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Babita patil

Drama Crime Fantasy

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Babita patil

Drama Crime Fantasy

शवों के नीचे दबी सच्चाई"

शवों के नीचे दबी सच्चाई"

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"शवों के नीचे दबी सच्चाई"

(Inspired by True-Like Horrors in India)

उत्तर प्रदेश के एक दूर-दराज़ गांव धूसरपुर में, जहां आज भी तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक को इंसान की जान से ज़्यादा महत्व दिया जाता है — वहीं घटी एक ऐसी घटना जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।

परिवार जो बस जी रहा था...

मिश्रा परिवार — माता-पिता, तीन बच्चे, और एक बुज़ुर्ग दादी। एक मध्यमवर्गीय, मेहनती परिवार। गांव में उनकी छवि साफ-सुथरी थी। वे अक्सर किसी से उलझते नहीं थे, बस अपने खेतों और बच्चों में व्यस्त रहते।

पर एक दिन, गांव में एक बच्चा बीमार पड़ा। झाड़-फूंक वाले बाबा ने कहा —
"मिश्रा का घर अभिशप्त है। उस औरत ने काला जादू किया है!"

इतना सुनना था कि 200 से अधिक ग्रामीण — आंखों पर अंधविश्वास की पट्टी बांधे — डंडे, कुल्हाड़ी, पेट्रोल लेकर मिश्रा परिवार के घर टूट पड़े।

रात जो कभी नहीं भूली जाएगी...

वो आधी रात थी। मिश्रा परिवार के घर को घेरा गया।
चीखें, रोना, गिड़गिड़ाना...
पर भीड़ को सिर्फ ‘बाबा’ की बात सुनाई दी।

महिलाओं को खींचा गया, बच्चों को पीटा गया।
फिर पेट्रोल छिड़का गया और… घर में आग लगा दी गई।

पर मामला यहीं नहीं रुका।

बाबा ने कहा — "इनकी आत्मा लौटेगी। इन्हें ज़मीन में गाड़ो!"
गांव का सरपंच और बाकी लोग पास के खेत में JCB बुलाकर खुदवाते हैं।
सभी जले हुए शव — खोदकर ज़िंदा या अधमरे हाल में — वहीं दफना दिए जाते हैं।

एक आवाज़ जो बची...

पर चमत्कार था या किस्मत, 16 साल का आर्यन मिश्रा, जो उस समय बगल के कुएं में छिपा था — बच गया।

सुबह होते ही वो भागकर थाने पहुँचा।
फटे कपड़े, जलते हुए पैर, और कांपती आवाज़ में उसने पूरी बात बताई।

पुलिस जब पहुंची...

पूरा गांव वीरान था।
हर घर पर ताले।
हर दरवाज़ा बंद।
हर गली में सिर्फ सन्नाटा और राख बिखरी थी।

JCB वाले खेत में खुदाई हुई। और फिर...
6 जले हुए शव निकाले गए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए CBI जांच शुरू हुई।

अब क्या?

आर्यन अब सरकारी सुरक्षा में है।
उसकी गवाही देश के कानून के लिए एक मिसाल बन सकती है।

गांव वाले फरार हैं — लेकिन कब तक?
अब कैमरे, ड्रोन और कानून उनके पीछे हैं।
पर अफसोस — मरे हुए मिश्रा परिवार को कोई वापस नहीं ला सकता।


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संदेश:

अंधविश्वास सिर्फ एक मानसिक बीमारी नहीं —
यह एक हथियार बन सकता है, जब भीड़ के हाथों में पड़ जाए।
समाज को विज्ञान, शिक्षा और संवेदना की जरूरत है — न कि आंख मूंदकर तांत्रिकों के पीछे चलने की।


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