STORYMIRROR

Chanchala Singh

Drama Inspirational

1.7  

Chanchala Singh

Drama Inspirational

संघर्ष (सच्ची घटना पर आधारित)

संघर्ष (सच्ची घटना पर आधारित)

5 mins
15.2K


बहुत दिनों की बात है, रामनगर गाँव में एक दयालुनाथ नाम का पहलवान था।,उसका नाम तो दयालु था पर दया उसके स्वभाव में नहीं था। उसकी माँ का नाम,सीता था। उसने मेहनत-मजदूरी कर के दयालुनाथ को पाल-पोस कर बड़ा किया था। वह बेटा जो कि दस वर्ष बाद बड़े ही मन्नतो से पैदा हुआ था। छोटे से ही वह बहुत ही बदमाश था ,गाँव के सभी बच्चों से हमेशा लड़ता-झगड़ता रहता था। माँ

सोची - अभी छोटा है इसलिए ऐसा करता है बड़े होने पर नहीं किया करेगा। कुछ सालों बाद, जब वह बड़ा हुआ फिर भी उसकी आदत वैसे ही थी और तो और अब वह अपनी माँ की इज्ज़त भी नहीं किया करता था ,फिर भी माँ उसे कुछ नहीं कहती थी। वह उसकी गलतियों को अनदेखा करती थी।

सीता को ऐसा लगता था कि वह आज नहीं तो शादी के बाद सुधर जाएगा। लेकिन दयालु नहीं सुधरा। जब वह २० वर्ष का हो गया तो वह और भी अत्याचारी बन गया। उसकी आदत इतनी बिगड़ गई थी कि वह अब अपनी माँ और पिता पर हाथ उठाने लगा था। दो साल बाद उसके बूढ़े पिता भी दुनिया से चले गये। माँ अब अकेली रह गई थी उसे अपने बेटे की चिंता होने लगी थी कि उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे का क्या होगा ? उसे खाना बनाकर कौन देगा ? उसकी माँ ने सोचा इसकी शादी एक अच्छी लड़की से कर देंगे तो दयालु का जीवन सफल हो जायेगा। उसका ध्यान अपने परिवार में लगा रहेगा तो वह गुस्सा भी नहीं करेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ ,शादी के बाद तो वह और भी बिगड़ गया। पत्नी (पुष्पा) तथा अपनी सास (देविका )जो की दो दिन के लिए अपनी बेटी के घर पर मिलने आई हुई

थी उसे भी एक दिन दयालु ने शराब के नशे में आकर मारा और गाली-गलौज किया। बिचारी पत्नी क्या करती वह गरीब परिवार से थी और ज्यादा पढ़ी-लिखी भी नहीं थी इसलिए वह चुप रही। कुछ महीनों बाद उसकी बूढ़ी माँ की भी मृत्यु हो गई। चार साल के अंदर उसने(पुष्पा) तीन बच्चों को जन्म दिया। दयालू उन बच्चों को भी मारा-पीटा करता था , पुष्पा यह गम सहती गई और कुछ न कह पाती थी। नौकरों की तरह घर के सारे काम किया करती थी। रात को भी वह चैन की साँस नहीं ले पाती थी। उसका पति शराब पीकर आता और मारा करता था।

दस साल तक तो बिचारी पुष्पा जैसे-तैसे कर के काम-काज करती रही और अपने अत्याचारी

पति की मार सहती रहती ताकि उसके बच्चे पढ़-लिख कर अच्छे ऑफ़िसर बन जाये और वे उनकी माँ

की तरह जीवन न जिए।

भगवान की कृपा और पुष्पा की मेहनत रंग लाई। , जो कॉलेज में पढ़ती थी वह

M.SC.IInd year में प्रथम आई। उसकी माँ का सपना पूरा होने लगा था। उसे अपनी बेटी

पर गर्व था कि यह एक दिन बड़ा मुकाम हासिल करेगी।

अचानक एक रोज उसके पिता शराब के नशे में घर आये। अपनी बड़ी बेटी रीना को बुरा-भला

कहने लगे और मारने लगे। रीना पढ़ी-लिखी और समझदार लड़की थी उसने जैसे-तैसे कर के

अपने आप को बचाई यहाँ तक की माँ भी उसे बचाने आई तो उसे भी मारा, यह देख कर उसके दोनों

