Bhim Bharat Bhushan

Inspirational

3.8  

Bhim Bharat Bhushan

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"तुम अपना ख्याल रखना!"

"तुम अपना ख्याल रखना!"

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"किसके जीवन में समस्याएं नहीं आती? सभी के जीवन में आती हैं। कुछ लोग समस्याओं के आने पर घबरा जाते हैं, वे हार जाते हैं। परंतु कुछ लोग घबराते नहीं, वे उनसे युद्ध करते हैं, और जीत भी जाते हैं ।", डॉ साहब ने उदय से कहा ।

उदय पिछले दो दिन पहले ही गुरु तेग बहादुर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में एडमिट हुआ था।उसे कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ था और आज उसने हॉस्पिटल की छत से नीचे कूदकर जान देने की कोशिश की थी। यदि सही समय पर सुरक्षाकर्मी और डॉ सत्येंद्र सिंह ना पहुंचते तो आत्महत्या को रोक पाना असम्भव था।

 "अब जीने से क्या फायदा? डाॅ साहब ,जब मरना निश्चित है।" उदय ने रोते रोते कहा।

 "हां, तुम सही कह रहे हो मृत्यु तो सबकी निश्चित है मेरी भी और तुम्हारी भी,जो आया है, वो इस संसार से एक दिन ज़रूर जाएगा । तो क्या हम सबको आत्महत्या कर लेनी चाहिए? तुम्हारा नाम उदय है और तुम अस्त होना चाहते हो।

"देखो बेटा ,रात्रि में अंधकार होता है लेकिन फिर भी सितारे चमकते रहते हैं, उनकी चमक आपको सुंदर और आकर्षक लगती है। इसलिए आप उदास निराश बुझे हुए से, टूटे हुए सितारे की तरह से न जीएँ। बल्कि एक चमकता हुआ सितारा बनें. समस्याओं से संघर्ष करें, उन्हें जीतें, और चमकते सितारे की तरह संसार के सामने तत्पर रहो। तभी ये जीवन सार्थक होगा। इतनी जल्दी हार नहीं मानते और फिर अभी तो तुम्हारी उम्र ही क्या है, महज़ 20-25 साल ही तो है।तुम जल्दी ठीक हो जाओगे । अरे हम जैसी उम्र के लोगों को ये संक्रमण ज्यादा घातक होता है।

"ठीक है, अब मैं तुमसे कल सुबह मिलने आऊंगा,कोई दिक्कत हो तो ये दवाएं तुम्हारे पास हैं,गरम पानी पीते रहना,घबराना बिल्कुल मत,"तुम अपना ख्याल रखना!"और ऐसी हरकत कभी मत दोहराना।"ये कहते हुए डॉ साहब चल दिए।

उदय की आँखों में आशावादी चमक और चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव उभर आए थे। शायद डाॅ साहब की बातें उसके मन पर अपना प्रभाव छोड़ गईं थीं। उसने हाथ जोड़ते हुए कहा,"जी,जी डॉ साहब ।"

लगभग सात दिन बाद उदय ठीक हो गया था उसकी सभी रिपोर्ट सामान्य हो चुकी थी। उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जा रहा था लेकिन पिछले दो दिनों से डॉ सत्येंद्र सिंह उसे दिखाई नहीं दिए थे।

"डॉ साहब कहां हैं?कई दिन से दिखाई नहीं दिए?' उदय ने सम्बन्धित वार्ड ब्वॉय से पूछा ।

"कौन से वाले डॉ साहब ? क्या नाम है उनका?" वार्ड ब्वॉय ने कहा।

"डॉ सत्येंद्र सिंह जी, उनसे मिलकर जाना चाहता हूं।बहुत अच्छे हैं डॉ साहब ।"

"निचले फ्लोर पर आइसोलेशन वार्ड में हैं।" वार्ड ब्वॉय बताया ।

उदय:- "अच्छा, अब ड्यूटी चेंज हो गई होगी ! डॉ साहब की।"

"नहीं भाई उन्हें संक्रमण हो गया है,आप लोगों का इलाज़ करते हुए। अब डॉ साहब एडमिट हैं।" वार्ड ब्वॉय ने कहा।

वार्ड ब्वॉय से यह सुनकर उदय के चेहरे से खुशी गायब हो गई।अचानक जैसे बिजली का झटका लगा हो। उसने हैरत भरी नजरों से देखते हुए पूछा,कब?

वार्ड ब्वॉय:-" परसों रात को एडमिट हुए हैं।तुम मिल नहीं पाओगे। तुम्हें तो पता है कि मिलने की इजाजत नहीं होती।"

उदय(भावुक होकर):- "भाई, तुम अपना ख्याल रखना।"

वार्ड ब्वॉय:-" ओके ।"

हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर एक अन्य डॉ साहब से उदय ने कहा, डॉ साहब एक रिक्वेस्ट है आपसे ...

"हां हां बताओ क्या बात है?" डॉ साहब ने कहा।

उदय:- "मुझे डॉ सत्येंद्र सिंह जी से मिलवा दीजिए।"

डॉ साहब:- "नहीं, मिलवा नहीं सकते ।वो आइसोलेशन वार्ड में एडमिट हैं।कोई बात है तो आप फोन पर बात कर लीजिए। ये उनका नंबर है,अपने मोबाइल से मिला लो।"

उदय:- "जी धन्यवाद, बताइए"मोबाइल पर नंबर टाइप कर उदय एक अलग स्थान पर खड़ा हो गया। मोबाइल स्क्रीन पर कॉल रिसीव हुई ।

उदय:- "गुड मॉ्निंग, डॉ साहब, मैं उदय बात कर रहा हूं ।थर्ड फ्लोर पर आइसोलेशन वार्ड में था।"

डॉ सत्येंद्र सिंह (खांसते हुए):- "हां उदय, गुड मॉ्निंग कैसे हो?"

उदय:-" डॉ साहब आपके आशीर्वाद ,इलाज़ और मार्गदर्शन से मैं बिल्कुल ठीक हूं अभी अभी डिस्चार्ज हुआ हूं ।आप तो मेरे लिए भगवान हैं।आपके दर्शन का अभिलाषी था लेकिनआपका पता चला तो बड़ा दुःख हुआ ।"

डाॅ सतेन्द्र सिंह :-" नहीं दुखी होने की कोई बात नही है। मैं भी इंसान हूं कोई भगवान नहीं और देखना जल्दी ठीक हो जाऊंगा। घर जाओ तुम और अपना ख्याल रखना।"

उदय:- "जी डॉ साहब,आप भी अपना ख्याल रखना । लॉक डाउन के बाद मै आपसे मिलने जरूर आऊंगा।प्रणाम आपको ।"

डॉ साहब:- "ओके आ जाना ,प्रणाम ।"



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