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Sakshi Arora

Drama

4  

Sakshi Arora

Drama

शराबी..लोग कहतें हैं -पार्ट-3

शराबी..लोग कहतें हैं -पार्ट-3

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कैसा लगता है न जब हम किसी शख्स के बेहद करीब हो, कोई बिना कहे हमारी बात समझ ले और कभी अचानक से वो शख्स हम से दूर हो जाए। जीत जब केवल 12 साल का था तभी उसके पापा का देहांत हो गया। जीत अपने पापा के सबसे करीब था इसीलिए आजतक उनकी दी हुई ज्योमेट्री बॉक्स संभाल कर रखी हुई थी। कहते हैं न जीवन किसी के जाने से थमता नहीं है लेकिन पुराना वाला जीत वही थम गया था लेकिन ज़िन्दगी नहीं। वक़्त बीता एक अच्छी नौकरी मिली, इज़्ज़त मिली, परिवार में भी सब खुश थे लेकिन वो खुश नहीं था उसे आज भी अपने पापा की कमी खलती थी। घर में सभी से उसके सम्बन्ध औपचारिकता तक ही सिमित थे, किसी से भी बात न करना, अंदर ही अंदर मानो उसे कुछ खा रहा हो। अपने इस अकेलेपन को दूर करने के लिए वो शराब का सहारा लेने लगा, काफी लड़कियां भी आई उसकी ज़िन्दगी में एक या दो नहीं कम से कम 10-12 लड़कियों के साथ जनाब के सम्बन्ध रह चुके थे। जीत बस तब तक खुश रहता था जब तक नशे में है या किसी के साथ। एक पार्टी में वो हीर से मिलता है, काफी दिन तक दोनों की बात होती है, एक-दूसरे से मिलते हैं। जीत के लिए हीर बाकी लड़कियों जैसी ही थी लेकिन हीर उस से प्यार कर बैठी थी और एक दिन उसने एक मैसेज टाइप किया "Jeet I love you" और भेज दिया। जीत के लिए ये सब मज़ाक था उसे प्यार तो चाहिए था लेकिन प्यार पर यकीन नहीं था। हालाँकि वो हीर से प्यार नहीं करता था लेकिन फिर भी उसने "I Love You Too" से जवाब दिया।

हीर पहली लड़की थी जो उसे शराब पीने से मना करती थी, सब ने जीत के पैसे देखे लेकिन वो उसका दर्द देख पाई। हीर को तब तक नींद नहीं आती थी जब तक जीत घर नहीं आ जाता। न जाने कितने फ़ोन करती और सामने से जीत का गुस्सा भी सेहती। काफी बार ऐसा भी हुआ कि वो रो कर सोइ और जीत को कुछ पता भी नहीं। नशे में न जाने वो क्या-क्या कह जाता और सुबह उठते ही उसके लिए सब पहले जैसा होता। हीर को पता था कि वो जीत की शराब नहीं छुड़ा पाएगी, उसका और जीत का कोई भविष्य नहीं है लेकिन फिर भी उसने केवल इतना सोचा कि कुछ भी हो जाये लेकिन वो जीत का साथ नहीं छोड़ेगी। उसे शिकायतें भी जीत से थी लेकिन दुआओं में भी उसी का नाम था। जीत को भी उसके लिए बुरा लगने लगा था वो कभी-कभी रात को नशे में उसे फ़ोन करता और बोलता कि "हीर, लड़कियां बहुत आई लेकिन तू अलग है, मुझे शराब छोड़नी है, मैं मर जाऊंगा मुझे बचा ले" लेकिन अगली सुबह वो सब भूल जाता और उसकी हर शाम बोतल के साथ गुज़रती।

बेचारी हीर किसी तरह स्वयं को समझाती कि जीत जैसा भी है उसका है वो सब कुछ सह लेगी लेकिन साथ नहीं छसंघर्ष और मायूसियों का सफर चल ही रहा था कि एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने हीर के इस फैसले को और जीत की तमाम ज़िन्दगी को बदल के रख दिया। हीर के पास एक दोस्त का फ़ोन आता है कि जीत किसी लड़की के साथ होटल में है कल रात से, अब क्या, वही जो सच्चा प्यार करने वाले करते हैं हीर ने यकीन नहीं किया और अपने दोस्त को फटकार लगा दी। फिर अचानक से जाने क्या ही हुआ कि उसने दुबारा कॉल किया और होटल का नाम पूछा और वहां पहुँचने का फैसला किया। हीर को जितनी देर वहा जाने में लगी मानो उसकी सांसें थमी हुई थीं वो बस एक दुआ कर रही थी कि वो जीत न हो।

जैसे ही वो होटल पहुंची जीत होटल के गेट से बाहर ही निकल रहा था। मानो हीर के पैरों तले से किसी ने ज़मीन चुरा ली हो जीत ने उस लड़की का हाथ थामा हुआ था, दोनों काफी खुश लग रहे थे। हीर कुछ पल के लिए जीत के हाथ को ही देखती रही, आँखें पथरा गयी थीं मानो। जीत कि नज़र हीर पर पड़ती है और उसके हाथ से वो हाथ छूट जाता है, हीर कुछ नहीं कहती और रोती हुई कैब की तरफ भागती है और चली जाती है।

जीत गाड़ी के पीछे-पीछे भागता है, इतनी फ़िक्र, इतनी कदर उसने हीर की कभी नहीं की जितनी उसे अब महसूस हो रही थी पर अब कोई फायदा न था, वो जा चुकी थी। शायद जीत को प्यार का एहसास आज ही हुआ था, वो दिन भर उसे फ़ोन करता रहा लेकिन कोई ज़वाब नहीं मिला। तब से ले कर अब तक वो उसे फ़ोन करता है, लेकिन सामने से केवल वो गाना ही सुनाई देता है। डायरी को उसने "सॉरी हीर प्लीज वापिस आ जाओ" एक इसी लाइन से भरा हुआ है। उसकी कलाई पर जो बंद घड़ी है वो हीर ने ही उसे दी थी। आज जीत की ज़िन्दगी में अगर कोई है तो वो बस उसकी शराब, हीर को धोखा देने का अफ़सोस और कुछ भी नहीं। हीर कहाँ है, कैसी है, है भी या नहीं ? किसी को कुछ नहीं पता।


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