शिखर पुरुष ⇸ एक अंतहीन रहस्य
शिखर पुरुष ⇸ एक अंतहीन रहस्य
आज पुरे शहर में एक ही नाम की चर्चा है और यह नाम है पुलिस ऑफिसर सूरज का जिसने अंडरवर्ल्ड डॉन याफन, कुख्यात गजनफर सहित पुरे गैंग का सफाया कर दिया है। सभी लोग सूरज की वाहवाही कर रहें है। सुरज और उसकी पत्नि सुजाता दोनों को शहर के बहुत बड़े समारोह में बुलाया जाता है। काफी सम्मान मिलता है। सुरज अपनी इस कार्य का श्रेय अपने मामा मधुसुदन को देता है। कई पत्रकार उसके साक्षात्कार के लिए आते है। सूरज सबको बताता है की कैसे उसने जानकारी मिलने पर, गैंग की मीटिंग पर अचानक हमला करके उसे खत्म कर दिया।
दूसरे दिन एक अखबार कार्यालय में एक पत्रकार रश्मि देर से आने पर अपने बॉस से डांट सुनती है। बॉस - “तुम देर से क्यों आयी?” रश्मि - “सर ट्रैफिक प्रॉब्लम।”
बॉस - “व्हाट ट्रैफिक प्रॉब्लम? दूसरे को क्यों नहीं होता? तुम देर से आती हो और बहाना ट्रैफिक का।” बॉस खरी खोटी सुनाता है। रश्मि की दोस्त खुशी उसे कहती है कि कल का सुरज का इंटरव्यू छापे। रश्मि मना कर देती है। पीछे से संपादक आकर पूछता है कि, “क्या प्रॉब्लम है? क्यों नहीं छाप सकते है।” रश्मि -“सर इंडिया ही नहीं बीस देशों की पुलिस और खुपिया तंत्र जिस याफन को नहीं पकड़ पायी उसे एक आईपीएस ऑफिसर चलते फिरते कैसे मार देगा। और भी कई पॉइंट है जिससे इसकी सच्चाई छुपाई गई है।”
इसपर सम्पादक भड़क जाता है और बाॅस के सामने रश्मि को बुलाता है बॉस उसे बताता है की सारे न्यूज़ पेपर सुरज के नाम पर बिक रहे है और हम क्यों न करे। रश्मि उसे समझाती है की वास्तविकता यह नहीं है। पर बॉस डांट देता है।
शाम को रश्मि अपने दोस्त राहुल से यह सब बताती है। राहुल उसे कहता है की सब ठीक हो जाएगा। रश्मि दुसरे दिन समय पर ऑफिस पहुँच जाती है आज बॉस उससे खुश होता है। रश्मि बॉस से याफन मामले की तह तक जाने की बात कहती है। पहले बॉस मना करता है पर बाद में मान जाता है। पर साथ में चेतावनी देता है कि यदि मामला कुछ और नहीं है तो परिणाम रश्मि को भोगना पड़ेगा। रश्मि सारे बायनों को नोट करती है। इस अभियान में भाग लेने वाले सारे पुलिस कर्मीओं के बारे में जानकारी लेती है। किसी एक पुलिस कर्मी जो निचली स्तर का है पि कर बता देता है कि एक कैदी जिसका नाम फरान है उसी की वजह से यह काम हुआ है।
जेल में उसे राहुल के पिताजी के दोस्त जो जेलर है उनके मदद से एंट्री मिल जाती है। जेल में जाने पर पता चलता है कि करीब एक महीने से सुरज और मधुसूदन का आना जाना था किसी केस को लेकर। फरान को लेकर आज सुबह पुलिस वाले तफ्तीश करने गए है। पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है की फरान गजनफर का बीटा है और आर्म्सक्त में पकड़ा गया है।
