वो झूठी
वो झूठी
"भाभी मेरी जिंदगी कैसे कटेगी मैं तो अभी तीस की ही हूं।"रोमा हर दूसरे तीसरे दिन यह बोलकर अक्सर मेरा ध्यान अपनी तरफ खींच लेती जब मैं अखबार पढ़ने में व्यस्त होती और मै वैसे ही अखबार में से मुंह ऊपर उठाकर कहती "तो दूसरी शादी क्यूं नही कर लेती" तब एकदम कह उठती " नही , मैं दूसरी शादी नही करूंगी मेरे रोहित को कोई दूसरा बाप कैसे झेलेगा " मैं भी उसकी हां में हां मिलाते हुए कहती " तुम्हारी बिटिया भी तो बड़ी हो रही है " तो कहती " भाभी मुझे रोहित की चिंता है अभी तो बारह साल का ही है पर गुस्से वाला है वो नही सहन करेगा । " इस तरह अक्सर खुद ही अपने अकेलेपन का रोना रोती और बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे बात को खत्म भी कर देती । मैं भी यह कहकर फिर से अखबार आंखों के आगे कर लेती कि कोई बात नही इंतजार करो तुम्हारे पति ही वापिस आ जायेंगे। पर उसकी आपबीती जारी रहती की वो अब वापस आयेंगे भी तो मैं आने नही दूंगी मैं भी हँसकर कहती "" दोबारा शादी भी न करेगी पहले वाला आयेगा तो उसे आने भी नहीं देगी आखिर तू चाहती क्या है ? "बस भाभी मेरे बच्चे पढ़ लें ,मुझे और कुछ नहीं चाहिए। कहकर एक दो आँसू बहाती और मैं भावुक होकर उसे कुछ दे देती । जैसे मेरे बच्चों के एक दो बार पहने हुए कपड़े या फिर पुराना इलेक्ट्रानिक्स का सामान । जब भी हमने नया टी वी ,फ्रिज ,बच्चों की साइकिल ,स्मार्ट फोन ,वाशिंग मशीन मिक्सी खरीदे ,तब पुरानों की वो आप ही हकदार बन गई । माली और ड्राइवर को तो उसने भनक भी नहीं लगने दी ,जबकि संजय चाहते थे कि कुछ सामान मैं ड्राइवर या माली को भी दूँ । वे कहते 'सुमि |तुम हर पुराना सामान रोमा को दे देती हो कुछ तो रवि या हरपाल को भी दे दिया करो वो भी तो मन से काम करते हैं । तब मैं बड़े उत्साह से कह उठती "रवि और हरपाल तो समर्थ हैं ,सुखी है अपने परिवार में । रोमा और उसके बच्चों को अगर हमारी पुरानी चीजों से कुछ खुशी मिलती है तो मिलने दो । संजय हर बार यही कह कर रह जाते ' वो तुम्हारा ईमोशनल ब्लैक्मैल कर रही है और तुम हो रही हो । संजय हमेशा सही तो नहीं होते पर इस बार उनकी ही बात सही निकली । हुआ यूं कि रोमा एक दिन काम पर नहीं आई । और अगले दिन आई तो बहुत उदास थी । मेरे पूछने पर रुआन्सी होकर बोली 'मेरा मन नहीं लगता भाभी ,मैं क्या करूँ ।' मेरा भावुक मन इस बात से ही पिघल गया और मैंने उसे दो दिन की छुट्टी देते हुए कहा 'जा ,जी ले अपनी जिंदगी , अपने बच्चों के साथ कहीं घूम आ । मेरे ऐसा कहते ही उसका चेहरा खिल गया और मैं अगले दो दिन इस उत्साह मे बर्तन माँजते धोती रही कि मैंने एक अच्छा काम किया 'कभी कभी भलाई करने का मन में अहंकार आ जाता है 'और रोमा नहीं चाहती थी कि मैं जरा सी भी अहंकारी बनूँ ' हुआ यूं कि जब दूसरे दिन की शाम तक मैं बर्तन धोते ,झाड़ू पोंछा करते बुरी तरह थक गई तो मैंने संजय से कहा कि चलो अब बहुत हुआ आज मैं शाम को डिनर मैं कुछ नहीं बनाऊँगी शिप्रा में अच्छी फिल्म लगी है फिल्म भी देखेंगे और कहना भी बाहर ही खाना खाकर आ जाएंगे ' ॥ बच्चे उस दिन अपनी नानी के यहाँ रहने के लिए गए थे ।
फिल्म के दौरान कुछ हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं । मैंने पीछे घूम कर देखा दो स्त्री पुरुष एक दूसरे के गले में बाहें डाले बैठे अपने में ही मस्त थे । मुझे आवाज कुछ जानी पहचानी लगी तब मैंने फिर पीछे घूम कर देखा ,रोमा ही थी । किसी अजनबी के कंधे पर सिर रखे हुए मजे में फिल्म देख रही थी और वो आदमी भी बड़े प्यार से उसे सहला रहा था संजय ने मुझे पीछे मुड़कर बार बार देखते हुए देखा तो उन्होंने भी पीछे मुड़कर जो देखा उसे देखकर वे भी हैरान रह गए
फिल्म खत्म होने पर हम जब बाहर आए तो रोमा मजे में उस आदमी के गले में बाहें डाले निकाल रही थी मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ । मैंने रास्ते में अपने ड्राइवर रवि से पूछा कि क्या रोमा का पति वापिस आ गया तो वह भी हंसने लगा और बोला "मैडम 'आप भी उसकी बातों में आ गई |रोमा ने तो कब का दूसरी ओहो |नहीं ,तीसरी भी शादी बनाया । उसका तो तीनों शादियों से एक एक बच्चा है ,,रोहित , गुड़िया और शिल्पा । संजय ने जिस नजर से मुझे देखा मैं अपने में ही सिमटकर रह गई । आखिर क्यूँ थोड़ी सी अतिरिक्त कमाई , पुराने टी वी ,फ्रिज, साइकिल व छुट्टियों के लिए रोमा ने मुझसे झूठ बोला ?
