वड़वानल - 72

वड़वानल - 72

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‘‘हमने किन परिस्थितियों में आत्मसमर्पण का निर्णय लिया यह मुम्बई के लोगों को मालूम होना चाहिए इसलिए हमें अपना निवेदन अख़बारों को भेजना चाहिए। ‘नर्मदा’ से जहाजों और नाविक तलों को सन्देश भेजकर अपना निर्णय सूचित करना चाहिए।’’ दास ने खान को सुझाव दिया।

‘‘नौसैनिकों की सेन्ट्रल कमेटी हिन्दुस्तान की जनता को, ख़ासकर मुम्बई की जनता को सूचित करना चाहती है कि कमेटी ने अपना संघर्ष पीछे लेने का निर्णय लिया है। सरदार पटेल से हुई चर्चा के बाद कमेटी ने यह निर्णय लिया है। पटेल ने सैनिकों से यह वादा किया है कि सैनिकों के पीछे हटने के बाद संघर्ष में शामिल किसी भी सैनिक पर सरकार बदले की कार्रवाई नहीं करेगी, इसका ध्यान कांग्रेस रखेगी। साथ ही सैनिकों की न्यायोचित माँगों को वरिष्ठ अधिकारियों के सामने रखा जाएगा। कांग्रेस सैनिकों का पक्ष लेगी इस विश्वास और बैरिस्टर जिन्ना के सैनिकों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण निवेदन को ध्यान में रखते हुए हम अपना संघर्ष पीछे ले रहे हैं।‘‘हालाँकि हम अपना संघर्ष पीछे ले रहे हैं, फिर भी कमेटी वरिष्ठ नौदल अधिकारी, सरकार, सामान्य जनता और विभिन्न पक्षों के नेताओं, विशेषत: सरदार वल्लभभाई पटेल और बैरिस्टर जिन्ना को चेतावनी देती है कि यदि सरकार ने अथवा अधिकारियों ने संघर्ष में शामिल एक भी सैनिक पर बदले की कार्रवाई की अथवा उनका दमन किया तो नौसैनिक बर्दाश्त नहीं करेंगे। वे फिर से नये सिरे से अपना संघर्ष आरम्भ कर देंगे।

‘‘सेन्ट्रल कमेटी मुम्बई की जनता, विशेषत: मज़दूरों, विद्यार्थियों और नागरिकों के प्रति एक बार फिर से आभार प्रकट करती है। पिछले दो दिनों में हमारे प्रति सहानुभूति दर्शाते हुए आपने सफ़लतापूर्वक जो बन्द, हड़ताल आदि किये इसके लिए बहुत–बहुत धन्यवाद। नागरिकों के इस कदम से सैनिक समझ गए कि उनके संघर्ष के पीछे योग्य एवं न्यायोचित कारण हैं, और सामान्य जनता ने इसे मान्यता दी है। आपके इस कार्य ने सैनिकों का मनोबल ऊँचा उठाया था।

‘‘इस संघर्ष के दौरान जो सैकड़ों निरपराध नागरिक अपनी जान गँवा बैठे, उस शोक में मुम्बई की जनता के साथ कमेटी और नौसैनिक शामिल हैं। इन निरपराध लोगों पर जिन ब्रिटिश सैनिकों ने पाशविक और अमानवीय गोलीबारी की और पूरी मुम्बई को खून में नहला दिया उनका और सरकार का हम तीव्र निषेध करते हैं। यह पाशविक गोलीबारी हिन्दुस्तान के इतिहास में अभूतपूर्व थी।‘‘

और, अब हमारा साथ दे रही जनता के प्रति कृतज्ञता।

‘‘आप हमारे पक्ष में खड़े रहे। हम भूखे थे तब अपने मुँह का निवाला निकाल कर हमें दिया। अगर आपने हमें समर्थन न दिया होता, जुलूस न निकाले होते तो हमारा संघर्ष, हमारे संघर्ष का उद्देश्य हमारे ही खून की नदी में डूब जाता। सरकार और नौदल के अधिकारियों ने यदि हम पर बदले की भावना से कार्रवाई की और हमें सज़ा दी तो हम फिर से संघर्ष करेंगे। हमारी आपसे विनती है कि सरदार पटेल ने हृदयपूर्वक जो वचन हमें दिया है वह पूरा हो इसलिए आप भी हमारे कन्धे से कन्धा मिलाकर लड़ाई की तैयारी रखें.

