी की परीक्षा में वह फर्स्ट क्लास से पास हुई। और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए एक शहर जाने लगी। वहां से उस शहर की दूरी यही कोई 10-15 किलोमीटर थी तो वह रोज़ घर से ही आती जाती थी। इसी क्रम में एक दिन उसकी मुलाकात फिर से केशव से हुई। एक दूसरे को देखकर दोनों बड़े खुश हुये। फिर दोनों में बाते हुई। दोनों में अपना मोबाइल नम्बर एक दूसरे को दिया और अब रोज़ रोज़ बातें होने लगी। धीरे धीरे बात करते हुए एक दिन आखिरकार दोनों ने एक दूसरे को प्रोपोज़ कर दिया।

 धीरे धीरे उनका प्यार परवान चढ़ने लगा। दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे। साथ जीने मरने की कसमें खा चूके थे। अक्सर दोनों एक दूसरे से मिला करते थे। कभी मंदिर में तो कभी मॉल में। दोनों ने साथ मिल कर बहुत से सपने देखे । उनका यही इरादा था कि दोनों अपने अपने लाइफ में अपना कैरियर बना के तब शादी करेंगे ।

  पर किस्मत को कुछ और ही मजबूर था। एक दिन फ़ोन पर बात करते समय कोमल के पिताजी ने उसे देख लिया और बात उसके घर में सबको पता चल गयी। मार पीट करने के बाद उसकी शादी ज़बरदस्ती कहीं और करा दी गयी। उसकी याद में केशव अपना मानसिक संतुलन खो बैठा। अब वो बस अकेला बैठा रहता है, शून्य में देखता रहता है, कोमल को याद करता रहता है। उसे अब भी उसका इंतज़ार है। शायद वो फिर से लौट आये...............


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