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Babita patil

Drama Thriller

4  

Babita patil

Drama Thriller

लड्डू गोपाल

लड्डू गोपाल

5 mins
18

यह बात पिछली गर्मियों की है। मेरी मम्मी और भाभी भैया वृंदावन घूमने गए थे मेरी मम्मी की कई दिनों से इच्छा थी कि वह मेरे लिए एक लड्डू गोपाल ला। जब मम्मी का वृंदावन जाना हुआ तो वह मुझसे बोल कर गई कि बेटा मैं तेरे लिए एक लड्डू गोपाल जरूर लाऊंगी।

 मैंने मना भी किया कि नहीं मम्मी मुझे नहीं चाहिए फिर भी मम्मी ने कहा नहीं मैं लाना चाहती हूं।

मैंने कहा ठीक है आपकी जैसी इच्छा।

 मेरी मम्मी के वृंदावन गई वहां जाने पर उनकी अचानक से तबीयत खराब हो गई। उन्होंने भगवान के दर्शन तो किया पर लड्डू गोपाल खरीदने के लिए बाजार नहीं जा पाई उन्होंने मेरी भाभी से कहा रीना देख अपनी छोटी नंद के लिए एक लड्डू गोपाल ले आना भाभी ने कहा ठीक है मैं ले आऊंगी मम्मी जी बाजार गई और एक लड्डू गोपाल ले आई जब वह लोग घर वापस आए तो उन्होंने मुझे लड्डू गोपाल दिए अगले दिन जन्माष्टमी थी मैं पूजा के लिए लड्डू गोपाल बाहर निकले तो देखा लड्डू गोपाल की बनावट थोड़ी अलग थी उनके घुटने में चोट लगी हुई थी और उनका मुंह भी नहीं बना था हाथ का लड्डू भी ढंग से बना नहीं था मैंने तब तो उनको करना चाहिए और कपड़े पहन के रख लिए पर मैं उनको जब भी देखी तो मेरा मन दुखी होता की। पता नहीं क्यों बनाने वाले ऐसा बनाया। मैंने अपनी मम्मी को फोन किया और उनको बताया की मम्मी लड्डू गोपाल जी ठीक नहीं बने हैं मम्मी ने कहा ठीक है जब बाजार जाऊंगी तो ठीक करवा कर ले आऊंगी या फिर बदलवा के लाऊंगी उसके बाद मैं उन लड्डू गोपाल जी को एक थैली में रख दिया कई महीने बित गये लड्डू गोपाल उसी में ही रख रहे साल खत्म होने को आया। मेरी वही वाली भाभी ने जो मेरे लिए लड्डू गोपाल खरीद के लाई थी उन्होंने मुझे बताया कि जो उनके पास लड्डू गोपाल थे वह काले पड़ गए थे तो उन्होंने उनका सजाने के लिए दुकान पर दिए हैं। जब मैं उनके घर पर गई और मैं उनके लड्डू गोपाल को देखा तो उनके लड्डू गोपाल मुझे बहुत सुंदर लगे तब मेरे ध्यान में आया कि मैं भी भाभी से बोलकर अपनी लड़की के पल को सुंदर बनवा लेती हूं 2 जनवरी को जब मेरे भतीजे का जन्मदिन था तब मैं अपने लड्डू गोपाल को लेकर मम्मी के घर आई मैंने अपनी मम्मी से कहा की मम्मी देखो ना जो आप लड्डू गोपाल मेरे लिए लाए थे उनका क्या हाल है मैंने अपनी छोटी भाभी से कहा की देखो भाभी लड्डू गोपाल कैसे हैं इनको तो चोट लगी है खंडित है मैंने कहा कि बड़ी वाली भाभी से बोलकर इनका भी मेकअप करवा दूंगी छोटी भाभी बोलने लगी कि तुम यह लड्डू गोपाल मुझे दे दो मैं एक अंकल को जानती हूं जो लड्डू गोपाल की सेवा करते हैं और अगर उनकी आंख नाक कुछ खराब हो जाए तो वह ठीक करके दे देते हैं और इस काम के वह पैसे भी नहीं लते मैंने कहा ठीक है भाभी अगर वह अंकल पैसे नहीं लेते और सेवा करते हैं तो आप ही करवा दो मैं अपनी बड़ी भाभी से थोड़ी नाराज थी उसे समय क्योंकि उन्होंने यह वह लड्डू गोपाल मुझे लाकर दिए थे मुझे लगा कि उन्होंने ऐसा जानबूझकर ऐसी लड्डू गोपाल लाकर दिए मुझे तो मैं अपनी छोटी भाभी से कहा कि आप ही ठीक करवाना छोटी भाभी ने कहा कि काश मेरे पास भी लड्डू गोपाल होते तो मैं भी उनकी सेवा करती लेकिन तुम्हारे भैया हमें कभी लड्डू गोपाल रखना नहीं देंगे क्योंकि मेरा भाई कृष्ण भगवान को पसंद नहीं करता भतीजे के जन्मदिन से फिर मैं घर वापस आ गई मैंने अपने लड्डू गोपाल वही छोड़ दिए कुछ दिन बाद मेरी भाभी ने मुझे फोन किया और उन्होंने कहा कि बबीता यह लड्डू गोपाल सही नहीं है। सुंदर ने उनको ऐसा बताया कि ऐसे लड्डू गोपाल वह किसी को देते हैं जो कोई अपनी मुसीबत दूसरे को देना चाहते हैं जब मेरी भाभी ने यह सब सुन तो उन्हें बहुत हुआ सुनने कहा कि यह लड्डू गोपाल आप घर में नहीं रख सकते चाहे तो आप इसे विसर्जित कर दो या मंदिर मेरा छोड़ दो मेरी भाभी ने भैया की तरफ देखा और उनसे कहा कि अगर हमारी कोई बच्चा ऐसे विकलांग होता तो क्या हम उसे नदी में फेंक देते या फिर कहीं छोड़ देते प्लेट ना उसे तो मैं भी पाल लेंगे मेरा भाई जो खुद एक एनजीओ चलाते हैं जिसमें विकलांग लोगों की सेवा की जाती है उन्होंने भाभी के मुंह से बात सुनी तो उन्होंने कहा अगर ऐसी बात है तो अब यह लड्डू गोपाल हमारे हैं अब हम इसे बबीता को नहीं देंगे मेरी भाभी ने मुझे फोन पर सारी बातें बताई पर उन्होंने यह नहीं बताया कि लड्डू गोपाल को वह खुद रखेंगे मैं उनके घर गई लड्डू गोपाल को लेने के लिए क्योंकि मेरे मन में भी वही बात थी जो भाभी ने भाई को बोली जब मैं उनके घर गई तो भाभी रो रही थी और वह कहने लगी के लड्डू गोपाल मुझे दे दो मैंने कहा ठीक है भाभी अगर आपको लड्डू गोपाल रखना है तो आप रख सकती हो मेरे पास से एक लड्डू गोपाल है लेकिन मैं एक बात सोच रही थी लड्डू गोपाल सच्ची में लीलाधर है अगर वह लड्डू गोपाल सही होते तो मेरा भाई कभी अपने घर में रखते नहीं देता श्री कृष्णा ऐसे ही है जो भक्त उनका जिस रूप में देखता है या देखना चाहता है भगवान उसको उसी रूप में दर्शन देते हैं वरना वह लड्डू गोपाल 1 साल तक मेरे घर थैले में पड़े थे।


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