‘‘हम सैनिक आपको और आपके द्वारा दिए गए समर्थन को कभी न भूलेंगे। हमें यकीन है कि आप भी हम सैनिकों को नहीं भूलेंगे।

‘‘हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान के लोग चिरायु हों। हिन्दुस्तान को जल्दी ही स्वतन्त्रता मिलेगी इसका हमें यकीन है। जय हिन्द!’’  

उन्होंने निवेदन पूरा किया। खान ने उसे और एक बार पढ़ा। उसके चेहरे पर समाधान था। निवेदन पर हस्ताक्षर करके उसने उसे भेजने सम्बन्धी सूचनाएँ दीं। खान ने घड़ी की ओर देखा। और पन्द्रह मिनट हाथ में थे। वह जल्दी–जल्दी बाहर निकला। रास्ते पर एक–एक हाथ की दूरी पर सशस्त्र ब्रिटिश सैनिक खड़े थे। रास्ते से गुज़रने वाले हर व्यक्ति से पूछताछ की जा रही थी। डॉकयार्ड से बाहर आते ही खान को एक ब्रिटिश सैनिक ने रोका, उसका परिचय–पत्र देखा, पूछताछ की और इसके बाद ही आगे जाने दिया। डॉकयार्ड से कुछ ही अन्तर पर एक टैंक कभी भी हमला करने की तैयारी में खड़ा था। ऐसे ही टैंक्स ‘कैसल बैरेक्स’ और ‘फोर्ट बैरेक्स’ के प्रवेश द्वारों के सामने भी खड़े थे। अंग्रेज़ों का उद्देश्य स्पष्ट था। यदि छह बजे तक नौसैनिकों ने अपना संघर्ष पीछे नहीं लिया तो तोपों की मार से नौसैनिकों को हराना और सैनिकों को बन्दूकों के ज़ोर पर आत्मसमर्पण को मजबूर करना।

‘हमारा निर्णय योग्य है। वरना...’ खान परिणामों की कल्पना से भी काँप रहा था।

फॉब हाउस में गॉडफ्रे और रॉटरे खान की राह देख रहे थे।

''So, what is your decision?'' रॉटरे के शब्दों से हेकड़ी की बू आ रही थी।

‘‘हमने बिना शर्त आत्मसमर्पण का निर्णय लिया है।’’ खान ने शान्त आवाज़ में कहा।

''That's good!'' गॉडफ्रे अपने चेहरे की खुशी छिपा नहीं सका।

‘‘हम आत्मसमर्पण तुम्हारी धमकियों से डरकर नहीं कर रहे हैं। तुम्हें करारा जवाब देने की हिम्मत अभी भी हममें है। हम आत्मसमर्पण कर रहे हैं राष्ट्रीय नेताओं की अपील के जवाब में, और हम आत्मसमर्पण तुम्हारे सामने नहीं, बल्कि मुम्बई की जनता और हिन्दुस्तान की जनता के सम्मुख कर रहे हैं, जिसने हमारा साथ दिया, अनेकों ने बलिदान दिये। हमारा संघर्ष यदि चलता रहा तो हज़ारों निरपराध जानें जाएँगी। हम ऐसा नहीं चाहते इसलिये हमने आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया है।’’ खान तनी हुई गर्दन और गर्व से कह रहा था। उसकी आवाज़ में और उसके शब्दों में पछतावे का लेशमात्र भी पुट नहीं था।

आत्मसमर्पण के निर्णय का जो स्पष्टीकरण खान ने दिया उसे सुनकर दोनों अवाक् रह गए। उन्होंने सोचा था कि उनकी धमकियों से डरकर सैनिक क्षमायाचना करते हुए पीछे हटेंगे। मगर वैसा कुछ भी नहीं हुआ था।

‘‘रस्सी जल गई,  मगर बल नहीं टूटा!’’ रॉटरे बड़बड़ाया।

‘‘ठीक है। हमारी नज़र में तुम्हारा आत्मसमर्पण महत्त्वपूर्ण है। जैसे कि तुम्हें पहले सूचना दी थी, जहाज़ों और नाविक तलों पर काले अथवा नीले झण्डे चढ़ाओ और फॉलिन हो जाओ। जहाज़ों के सैनिक मुम्बई की ओर मुँह करके खड़े होंगे। इसके बाद आत्मसमर्पण की सारी औपचारिकताएँ पूरी की जाएँगी।’’ गॉडफ्रे ने सूचना दी और वह पलभर को रुका। ''You may go now.'' उसने खान को करीब–करीब वहाँ से भगा दिया। बाहर निकलते हुए खान पलभर को दरवाज़े के पास रुका। उसने पीछे मुड़कर देखा और दोनों को चेतावनी दी:

