ताबीज
ताबीज
पुष्पा के पिताजी का अचानक ह्रदयाघात से देहावसान हो गया। तीन भाई और एक बहन पांच में पुष्पा ही सबसे बड़ी थी, माँ साधारण गृहणी,अचानक हुवे वज्राघात से सब स्तब्ध रह गए। चाचा ताऊ रिश्तेदार बिरादरी वालो ने बारह दिन का क्रिया कर्म जैसे तेज़ करवा कर फिर सब अपने अपने घर चले गए पिताजी सरकारी नोकरी में नही थे तो पेंशन भी नही पुष्पा भी अभी पढ़ ही रही थी,जैसे तैसे सिफारिश कर नोकरी लगवा दी उन दिनों नौकरी मिलना आसान था आज तो नौकरी लगना बहुत टेढ़ी खीर है चलो गृहस्थी की गाड़ी चल निकली,समय बीता भाईबहन बड़े हुऐ पढ़ लिख लिए शादिया कर दी, पुष्पा की उमर बढ़ती गई पर माँ को अब उसकी चिंता सताने लगी की इसका भी घर बसना चाहिए पर एक तो उमर और फिर सांवला रंग ऊपर से खानदानी असर मोटापा बचपन से ही सब कहते थे पिता पर गई हे तब तो ख़ुशी होती थी पर अब ऐसा घातक हो गया चारो तरफ रिश्तेदारो से पूछताछ करते तो कही उमर कही रंग आड़े आता।
ऑफिस में सहकर्मियो के बीच भी चर्चा का विषय था तो एक दिन ऐसे ही हंसी मजाक के बीच किसी सहकर्मी ने पुष्पा को कोई फ़क़ीर के पास चल कर ताबीज बनवाने की सलाह दी,माँ से पूछ कर गई माँ भी क्या करे सोचा चमत्कार हो जाये खैर सब मिल कर फकीर के पास गए उसने सब सुन मंत्र पढ़ फूँक मार एक ताबीज बना कर दिया और कहा की इस ताबीज को घर में ऐसी जगह टांगों जहा हवा बहुत आती हो जैसे जैसे ताबीज हिलेगा रिश्ता आएगा,तो ताबीज को खिड़की पर टांग दिया और सब चमत्कार की उम्मीद में ताबीज को देखते रहते,२-३ दिनों में ही एक रिश्ता आ गया लड़का एल एल बी था पर सेटल नही था सुंदर सुशील था इकलौता बेटा था पर सेटल नही था उमर में भी बराबर लड़के के पिताजी को नौकरी करती सेटल बहु मिल गई रंग का क्या ? उधर पुष्पा के घर वालो को भी क्या आपत्ति घरबैठे इतना सुन्दर खानदानी लड़का अँधा क्या चाहे दो आँखे ,संयोग कहे या ताबीज का असर जो भी हो रिश्ता हो गयाबिल्ली के भाग का छींका टुटा ताबीज हिलते ही असर हुवा और एक बेरोजगार और एक बढ़ती उमर की मोटी सांवली लड़की की शादी हो गई, घर बीएस गया।