तीर्थयात्रा
तीर्थयात्रा
मास्टर काशीनाथ की ट्रेन जैसे ही स्टेशन पर रुकी, गांव के लोगों ने माला पहनाकर मास्टर और उनकी धर्मपत्नी का स्वागत किया, तथा गाजे बाजे के साथ गांव में ले गए।
"मास्टर साब आपके तो भाग्य खुल गये, मुख्यमंत्री की तीर्थयात्रा योजना से आप तो चारों धाम कर आए हमारे भाग्य कब जागेगें।"
"जागेगें नत्थू भैया जागेगें।"
"अच्छा मास्साब कछु हमें भी बताओ, बद्रीनाथ पहुंच के केसो लगो।"
मास्साब की पत्नी बीच में ही बोल पडी़ "जे का बताहे हम तीर्थयात्रा पे गए ही नहीं, अस्पताल में पड़े रहे।"
"काय का भव कोनऊ की तबीयत खराब हो गई थी।"
"ऐसी कोई बात नहीं है, सब बैठो हम बताते हैं।"
" हमारे डिब्बा में एक जवान दंपति भी बैठे थे हम यहां से दो तीन घंटे ही चले थे कि उस नवयुवक को हार्टअटैक आ गया वो तो हम भी हार्ट के मरीज हैं सो हमारे पास दवाइयां थी हमने सर्र्विटाल जीभ के नीचे रख दी और जो कुछ मालूम था वो इलाज भी करने लगे, जब तक डाक्टर भी आ गए, स्टेशन पर उनके साथ हम भी उतर गए, उन्हें अकेला कैसे छोड़ते इस हालत में, दान पुण्य के लाने जो पैसा ले गए थे, वो उसके इलाज में लगा दिया, अब वह स्वस्थ्य हैं और हमारी गाड़ी को भी लोटन का समय हो गया था, सो हम आ गए।"
"वाह मास्साब आपने तो एकई बार में कई बार चारों धाम को पुन्न कमा लओ।"
"सही कही, मानवता की सेवा से बढ़कर और कोई धर्म हो ही नहीं सकत।