‘‘आत्मसमर्पण करने के बाद यदि सैनिकों के साथ बुरा सुलूक किया गया तो दुबारा संघर्ष करने का और विद्रोह करने का अधिकार हमने सुरक्षित रखा है।’’ और दनदन पैर रखते हुए वह बाहर निकल गया। उसकी हर भावभंगिमा में आत्मविश्वास झलक रहा था। 

 ‘‘कल की मीटिंग में अनेक जहाज़ों और नाविक तलों के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं थे। उनकी जानकारी के लिए; और कोचीन, कलकत्ता, कराची, जामनगर आदि नाविक तलों के और समुद्र में मौजूद जहाज़ों के सैनिकों ने हमारे साथ ही विद्रोह किया था - उन्हें अपना निर्णय बताना होगा। वरना नौदल अधिकारियों द्वारा भेजे गए आत्मसमर्पण के सन्देश पर वे कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।’’ दत्त का सुझाव सही था।

खान ने मैसेज पैड अपने सामने खींचा और वह सन्देश लिखने लगा:

‘‘सुपर फ़ास्ट – 230600 - प्रेषक सेंट्रल स्ट्राइक कमेटी – प्रति - सभी जहाज़ और नाविक-तल = सेन्ट्रल स्ट्राइक कमेटी ने पूरी तरह विचार करने के बाद बिना शर्त आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया है। यदि हमने आत्मसमर्पण नहीं किया तो गॉडफ्रे ने हवाई हमला करके पूरी नौसेना को नष्ट करने की धमकी दी है। वह अपनी धमकी उपलब्ध रॉयल एअर फोर्स से हवाई जहाज़ों और मुम्बई बन्दरगाह के बाहर खड़े रॉयल नेवी के क्रूज़र ग्लास्गो की सहायता से पूरी करेगा। हमारे संघर्ष के दौरान पिछले दो दिनों में करीब तीन सौ निरपराध नागरिक मारे गए और पन्द्रह सौ ज़ख़्मी हो गए। यदि हम अपना संघर्ष जारी रखते हैं तो शहीद होने वालों और घायलों की संख्या बढ़ती ही जाएगी। निरपराध नागरिकों के जीवन से खेलने का हमें कोई अधिकार नहीं है। याद रखिये,  हम डर के अंग्रेज़ों की शरण में नहीं जा रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेताओं द्वारा की गई अपीलों के जवाब में कर रहे हैं। इन नेताओं ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि आत्मसमर्पण के बाद विद्रोह में शामिल सैनिकों पर बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की जाएगी। उनके वादे पर विश्वास करते हुए इस संघर्ष को पीछे लेने का निर्णय किया है। फ्लैग ऑफिसर बॉम्बे से सूचना प्राप्त होने पर जहाज़ों और नाविक तलों पर काले या नीले झण्डे चढ़ाए जाएँगे और नाविक तलों तथा जहाज़ों के सैनिक फॉलिन होंगे। जहाज़ों के सैनिक मुम्बई की दिशा में मुँह करके खड़े हों। इसके बाद आत्मसमर्पण की औपचारिकताएँ पूरी की जाएँगी=

सन्देश ‘नर्मदा’ के सिग्नल ऑफ़िस को सौंप दिया गया।

‘‘अब, आत्मसमर्पण की प्रक्रिया आरम्भ होने से पहले एक महत्त्वपूर्ण काम पूरा करना है,” दत्त ने खान से कहा।

‘‘कौन–सा काम?’’

‘‘यहाँ आते हुए हम अपने विद्रोह सम्बन्धी कागज़ात साथ लाए थे। यहाँ आने के बाद उनकी संख्या बढ़ी ही है। इन कागज़ातों में हमारी बैठकों के नोट्स हैं, समय–समय पर भेजे गए सन्देश हैं, नाविक तलों और जहाज़ों के प्रतिनिधियों के नाम हैं और कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी है। ये सब अगर सरकार के हाथ पड़ गया तो सरकार उसका दुरुपयोग करेगी। सभी को तकलीफ़ होगी। हमें यह सब जला देना चाहिए।’’ दत्त के सुझाव को सबने मान लिया।

