शिवभक्ति (नजर और नजरिया)
शिवभक्ति (नजर और नजरिया)
टपकेश्वर देहरादून शिवभक्तों के लिए प्रसिद्ध हैं। टोंस नदी की सुमधुर ध्वनि से मानों भोले संगीत सुन रहें हों।
शिव महाशिवरात्रि की बात ही निराली है, यह पर्व आशीर्वाद प्राप्त करने व शिव के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाने का पर्व है।
शिव प्रतिमा पर गिरती एक एक बूंद मानो यह संदेश दे रही हो, अपने विचारों को परिमार्जित रखो, कोमल रखो ये अनमोल विचारों की एक एक बूंद, शिव रूपी हमारे मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव डालते हैं। जब एक छोटी सी पानी की बूंद पत्थर पर अपना निशान बना सकती है, तो हमारे विचारों की शक्ति तो अनन्त है।
परीक्षा भी कैसे कैसे होती है? शायद यही सब सिखाने के लिए दसवीं बारहवीं की बोर्ड एग्जाम भी साथ साथ होते हैं। कुछ लोगों के लिए बाहर से अजीब लग सकता है, लेकिन गम्भीरता से सोचें तो दूसरा पहलू भी है। जिन छात्रों ने समय से अपना सिलेबस पूरा किया होगा, वही मेले की रौनक व उनको उत्सव नजर आता होगा। इसका उलटा भी सही है। लेकिन शिव सब पर मेहरबान होते हैं।
मेरे विद्यालय मंदिर के एकदम समीप है। बोर्ड परीक्षा के समय ,मंदिर से शिव भक्ति के गीत संगीत की तेज आवाज़ें छात्रों को कोई भी असहजता नहीं होती। सारी बात हम सब के लिए एकाग्रता की है, महाभारत के अर्जुन के उद्देश्य की तरह। छात्र अपनी तीन घण्टों के समय इतना तल्लीन रहता है, उसे पता ही नही चलता कोई संगीत बज रहा है।
परीक्षा के बाद छात्र शिव मेले जाते हैं, झूलों का व खाने का आनंद लेने। कभी कोई शिकायत नहीं मिली कि मेले से लाउडस्पीकर की आवाज़ बंद करा दो। आसपास के घरों के लोग भी इस शिवरात्रि मेले का इंतज़ार वर्ष भर करते हैं, ये शिव की महिमा ही है कि सब, भीड़ व गीत संगीत को सहर्ष स्वीकार किये हुए हैं, बात आनन्द की जो हैं।
मंदिर की सीढ़ी मानो कह रही हो, जीवन में उतार चढ़ाव आते जाते रहते हैं, लेकिन जैसे भोले के दर्शन से वो थकान याद भी नहीं रहती। वैसे ही जीवन में अपने उद्देश्यों के लिए उतार चढ़ाव का आनन्द के साथ पार करो।
मंदिर की भगतों की लंबी पंक्ति मानो धैर्य रखो ,सिखा रहे हो। बीना थकान, परेशानी के प्रसाद का आनंद नहीं ले पाओगे, ऐसा संदेश शिवजी दे रहे हैं। सही भी है, बिना श्रम ,परिश्रम के विश्राम का आनन्द नहीं लिया जा सकता है।
कोविड का भय भी इस बार भगतों को डरा नहीं पा रहा है, मानो शिव जी ने सारा जहर अपने में समा लिया हो।
शिव जी अपने भगतों को इशारा कर रहे हों, शक्ति शाली बनो मन व तन से, कैसे शिवजी अपने को हर मौसम में दूध व ठंडे पानी से प्रातः व देर रात तक स्नान करते हैं। बिना शक्ति के भक्ति का क्या अर्थ? सभी मेलों का आनन्द बिना स्वस्थ शरीर के नहीं ले सकते। बस बात शिव के इशारों को समझने की है.. है ना।