RAJESH KUMAR

Children Stories Inspirational Children

4.4  

RAJESH KUMAR

Children Stories Inspirational Children

नन्हा जादूगर

नन्हा जादूगर

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रोहन की उम्र 12 वर्ष के आसपास थी, वह बहुत चंचल वह नटखट बच्चा था जैसे कि ज्यादातर बच्चे होते हैं,लेकिन रोहन भावुक व दिमाग से तेज था । एक दिन रोहन मां के साथ शिवरात्रि मेले में घूमने के लिए गया, क्योंकि वह छुट्टी का दिन भी था। घूमते समय झूले, खेल खिलोने तेज आवाज के गाने चाट जलेबियाँ बहुत कुछ। लेकिन रोहन का ध्यान ,जादूगर के खेल पर गया ,ये उसका पहला अवसर जो था। बाहर लगे पोस्टर ,उदघोषक की कशिश भरी आवाज़ रोहन को रोक नहीं पाई। माँ से जिद कर जादू देखने के लिए शो का टिकट लिया। जादूगर रोचक व करिश्माई करतब दिखा कर सब का मनोरंजन कर रहा था। जादू का खेल देखते देखते रोहन काल्पनिक व जादुई दुनिया में खो सा गया।घर आने पर रोहन रात भर कल्पना की दुनिया में उड़ता रहा, उसके मन मस्तिष्क में जादूगर बनने की इच्छा हिलोरे मार रही थी। एक दो दिन की उहापोह के बाद मन पक्का कर लिया ,मुझे जादूगर बनना है।

क्योंकि यह बात अपने पापा से कहने में हिचक रहा था ,पापा से न बताकर अपनी मां से बताई की वह जादू सीखना चाहता है व जादूगर बनना चाहता है।

जिससे वह सब गरीबी दूर कर देगा ,जादू से पैसा बना देगा,और सब अच्छा अच्छा होगा, और मेरे पास खूब सारे खेल खिलौने भी होंगे। मैं किसी को भी कुछ भी बना सकूंगा। बुरे लोगों को जादू से गायब कर दूंगा। पता नहीं क्या क्या सोच रहा था!

मां ने रोहन को समझाया कि यह वास्तविकता नहीं है यह सब तकनीक व एक कला है। वास्तव में जादू कुछ नहीं होता है। लेकिन अपने बच्चे को मां से बेहतर कौन समझ सकता है। 

रोहन मानने को तैयार नहीं था, बालमन जो ठहरा। मां रोहन की जिज्ञासा व हठ को देखते हुवे लाचार नजर आई। 

मां ने समझदारी दिखाते हुवे उसे जादूगर के पास ले जाने को तैयार हो गई। मां चोरी छुपे उसे जादूगर के पास ले गई व जादूगर से उसे जादू सीखाने के लिए आग्रह किया। जादूगर हंस पड़ा , वह समझ रहा था ,रोहन कल्पना की दुनिया में है वास्तविकता का उसे आभास नहीं है। ओर उसकी मां की विवशता को भी। अतः बालक को वास्तविकता का आभास व उसके भ्रम को तोड़ने के लिए वह उसे जादू सीखने के लिए राजी हो गया। और रोहन की माँ को ढांढस बंधाया, की रोहन जल्द ही अपनी जिद छोड़ देगा।

रोहन बहुत खुश हुआ ,अगले दिन छुट्टी के बाद वह रोहन को अपनी प्रयोगशाला में ले गया । जहां पर बहुत से उपकरण रखे हुए थे, जिनकी मदद से जादू किया जाता है, उसके अपने पास कबूतर खरगोश आदि सभी पिंजरे में कैद रखे हुए थे।

चार पांच दिन जादू का अभ्यास देखते व सीखते रोहन थक गया व उक्ता गया, जादूगर को तो इस बात का पहले से ही एहसास था। रोहन को वह काम बोरिंग लगने लगा। अब उसे धीरे-धीरे समझ आ रहा था कि जादू एक कला है जिसे सीख कर ही दिखाया जा सकता है, उसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।

कबूतर खरगोश शेर हाथी तो सब यही पिंजरे में कैद रहते हैं। रोहन जादूगर के पास से वापस आ गया और अपनी मां के गले लग गया l कहा माँ मुझे जादू नहीं सीखना है,आखिर मां भी तो यही चाहती थी।

रोहन को एहसास हुआ की किसी भी कार्य करने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है । और उसे अपनी मां के बहुत सारे कामों की याद आ रही थी l कैसे सुबह से रात तक मेरे लिये सब काम करती है खाना कपड़े सब तैयार कर देती है,जो दिन भर वह घर के लिए करती है और उफ़ तक भी नहीं करती है, उसे अपनी मां में ही असली जादूगर नजर आ रहा था। अब रोहन खुश है,असली जादूगर जो उसके पास है। वह अपनी पढ़ाई में ध्यान दे रहा है,ओर समय आने पर नई खोजें करना चाहता है, जिससे सही में गरीबी दूर हो,दुनिया सुंदर व खूबसूरत बनी रहे। ओर असली जादूगर जो सच में दुःख दर्द गरीबी दूर करता हो ऐसा बनना चाहता है।

अब वह अपनी मां को ही जादूगर समझता है, उसका काम व मां की सोच ही रोहन के लिए प्रेरणा बन गया। हम सब में एक जादूगर छुपा है, जो कोई ना कोई विशेषता से भरपूर है, ओर सब से अलग हममें वो बात है,वही तो जादू है, जिसको केवल आप कर सकते हैं, बस उस विशेषता को पहचानने व तराशने की जरूरत है।


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