उन्होंने अपने काग़ज़ातों की होली जलाई। हर काग़ज को आग में डालते समय उनकी आँखें डबडबा जातीं। कल तक जिन काग़ज़ों को जान से भी ज़्यादा सँभालकर रखा था आज उनकी कीमत कौड़ियों जितनी हो गई थी। दिल के कोने में सहेजकर रखे कल की आज़ादी के सपने भी इन काग़जों के साथ जलकर ख़ाक हो गए थे। बची थी वास्तविकता की चुटकीभर राख। अपनी हार के और गलतियों के सुबूत उन्होंने जला दिए थे। उनकी नज़रों में अब सब कुछ ख़त्म हो गया था। पाँच दिन चले भीषण नाटक का परदा गिर चुका था। अब निडरता से भविष्य का सामना करना था।

वातावरण में एक अजीब उदासी थी। तूफ़ान के बाद जैसी शिथिलता आ जाती है वैसी ही शिथिलता छाई थी। हवा चल रही थी। मास्ट पर चढ़ाए गए कांग्रेस, मुस्लिम लीग और कम्युनिस्ट पक्ष के झण्डे सिमटे पड़े थे। उन्हें भी अपने भविष्य का ज्ञान हो गया था।

सुबह के सात बजकर पैंतीस मिनट हुए। फ्लैग ऑफ़िसर बॉम्बे का एक सन्देश सभी नाविक तलों और जहाज़ों के लिए ट्रान्समिट किया गया:

 ‌- प्रति - ‌R.I.N. जनरल = 001 R.I.N.G. सब जहाज़ और नाविक तल काला अथवा नीला झण्डा चढ़ाकर जहाज़ों या नाविक तलों पर शान्त रहें। =

भारी मन से सैनिकों ने जहाज़ों से तिरंगे, हरे और लाल झण्डे नीचे उतारे। झण्डे नीचे उतारते समय कुछ लोग अपने आँसू नहीं रोक पाए। एक के बाद एक जहाज़ों से झण्डे उतारे गए। सभी जहाज़ों और तलों पर उदासी छा गई। सैनिक एक–दूसरे के गले लग रहे थे, रो रहे थे, चिल्ला रहे थे। हार को स्वीकार करना उन्हें बहुत मुश्किल लग रहा था। कुछ देर बाद इस आघात से सँभलकर सैनिक जहाजों की अपर डेक पर फॉलिन हो गए। जैसे ही आठ बजे ब्रिटेन का नौसेना ध्वज सभी जहाज़ों पर तामझाम के साथ चढ़ाया गया। आठ बजकर पाँच मिनट पर रॉटरे ने फ़ास्ट मोटर बोट से गेटवे ऑफ इण्डिया से डॉकयार्ड तक एक चक्कर लगाकर सभी जहाज़ों का निरीक्षण किया।

ब्रिटिश अधिकारियों ने जहाज़ों और नाविक तलों पर कब्ज़ा किया और जहाज़ की चीज़ों की गिनती शुरू की।

‘‘कमांडिंग ऑफ़िसर ‘कैसल बैरेक्स’ रिपोर्ट कर रहा हूँ। नाविक तल पर मौजूद अस्सी हजार रुपये नगद, कोड–बुक्स और जहाज़ की अन्य सम्पत्ति को ज़रा–सा भी नुकसान नहीं हुआ है।’’

‘‘कमांडिंग ऑफिसर ‘तलवार’ रिपोर्ट करता हूँ। लॉग–बुक्स, सिग्नल कोड–बुक्स, आर्म्स, स्टोर्स और अन्य वस्तुएँ सुरक्षित हैं ।’’

जहाज़ों और नाविक तलों को अपने अधिकार में लेने के बाद हर जहाज़ का कमांडिंग ऑफिसर रॉटरे को रिपोर्ट कर रहा था। कुछ जहाज़ों के गोला–बारूद का इस्तेमाल सैनिकों ने किया था। बाकी जहाज़ों की या नाविक–तल अथवा जहाज़ छोड़कर जा चुके अधिकारियों की चीजों को किसी ने भी हाथ तक नहीं लगाया था।

‘‘ये सारी रिपोर्ट्स ज़ाहिर न होने देना। हमें इस तरह के आरोप करने चाहिए कि "सैनिकों ने कैंटीन लूटीं, स्टोर्स के ताले तोड़े।’’ रॉटरे ने सभी कमांडिंग ऑफिसर्स को धमकाया।


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