गजनफर का नाम आते ही रश्मि को झटका लगता है और पता चलता है कि आज से चौबीस साल पहले एक भीड़ भाड़ वाले बसअड्डे को बॉम से उड़ाया था। तब उसे तात्कालिक आई जी मधुसुधन ने गिरफ़्तार किया था लेकिन वह भाग गया था। गजनफर की बस्ती में जाती है रश्मि। वहाॅं लोगो से पता चलता है की गजनफर और उसकी गर्भवती पत्नी नूरिन रहते थे। गजनफर अपनी बीवी से हद से ज्यादा प्यार करता था। वह रातोरात अमीर बनना चाहता था। इसलिए उसने याफन से दोस्ती कर ली। बम कांड के बाद हिन्दू-मुस्लिम दंगा भड़क गया था। उसके बाद उसका परिवार कहाॅं गया पता नहीं।
अगली सुबह के अखबार में फरान के इनकाउंटर का न्यूज़ छपता है। रश्मि समझ जाती है। लाश शिनाफ्ट करने आयी नौरीन से रश्मि मिलती है। और कहानी जो पता चलता है कि गजनफर जेल से भागकर अपने घर आता है वहाॅं दंगे की वजह से घर खाली देखता है। उसे लगता है कि उसका परिवार दंगे का शिकार हो गया। वह ग़ुस्से में आई जी मधुसुदन के घर पर जाता है। वहाॅं पर उनकी पंद्रह वर्षीय बहन मृणाल को अकेले पा कर बालात्कार कर देता है। कम उम्र में मृणाल के साथ वह्शी कार्य करके वह भारत से दुबई भाग जाता है। दरिंदगी की शिकार मृणाल मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाती है। शहर से दूर उसका ईलाज होता है। इधर दंगे से भागते हुए नौरिन का गर्भपात हो जाता है। उसका बच्चा मरा हुआ पैदा होता है। नौरिन को मृणाल के ईलाज करने वाली टीम में नर्स की नौकरी करने लगती है।
मृणाल का लड़का पैदा होता है।
उस लड़के को मंदिर के चौखट पर छोड़ कर सभी चले जाते है। वहाॅं से नौरिन उठा लेती है और उसे अपने बेटे की तरह पालती है वह उसे एक अच्छा इंसान बनाना चाहती है। मधुसूधन पागलों की तरह गजनफर को ढूंढ़ता है। मधुसुधन अपने दोस्त तारक से मृणाल की शादी करवा देता है। मृणाल ठिक हो कर जज बन जाति है। तारक और मृणाल का बेटा सूरज होता है। पर इस तरह बाईस साल बीत जाते है। सुरज अपने कॉलेज की एक लड़की सुजाता से प्यार करने लगता है। पर सुजाता उसे घाँस भी नहीं डालती है।
फरान भी गांव में सभी से मिलकर रहता है। गांव के जमींदार चरन सिंह और सुजाता के पिता अर्केश ओबरॉय अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलना चाहते है। इसलिए सुजाता को गाॅंव भेजते है। सुजाता को रिसीव करने चरण का बेटा बरन जाता है। रास्ते में सुजाता को बरन बिलकुल भी पसंद नहीं आता है। रास्ते में टायर पंचर हो जाता है। काफी देर इंतजार के बाद फरान बैलगाड़ी से आता दिखता है। सुजाता डांट कर बरन को पंचर बनवाने भेज देती है और खुद फरान के साथ गाॅंव आती है। फरान उसे अच्छा लगता है। धीरे धीरे बार बार मिलते रहने से दोनों में प्यार हो जाता है। यह बात चरण और बरन को पता चलती है। दोनों को अर्केश की करोडो की सम्पत्ति हाथ से जाती दिखायी देती है। सुजाता को बरन प्रभावित करने की काफी कोशिश करता है। लेकिन प्रभावहीन। अंत में फरान के घर में हाथियार रखकर पुलिस से पकडवा देते है। पुलिस करवाई के दौरान एक पुलिस ऑफिसरद्वारा नौरिन पहचान ली जाती है। गजनफर के परिवार होने के वजह से देशद्रोही साबित हो जाता है। नौरिन जज के रूप में मृणाल को देख लेती है।
