Paritosh Paliwal

Drama

4  

Paritosh Paliwal

Drama

सुबह का भूला

सुबह का भूला

3 mins
24.6K


सर्दी-खांसी व बुखार के चलते आखिर रूबी को हॉस्पिटल जाना ही पड़ा। डॉक्टर ने चेकअप कर कुछ दवाएं दी और चौदह दिन घर में ही क्वॉरेंटाइन रहने की सलाह दी।

"डॉक्टर में ऐसा कैसे कर सकती हूं? मेरे दो-दो छोटी बेटियां है।" वह बोल उठी।

"यह तो तुम्हें करना ही होगा, वरना यदि तुम्हें कोरोना हुआ तो उसका परिणाम पूरे परिवार को भुगतना पड़ सकता है।" डॉक्टर ने कहा।

भारी कदमों और बुझे मनसे रूबी घर चली आई। सैनिटाइजर, मास्क व अन्य सामग्री वह साथ ही ले आई थी। निखिल ने सुना व सब विचार कर उसने बच्चों व खुद का सारा सामान निकाल कर रूबी के लिए कमरा खाली कर दिया।

रूबी का पूरा ध्यान अपनी बेटियों में लगा था। कौन करेगा उनकी देखभाल? क्या निखिल अकेला रख पाएगा उनका ख्याल? उसने अपनी मां को फोन कर सारी स्थिति से अवगत कराया। मायके आने की बात कही तो मां ने साफ इंकार कर दिया बोली

"बेटी वैसे भी कोरोना से हम पहले से बेहाल-परेशान हैं फिर तुम्हारे लिए अलग कक्ष व दोनों बेटियों की देखभाल... तुम खुद के घर में ही रहकर ही मैनेज करने की कोशिश करो।"

वह रुंआसी हो गई। निखिल ने ढांढस बंधाया कहा

"मैं मां को फोन कर देता हूं। वे आ जाएंगी, फिर बच्चों की चिंता तो खत्म ही समझो और मैं भी तो हूं ना।"

निखिल की बात को रूबी ने सुना लेकिन उसके मन में संशय था, आखिर वह अपने दुर्व्यवहार को कैसे भूल सकती थी। लेकिन कुछ बोली नहीं ।

जब रश्मि को बहू के बीमार होने का व क्वॉरेन्टान में रहने का पता चला तो तुरंत ही चली आई। बच्चों को संभालने के साथ ही भोजन बनाने में जुट गई। वह गर्म और पौष्टिक भोजन बना कर रूबी के कमरे के बाहर रख देती। दरवाजा खटखटाने का संकेत समझ कर रूबी खाना ले लेती।

क्वॉरेन्टान का प्रतिदिन रूबी को शर्मसार करता जाता था। जिस सास को वह गाहेबगाहे कडवी बातें सुनाया करती थी आज वही उसकी पसंद के व्यंजन बनाकर उसे खिला रही थी। जिस की सेवा करना उसे एक बोझ लगता था, आज वही सास मां से बढ़कर उसकी सहायता कर रही थी। सच में बहुत शर्मिंदा हो गई थी वह।

इन चौदह दिनों ने उसके मन को सास के प्रति अत्यंत श्रद्धा से भर दिया लेकिन वह ग्लानी से भूमि में घड़ी भी जा रही थी।

कुछ भी हो आज तो वह अपनी सास से सारी गलतियों की क्षमा मांग कर ही दम लेगी। नहा धोकर जब वह कमरे से निकली तो ईश्वर को प्रणाम करके सासु जी के चरणों में गिर कर माफी मांगने लगी। बहू के आंसुओं से सास का मन भी निर्मल हो गया था। वह उसके बदले रूप से प्रसन्न थी।

"यदि सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते" कह कर उन्होंने उसे गले लगा लिया।


Rate this content
Log in

More hindi story from Paritosh Paliwal

Similar hindi story from Drama