तू चीज़ बड़ी है मस्त...
तू चीज़ बड़ी है मस्त...
"बीस रूपया साब." - चाय वाले ने कहा.
"अबे, तू चाय पिला रहा है या अमृत ? यह ले दस रूपये."
- उस लड़के ने दस का नोट चाय की गुमटी पर रख दिया और चाय की चुस्कियाँ लेते हुए सामने बने गर्ल्स कॅालेज की लड़कियों को आते - जाते हुए ताकने लगा।
"चुम्मा - चुम्मा दे दे, चुम्मा - चुम्मा दे दे जुम्मा।"
- यह तीसरी बार था, जो चाय की गुमटी वाला अपनी दुकान से सटकर खड़े उस आवारा लड़के का रेडियो सुन रहा था। जब भी कोई लड़की गुज़रती, उसका रेडियो चालू ! पर चाय वाले को क्या? उसकी तो चाय बिक रही थी, बोनी का टाइम था।
"हाय, ये पीला रंग, क्या लग रही है यह !" - पीले रंग का सलवार - सूट पहने हुई एक लड़की को गुज़रते देख, वह लड़का बुदबुदाया. बस, उसका भद्दा रेडियो पुन: चालू,
"तू चीज़ बड़ी है मस्त - मस्त, तू चीज़ बड़ी है मस्त..."
लड़की ने पलटकर देखा, वह बेशर्मी से मुस्कुरा दिया. लड़की भी मुस्कुराती हुई उसकी ओर बढ़ी...
"हैलो जी..." - लड़के के मन में लड्डू फूट रहे थे.
"हाय...!" - लड़की के जवाब पर निकली उसी लड़के की चीख थी; कराटे में ब्लैक बेल्ट उस लड़की की कराटे किक ऐसी जगह लगी थी कि लड़का स्पष्ट समझ गया...
वह 'मस्त' तो बड़ी थी पर 'चीज़' कतई नहीं...
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Manvi Wahane