शिक्षा का एक पेड़ फल नाना
शिक्षा का एक पेड़ फल नाना
राम जी आज प्रातःकाल झरमर बारिश में छाता लेकर बगीचे में आए और जोर से आवाज लगाते हुए... अरे ओ भीमा जरा कुदाली लाना तो
भीम (राम जी का छोटा पुत्र है) अपने हाथ में कुदाली लेकर नंगे पांव दौड़ता हुआ टिप टिप बारिश में भीगते हुए अपने पिताजी के पास पहुंच कर कुदाली सोंपते हुए : लो पिताजी
राम जी: शाबाश भीमा, ले यह छाता पकड़ मैं यह पौधा लगा देता हूं
(राम जी गड्ढा खोदते हैं)
भीम: पिताजी! किसका पौधा है यह ?
राम जी : आम का पौधा है यह, जब बड़ा हो जाएगा तब इसके खट्टे मीठे आम लगेंगे।
भीम: कितने दिनों में बड़ा होगा पिताजी ?
राम जी: (हंसते हुए) दिनों में नहीं, इसको बड़ा होने में 10 से 15 वर्ष लगेंगे तब तक हमें इसकी बहुत सेवा करनी पड़ेगी।
भीम : 15 साल! (आश्चर्य करते हैं) पिताजी क्या जल्दी आम नहीं आ सकते
राम जी: नहीं भीमा , सबकी निश्चित उम्र होती है उस उम्र के बाद ही फल आते हैं,फिर पकते हैं,फिर बीज बनते हैं बीजों से पौधे बनेंगे फिर पौधे पेड़ बनेंगे इस प्रकार यह चक्कर चलता रहता है।
भीम: क्या पिताजी इस पौधे के केले भी लगेंगे ?
राम जी : नहीं, केले का अलग पौधा लगाना पड़ता है।
भीम: तो क्या पिताजी इसके अनार लगेंगे ?
राम जी: नहीं भीमा,इस पौधे के सिर्फ आम लगेंगे और कुछ नहीं ?
भीम: तो क्या इसके चीकू सेव संतरे जामुन बर्फी नमकीन जलेबी भी नहीं लगेगी ?
राम जी: ( जोर से हंसते हुए) अरे मेरा भीमा बेटा जलेबी बर्फी तो मिठाई है इनको हलवाई बनाता है पेड़ पर नहीं लगती। पेड़ पर तो फल लगते हैं और एक पेड़ पर एक ही प्रकार के फल लगते हैं जैसे आम के पेड़ पर आम सेब के पेड़ पर सेव और जामुन के पेड़ पर जामुन।
भीम: (नाराज होते हुए) ओह पिताजी, ऐसा पेड़ लगाओ ना जिस पर मिठाई भी लगती हो और सभी फल भी लगते हो।
राम जी: ऐसा तो एक ही पौधा है भीमा।
भीम: (उत्सुकता से देखते हुए) कौन सा पिताजी ?
राम जी: शिक्षा। शिक्षा का पौधा है भीमा । इसे समाज रूपी बगीचे में लगाया जाता है इसकी खूब सेवा करनी पड़ती है जब बड़ा हो जाता है तो इसके खूब सारे नाना प्रकार के फल लगते हैं जैसा तुम चाहो वैसा तोड़ लो।
भीम: (खुश होते हुए) क्या पिताजी बहुत सारी मिठाईयां भी लगती है ?
राम जी: हां भीमा, शिक्षा के पेड़ पर सभी फल लगते हैं। जो मर्जी आए तोड़ लो। लेकिन बेटा..
भीम: (बीच में बात काटते हुए)लेकिन क्या पिताजी ?
राम जी: शिक्षा के पेड़ की बहुत सेवा करनी पड़ती है बेटा, आंधी तूफान से बचाना पड़ता है तभी फल लग पाते हैं।
भीम: तो अपने भी लगाओ ना पिताजी शिक्षा का पौधा। मैं उसकी खूब सेवा करूंगा।
राम जी: हां बेटा, जरूर लगाएंगे। लेकिन इसके लिए तुझे स्कूल जाना पड़ेगा।
भीम: कब जाऊंगा ?
राम जी: अरे मेरा भीमा बेटा(दुलार करते हैं हुए) अगले वर्ष जब तू 5 वर्ष का हो जाएगा तो तेरा दाखिला स्कूल में करवाएंगे।
भीम :क्या वहां पौधा मिलेगा ?
राम जी: नहीं। वहां शिक्षा मिलेगी । तू खूब मन लगाकर पढ़ाई करना 15 से 20 साल तक।
भीम: तो क्या होगा ?
राम जी : तू जो भी चाहेगा सब मिलेगा
भीम: सब मतलब ?
राम जी: मिठाईयां कपड़े जूते मौजे कार बंगला खूब सारे पैसे घड़ी बहुत सारे फल जो भी तू सोच सकता है सब मिलेगा।
भीम: (सोचते हुए) लेकिन कैसे मिलेंगे ? पौधा तो लगाया ही नहीं!
राम जी : पढ़ाई से इंसान डॉक्टर इंजीनियर कलेक्टर वैज्ञानिक शिक्षक प्रोफेसर जो चाहे बनता है, खूब सारे पैसे मिलते हैं पैसों से वह जो भी सोचता है सब खरीद लेता है, इंसान को देश की सेवा करने का अवसर मिलता है दुनिया में खूब नाम होता है, हमेशा के लिए अमर हो जाता है। मेरा भीमा भी खूब पढ़ाई करेगा तो दुनिया में अमर हो जाएगा। (एकदम चेतन होते हुए) अरे देख पूरा गीला हो गया, अब नहा ले।।