नौरिन मृणाल से सब बतानी चाहती है। तभी मधुसुधन वहाॅं पहुॅंच जाते है। वह मधुसुदन पर विश्वास करके बता देती है। मधुसुधन जो कई सालों से गजनफर के पीछे था मन में एक योजना बनाता है। फरान को ऐसे जेल में शिफ्ट करता है जहाॅं गजनफर का खासमखास सकुरा है। और सकुरा के माध्यम से गजनफर तक खबर पहुॅंच जाती है की उसका बेटा क़ैद में है। इधर सुरज और सुजाता की शादी उनके माता-पिता के वजह से हो जाती है। चरण और बरन से सूरज को सुजाता और फरान का प्यार पता चल जाता है। सुरज सुजाता के दिल से फरान को निकलना चाहता है।
जेल में तफ्तीश के बहाने सूरज फरान की काफी पिटाई करता है। जब यह बात मधुसुदन को पता चलती तो वह सुरज को बुलाता है और कारण पूछता है। सुरज उसे मार डालना चाहता है। पर उसे मधुसुदन रोक लेता है। कारण भी बताता है।
उसे अपनी योजना बताता है। आख़िरकार गजनफर को अपने बेटे के बारे में पता चल जाता है। औलाद की मोहब्बत जग उठती है। सकुरा के मार्फत वह मधुसुदन से बात करता है। सौदा याफन को पकड़वाने का। पहले गजनफर मना कर देता है। पर जब मधुसुदन जब फरान को मारने की धमकी देता है तब तैयार हो जाता है। आखिर वह दिन भी आ जाता है जब यफान भारत आता है। फिर मधुसुदन और सुरज अपने चुनिंदा जवानों के साथ हमला कर देते है। याफन और गजनफर सहित पुरे गैंग का सफाया। यह बता कर वह चली जाती है।
दूसरे दिन एक गाड़ी द्वारा नौरिन का एक्सीडेंट हो जाता है। और नौरिन की मृत्यु हो जाती है। रश्मि अपनी बात एडिटर को बताती है। रात में रश्मि के घर पर तोड़ फोड़ होता है कुछ गुण्डे आकर धमकी देते है। दूसरे दिन रश्मि को काम से निकाल दिया जाता है। शाम को सारी बातें राहुल को बताती है। रश्मि जाकर सुजाता से मिलती है। उससे गाॅंव के फरान की बात करती है पर सुजाता ज्यादा बात नहीं करना चाहती है। तब रश्मि सुजाता को फरान की असलियत बता देती है। सुजाता के सहारे मृणाल तक रश्मि पहुॅंच जाती है। और फरान के जनम से सारी कहानी बता देती है। मृणाल मधुसुदन और सूरज से पूछती है तो वह सब बता देते है और अंत में एयरपोर्ट ले जाते है जाॅं उन्हें फरान मिलता है। मधुसुदन बताता है कि वह फरान का इस्तेमाल करके गजनफर को मार डालने के बाद फरान को भी मारना चाहता था पर उसे लगा की फरान को मारकर उसे कुछ मिलने वाला नहीं है। एक पुराने क़ैदी की लाश को इनकाउंटर दिखा दिया गया है। आज इसे हम हमेशा के लिए नेपाल भेज रहे है। फरान को अपनी असली माँ मृणाल के बारे में पता चल जाता है। दोनों माँ-बेटे एक दूसरे से लिपट के खूब रोते है।
अगली सुबह रश्मि को बॉस का फ़ोन आता है की ड्यूटी पर आ जाओ। बॉस पूछता है कि क्या हुआ? रश्मि बोलती है कि कुछ नहीं और हंस कर चल देती है।