ठाकुर तेजमाल और हिला डाकू
ठाकुर तेजमाल और हिला डाकू
नानी की कहानी हम आपके बीच लेकर आए हैं, नानी जी की एक और कहानी, कृपया इससे पढ़ने के बाद ही टिप्पणी करें।
जैसलमेर जिले में एक गांव हैं, जिसका नाम हैं तेजमालता, जो वहां के वीर सपूत ठाकुर तेजमालसिंह भाटी के नाम से बसा हुआ हैं। उस समय जैसलमेर में उनका डंका बजता था, उनके एक मित्र थे, जो रतनू शाखा के चारण थे। उस समय गुजरात में हिला जट्ट जो मुस्लिम समुदाय से था, का बहुत ज्यादा आतंक था। आप उसके आतंक का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं, कि हमारे राजस्थान में मां आज भी अपने बच्चे को सुलाने के लिए हिला- हिला करती हैं, जिसके नाम के खौफ से बच्चे सो जाते थे ।एक बार ठाकुर तेजमालसिंह किसी काम से घोड़ा लेकर जोधपुर की और गए हुए थे , सावन की तीज का त्योहार था, उनके क्षेत्र की कुछ महिलाएं झूले झूल रही थी, इतने में हिला जट्ट आया और उन 7 महिलाओं का अपहरण कर दिया। यह सब तेजमालसिंह के मित्र रतनू चारण को पता चल गया, तो उस चारण ने उसका पीछा किया , हिले डाकू ने रतनू के निहत्थे होने का फायदा उठाया और उसको तलवार से वार से बुरी तरह जख्मी कर दिया, और वहां से रवाना हो गया। रतनू चारण अब जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहा था, उसने सोचा कैसे भी करके इस बात की खबर तेजमाल सिंह तक पहुंचाई जाए। तब उन्होंने एक बकरियों के ग्वाले को देखा, तो उसको बुलाया फिर उसने पूरी बात बताई की, हिला डाकू हमारे यहां कि महिलाओं का अपहरण करके ले गया, और मुझे भी मार दिया हैं, तू तेजमाल सिंह को खबर देना कि हिले डाकू ने आपके दोस्त को मार दिया हैं।
उन्होंने उस ग्वाले को एक दोहा सुनाया जो इस प्रकार हैं :-
पंथियां जाए, संदेशों तेजल ना देय।रतनू थारो, हिले मारयो तुरंत खबर लेय।।
इतना सुनते है, ठाकुर तेजमाल की भुजाएं फड़क उठी, हाथ में तलवार घोड़े पर सवार तेजमालसिंह वहां पहुंचे, तो वो बहुत दुःखी हुए, उनका दोस्त रतनू चारण मरा हुआ था। वो अपने घोड़े से नीचे उतरे, उन्होंने रतनू चारण के खून से तिलक किया, और कसम खाई की जब तक मैं हिले डाकू का सिर यहां ना लाऊं, तब तक मैं वापिस नही आऊंगा। वो सीधे गुजरात पहुंच गए, वहां पर उन्होंने हिले के अड्डे पर 7 महिलाओं को सुरक्षित राजस्थान ले आया, इस बात का हिले डाकू को पता चला तो उसने तेज़माल सिंह का पीछा किया।तेजमाल सिंह चाहते थे कि हिला उसी स्थान पर आएं, जहां उसने उनके दोस्त को मारा था, ताकि वो उसी जगह उसका बदला ले सके। जैसे ही तेजमाल सिंह वहां पहुंचे तो हिला भी वहां पहुंच गया। तेजमाल सिंह ने पहले वार में ही हिले डाकू को मार गिराया, हिले डाकू का सिर अपने गले में बांधा । तब असंख्य लोगों ने उनके जयकारे लगाएं, अब हिले का प्रकोप जरूर खत्म हो गया हैं, लेकिन माताएं आज भी बच्चों को सुलाने के लिए हिला - हिला करती हैं।
