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Sakshi Arora

Drama Tragedy

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Sakshi Arora

Drama Tragedy

शराबी... लोग कहते हैं।

शराबी... लोग कहते हैं।

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(रात के 11:45, लेकिन अभी भी उसे घर जाने का कोई ख्याल नहीं है) हाथ में गिलास लिए उसे बस टकटकी लगाए देखे जा रहा है जैसे तो उसे गिलास में कोई दिख रहा हो और पलक झपकते ही वो गायब हो जायगा, इसी वजह से शायद वो बिना पलके झपकाए गिलास को देख रहा है।


इसी बीच उसका फ़ोन बजता है जिसकी डिस्प्ले पर "माँ♥♥♥♥" इस तरह से लिखा था लेकिन उसकी नज़र अभी भी उस गिलास पर ही थी। अचानक ही उसने गिलास उठाया और उसे एक ही सांस में पी गया। सब उसे ये तो कहते थे कि "इतनी मत पिया करो" लेकिन "तुम इतनी पीते क्यों हो ये पूछने वाला कोई न था।”


रात के तक़रीबन 1 बजे तक वो अकेला अपनी गाडी में बैठ कर ही शराब पीता रहा, गाडी स्टार्ट की और चल पड़ा घर की तरफ, इसलिए नहीं कि उसका मन भर गया है बल्कि इसलिए कि बोतल खाली हो चुकी थी।


दरवाज़े पर जैसे ही दस्तक होती है माँ दरवाजा खोलने आती है, लड़खड़ाते हुए अपने बेटे को देख कर माँ गुस्सा भी होती है लेकिन गुस्से से ज्यादा दुखी होती है।


ऐसा केवल आज नहीं था ऐसा तो हर दूसरे दिन ही होता है। वो लड़खड़ाते हुए अपने कमरे में जाता है दरवाज़ा बंद करता है और गिर जाता है अपने पलंग पर। उसे होश कपडे बदलने तक का नहीं था लेकिन उसने अपना फ़ोन निकाला और एक नंबर डायल किया, "किसी रोज़ बारिश जो आये समझ लेना बूंदो में मैं हूँ", सामने से ये रिंगटोन सुनाई देती है लेकिन कोई फ़ोन नहीं उठाता और वो फिर से फ़ोन डायल करता है लेकिन इस बार भी कोई जवाब नहीं आता।


वो हार नहीं मानता बार बार फ़ोन करता है लेकिन फ़ोन कोई नहीं उठाता। नींद का आग़ोश जब उसे घेर लेता है तभी उसके हाथ से फ़ोन गिरता है और वो बेसुध सा सो जाता है।


उसके जीवन में सब है, पैसा, रुतबा, एक अच्छी नौकरी, हसता खेलता परिवार लेकिन अंदर ही अंदर न जाने वह हर रोज़ क्या ही संघर्ष लड़ रहा है कि उसे हर रात सब कुछ भूलने के लिए शराब का सहारा लेना पड़ता है और वो फिर भी नहीं भूल पाता है, नशे में भी बार बार एक ही नंबर डायल करता है।


आखिर किसका है ये नंबर? आखिर ऐसा क्या था जिसे भूलने के लिए उसे नशे का सहारा लेना पड़ता है? जानेंगे अगले अंश में।


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