Neeraj pal

Drama

3.6  

Neeraj pal

Drama

सज्जनता

सज्जनता

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पांच छह कॉलेज के विद्यार्थी रेल में सफर कर रहे थे ,तीसरे दर्जे के डिब्बे में बैठे हुए थे । 3 बैंच्चें उन्होंने पूरी घेर रखी थी, एक बैंच पर एक लड़के ने बिस्तर फैला रखा था, उस पर अकेला ही लेटा हुआ था, दो पर पैर फैलाए और अपना दखल जमाए दो-दो बैठे थे। जो कोई मुसाफिर उधर को आता उससे दूर से दुध कार देते, लड़ने को तैयार हो जाते ,लोग सहम जाते और इनके पास कोई नहीं आता ।सारा डिब्बा खचाखच भरा था ,जो मुसाफिर खड़े थे उनमें धक्का-मुक्की हो रही थी ।एक स्टेशन पर भले घर 2 अधेड़ उम्र की स्त्रियां भी उसमें आ गई ,पांव रखने की भी जगह नहीं थी, भीड़ में खड़ी हो गई धक्के लगने लगे ,पिचने लगी और आंख उठा उठा के चारों ओर को देखती थी पर बचाव की कोई सूरत नजर नहीं आती थी, घबरा गईं।

एक सज्जन जो उसी भीड़ में एक बेंच पर सिकुड़ें हुए बैठे थे, उन्हें दया आ गई ,विद्यार्थियों से विनय पूर्वक बोले -बाबूजी ! इन अवलाओं को यदि थोड़ी जगह दे दे और अपनी तरफ निकाल लें तो बड़ा उपकार करें ।विद्यार्थियों ने बड़ी उद्दंडता से उन्हें उत्तर दिया -",यह उपकार आप ही करिए, यहां किसी को जगह नहीं है ,चाहे वह अबला हो, चाहे सबला ।बेचारे चुप हो गए ,खुद खड़े हो गए ,एक मुसाफिर की खुशामद की वह भी खड़ा हो गया ,दोनों स्त्रियों को आराम से वहां बिठा दिया।

अब -सोचिए इन दोनों में से सज्जनता किस में थी । स्त्रियों का आदर सदैव से होता चला आया है, भगवान के नाम से पहले भगवती का नाम आता है जैसे, लक्ष्मी नारायण, सीताराम ,राधाकृष्ण इत्यादि। पश्चिमी देश यूरोप और अमेरिका जिनकी नकल भारतवासी उतारते हैं, और इसमें बड़ा ही अपना गौरव समझते हैं ,चाहे वह उनका काम अच्छा हो या बुरा, पर हमारे देश के लोग तो अच्छा ही समझते हैं, उन देशों में भी स्त्रियों का बड़ा ही आदर है। पर यहां का शिक्षित समुदाय उनके इस गुण को नहीं लेता ,असभ्यता सीख लेते हैं, सभ्यता नहीं सीखता ,कितनी नीचता और मूर्खता इन पढ़े लिखे लोगों में आ गई, कितना पतन है, इसको शिक्षा का दोष ही कहा जा सकता है।


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