वायरस
वायरस
आज के इस वैज्ञानिक युग में हम सभी मुख्य रूप से विज्ञान पर निर्भर हो गये है ।अपनी पारम्परिक शैली से दूर होकर रात दिन रासायनिक प्रयोग करते हैं।खान पान से लेकर हर वस्तु जो हमारे आस पास या थाली में आ रही है वह केवल रासायनिक पदार्थ से बनी होती है जो दिन प्रतिदिन शरीर को खोखला कर रही है और नये नये रोगो को जन्म दे रही है।हमें आज नहीं तो कल अपनी जैविक महत्व को समझना होगा पर्यावरण संतुलन को समझना होगा और रासायनिक प्रयोगों से बचना होगा।तभी हम वायरस जैसी चीजों से बच सकते हैं वरना न जाने करोना जैसे कितने वायरस आते रहेगे और हम रोज नये रोग से ग्रसित होते रहेंगे।
आज की भागदौड़ की जिन्दगी में खुद के घरों और जमीन के चक्कर में इन्सान अपने उसूलों को भूलकर अपने आसपास रह रहे जानवरों का घर उजाड़ता चला गया। पेड़ पौधे जंगल सब को काटकर खुद उसमें रहने लगे हैं । पक्षी हो अथवा जानवर सभी जंगलों से हटकर इन्सानो की बस्ती में रहने को विवश हुए हैं जिसके कारण उनके विकारों से उत्पन्न अनेक तरह के कीटाणु इन्सान के संपर्क में आते हैं उन्हीं में से एक है करोना वायरस।जो इंसानो को ना सिर्फ निगल रहा है बल्कि दुनिया के लिए एक गंभीर संकट वो भी खतरो के साथ उत्पन्न कर चुका है। जिसका इलाज वर्तमान समय में मुश्किल साबित हो रहा है और प्रभावित लोगों के लिए प्रभावित देश की सरकार और दुनिया इस महामारी पर काबू पाने के लिए दिनरात एक किये हुए हैं।