भाई चुप-चाप एक कोने में बैठ कर रोने लगे। रीना अपनी गलती के बारे में पूछती है की मैंने

कौन सी गलती कर थी ? सीधा कॉलेज से घर ही तो आ रही हपिता ( शराब की हालत में जोर से बोलते हैं ) ----" मैंने अगली बार तुम्हे राहुल के साथ देखा तो समझ जाना---?"

रीना ( मध्यम स्वर में ) ----" राहुल मेरे कक्षा में पढ़ता है और वह मेरा अच्छा मित्र है " पिता ----- "मैंने तुम्हे इतना बड़ा क्या राहुल के लिए किया है कि तुम उसके साथ चली जाओ।

तुम्हारे ऊपर और तुम्हारे शरीर के ऊपर सिर्फ मेरा ही हक़ है इसे मैं किसी और के हवाले नहीं कर सकता हूँ। "

रीना और उसकी माँ ----( यह वाक्य सुनते ही चुप हो गए और अपने मन में सोचने लगे की ये पिता है

की हैवान ? )

रीना अब इस घर में एक पल के लिए भी नहीं रुकना चाहती थी क्योंकि हर रोज के नाटक से वह

थक चुकी थी। आज तो उसके पिता ने इंसानियत का हद ही पार कर दिया था अब उसे पिता नाम

से भी घृणा होने लगी थी। आस-पास के लोग भी उनकी मदद करने से डरते थे। किसी ने उनकी मदद

की तो उसके पिता पडोसी लोगो से भी लड़ाई करते थे। लोग उनकी मदद तो करना चाहते तो थे पर

कर नहीं पाते थे।

उसकी माँ ने उसके लिए इतना संघर्ष किया था उसे रीना पूरा करना चाहती थी। एक दिन जब उसके

पिता घर से किसी काम के लिए दो दिन के लिए बाहर चले गए थे तभी पुष्पा ने सोचा यह अच्छा मौका

है| रोज-रोज के झगड़े से तंग आकर पुष्पा ने रीना की शादी अपने सहेली के बेटे राहुल जो की

उसके ही कक्षा में पढ़ता था ,उस से करा देती है और अपनी बेटी को इस नर्क से निकाल देती है।

उसी रात रीना और राहुल उस गाँव से चले जाते है और नागपुर शहर में जाकर अपनी आगे की पढाई करते

है। घर पर जब उसके पिता को यह बात पता चलती है तो हमेशा की तरह फिर से लड़ाई होती है ,लेकिन

आज के इस लड़ाई से पुष्पा को बहुत सुख प्समय बीतता गय

जल्द ही रीना वकील बन गई। उसने अपनी माँ पुष्पा को उस नर्क से आज़ादी दिलाई और अपनी माँसहित दोनों छोटे भाइयों को अपने साथ अपने घर में रख कर अच्छे तरह से पढ़ा-लिखा रही है।

आज वे सब एक सम्मान का जीवन व्यतीत कर रहे है। अतः पुष्पा का यह संघर्ष पूरा हुआ। उधर उसके

पिता अब अकेले अपनी जिंदगी जी रहे है कोई भी उन्हें खाने के लिए नहीं देता है जैसे-तैसे वह पापी अपना जीवन

जी रहा है या कह सकते है कि अपने कर्मो का सजा भुगत रहा है।सलिए ऐसा कहा जाता है कि धरती पर स्वर्ग और नरक है जो जैसा कर्म करेगा उससे वैसा ही भुगतना पड़ेगा।

इसलिए सब के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए ताकि हमारे साथ भी लोग अच्छा व्यव्हार करे।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama