सुखी और दुखी
सुखी और दुखी


" आपको कैसे पंडितजी चाहिए ?" मीरा ने पुछा।
" कैसे मतलब ? " वरुण के माथे पर सवालिया निशान था।
" यहाँ दो तरह के पंडित जी मिलते हैं एक वो जो शादी मुंडन करवाते हैं और दूसरे मरणोपरांत के कर्मकांड वाले।"
"मुझे दोनों की ज़रूरत है !"
मीरा उसके उत्तर से चकित थी। इंतज़ार करने को कहा और अंदर चली गयी।
सुखी और दुखी जुड़वाँ भाई थे। उनके पिता पुजारी थे और वो दोनों को ही अपनी तरह संस्कारी बनाना चाहता था।
दोनों के नाम भी उसने उनके स्वभावानुसार ही रखे थे , सुखी हर वक़्त हंसती मुस्कुराता तो दुखी रोता, दहाड़े मारता रहता।
पिता की निगरानी में सुखी , हिंदुओं के सुख वाले कार्यक्रमो यानी शादी, ब्याह में पूजा करवाएगा और दुखी मृत्य के कर्मकांड।
दोनों की ज़िम्मेदारियाँ विपरीत थीं फिर भी वो झगड़ते रहते।
सुखी दुखी पंडित बाहर आये। आगंतुक, एक जैसे चेहरे के दो पंडितों को देख कर भृमित हो गया।
" नमस्ते, मुझे शादी और दाह संस्कार दोनों के लिए पंडित की ज़रूरत है "
" "क्या मतलब ?" दुखी बोला।
" बहन की शादी करवानी है पर मेरे चाचा की हालत एकदम नाजुक है। उन्हें अगर कुछ हो गया तो दूसरे पंडित को तैयार रखना चाहता हूँ " वरुण ने मामला समझाया।
सुखी की पत्नी मीरा ने संदेह दूर करते हुए कहा ," ठीक है , सुखी शादी करवाएंगे और दुःखी दाह संस्कार के लिए तैयार रहेंगे|
आप लकड़ी, फूल, चंदन ले आइयेगा|
" दाह संस्कार के लिए है ?" वरुण ने पूछा|
मीरा बोली, " कोई फर्क नहीं। गलत जगह शादी भी ज़िन्दगी भर का दाह ही है। "
" ठीक है ,ले आऊंगा " वरुण बोला।
" फिर से दाह संस्कार ? " दुखी ने गहरी साँस भरी।
" पिछली बार तुमने शादी के वक़्त अंतिम संस्कार के श्लोक पढ़े थे , मरवा ही दिया था|। शुक्र है ग्राहक बंद नहीं हुए !" सुखी ने उसे झिड़का।
दो हफ्ते बाद, दोनों वरुण के घर पहुँचे। उसने स्वागत में मिठाई दी।
दुखी ने जैसे ही मिठाई ली सुखी बोला, " बेवकूफ तू यहां दाह संस्कार के लिए आया है, शर्म कर |"
वरुण बोला, "आइए, शादी इस तरफ है। "
दुखी ने पुछा , " आपके चाचाजी ठीक ?"
वरुण ने कहा, " क्या आप शादी करवाते है ? "
"क्या मतलब ? मैं शादी के लिए आया हूँ " सुखी ने स्पष्ट किया।
" जी मेरा मतलब क्या दुखी जी भी शादी लगवा सकते हैं ? " वरुण बोला।
दुखी बोला, " क्यूँ नही पर दाह संस्कार का क्या ?"
" चाचा अपनी नर्स से प्यार कर बैठे और वो भी शादी कर रहे हैं| यानी आज दो शादियाँ है !"
बात सुन कर दुखी मुस्कराया। सुखी ने मिठाई उठाई और दो टुकड़े किये।
आज सही माने में वो दोनों एक जैसे जुड़वाँ लग रहे थे एक जैसे, हँसते हुए।