तुम्हारी वो आखिरी तस्वीर
तुम्हारी वो आखिरी तस्वीर
हाँ, मैं निहारती हूं । तुम्हारी वो तस्वीर, जिस दिन तुम मेरे सामने , अपनी ट्रेनिंग पूरी करके आये थे। तन पर वो खाकी वर्दी पहन कर , रोबीली मूँछो पर ताव देकर कह रहे थे -"आज मैंने अपनी धरती माँ की रक्षा के लिए वर्दी पहन ही ली। ,और कल से जोइनिंग भी है"
मैं भी तो बहुत खुश थी। पलकें तरल मोतियों से नहायी हुई थीं और होठो का क्षेत्रफल मुस्कराहट के किलो मीटर तक फैल रहा था।मैंने कहा कि ,तो" आज भर तुम मुझसे मिलने आये हो। "तुमने कहा मुझे "अरे पगली , मैं तो हर रोज ही तुमसे मिलता हूँ। तू मेरी सांसो की रफ़्तार में बसती है। "
मैंने कहा "चलो छोड़ो बहुत सी बातें कह जाते हो।"
"वैसे ये वर्दी जंच रही है तुम्हारे, गठीले शरीर पर।" तुम हँसे और कहा :- "हाँ, हाँ, अब बस वतन के लिए भी मै कुछ जचने जैसा काम कर दूँ।"
हम दोनों निकल पड़े , की आज हम साथ में तस्वीर खिचवांएगे ,वो भी स्टूडियो में,ताकि जब तुम सरहद पर जाओगे ,तो मै हमारे साथ की चादर , तस्वीर बना कर ओढ़ सकूं। मैं और तुम, स्टूडियो पहुँचे।
वहाँ फोटोग्राफर ने अपना कैमरा सेट किया। तभी मै तुम्हारे लिए जूस लेने गयी थी ,क्योकि तुम्हारी इच्छा को अब, मैं मना थोड़ी कर सकती थी।आस पास मेला भी लगा था, सावन का। कई जगह थोड़ी दूरी पर , मैं सबसे दूर वाले मेले गई औरमैंने सोचा हरी चूड़ियां ले लूँ, पहले।
तभी हुआ कुछ ऐसा की स्टूडियो के पीछे वाले भाग समेत स्टूडियो जल कर राख हो गईं। और मै अफ़सोस कर पछताने लगी आखिर क्यों ?मै तुम्हे अकेले स्टूडियो में छोड़ थोड़ी दूर आगे सावन के मेले में आयी?
काश! मै भी शामिल होती तुम्हारी उस आखिरी तस्वीर में। तभी वो स्टूडियो वाला मुझे एक लैटर थमा कर रोता हुआ मुझे शुक्रिया कहके चला गया।और बोला आज काफी लोग जिन्दा बच गए मैडम जी ,साहब खुद तो गये, पर हमें जीवनदान देकर , मानो उसका गला आज बोलने में साथ नही दे रहा ,रोती आँखो ने आवाज़ पर ताला लगा दिया हो।वो पत्र जब पढ़ा मैंने तो पाया कि तुमने लिखा है।
"सुनो तुमसे नही बताना चाहता था की आज स्टूडियो के पास आतंकी हमला होने वाला है। और मैं आज अपनी ज्वाइनिंग से पहले दिन भी ड्यूटी निभाने के लिए ही आया हूँ। तुमसे मिलने आया, तो पता चला कि , मेरे शहर में ही आतंकियों ने हमला करने की साजिश की है। और फिर सोचा की आज यहाँ बम रेफ़्यूज करते हुए मै शहीद भी हो गया तो भी ,कई लोगो की जान तो बचा पाउँगा।ना जाने मै बचूं, या ना बचू, पर अगर ये पत्र तुम तक पहुँच गया ,
तो मै समझूंगा मैंने किसी की तो जान बचायी ही है। मेरा वर्दी पहनना सफल हुआ। और सुनो ये पत्र ही मेरी आखिरी तस्वीर होगी, अगर मैं नही रहा तो,,,,"
और आज वही पत्र फ्रेम में समाकर टंगी है हमारे कमरे की दीवार पर बन , तुम्हारी आखिरी तस्वीर।