STORYMIRROR

MEN PAL

Tragedy

3  

MEN PAL

Tragedy

सन्नाटा

सन्नाटा

1 min
301

ये सूर्योदय आज ऐसे लग रहा था जैसे इसने अंधेरा फैला दिया हूं। ना कोई चहल-पहल ना कोई शोर शराबा बस एक सन्नाटा था।

जो पूरे शहर में छाया हुआ था

ना जाने क्यों ऐसा लग रहा था जैसे आज सब कुछ थम सा गया हो सूर्योदय होने से पहले सूर्यास्त हो गया हो

यह सन्नाटा जिसने पूरे शहर को अपने वश में किया हुआ था

दूर-दूर तक बिल्कुल भी कोई आवाज ना थी जो कानों में सुनाई दे

हर कोई जैसे पिंजरे में कैद हो। आज लग रहा था जैसे कुदरत ने सब कुछ थाम दिया हो

जैसे कुदरत आज अपनी मनमानी कर रही हो

जहां यह मानो पक्षियों को पिंजरे में बंद किया करता था। वही आज खुद ही अपने घरों में बंद था

एक दर जो करोड़ों चेहरे की मुस्कान को छीन रहा हो

वह था यह तुच्छ महामारी

जिससे सब कोई अनजान था

जो पूरी दुनिया को उंगली पे नचा रही थी

जिसने इस चकाचौंध भरी

मशीनी दुनिया को रोक दिया हो। ना जाने क्यों आज लग रहा था

जैसे यह दिन बहुत बड़ा हो गया है

वही आसमान में आज आजाद लग रहे यह पक्षी। जो कहीं ना कहीं हमें यही कह रहे हो कि इस सब का जिम्मेवार हम खुद हैं।


Rate this content
Log in

More hindi story from MEN PAL

Similar hindi story from Tragedy