सबसे खूबसूरत फूल
सबसे खूबसूरत फूल
शहर की भागती ज़िन्दगी, बच्चों की छुट्टियाँ, सुबहो-शाम उपवन की सैर। नन्हीं आँखों का झुंड झूलों के पास, हज़ारों फूल और बीच में एक फुव्वारा,
प्यारा सा बुज़ुर्ग माली न जाने एक गुलाब से क्यूँ प्यार करता था? किसी को आस-पास भी न आते देता। सबसे खूबसूरत फूल और उसे छूने के लिए तरसते बच्चे, सबसे लड़-झगड़ कर रातों को रोता बेचारा माली। बेदर्द ज़िन्दगी और बूढ़ी हड्डियाँ, चन्द नादानों को देख पेट भरता और उसी फूल के लिए झगड़ा करता। बीमारी से लाचार पर छुट्टी लेने के लिए भी ना तैयार होता, अंत तो सबका आता है, आखिरी रात और वो उसी फूल के पास सोना चाहता था।
चौकीदार ने पूछ ही
लिया कि क्या खास है ऐसा इस फूल में जो सबसे सुंदर फूल भी इसे ही कहते हो और किसी को पास भी ना आने देते हो ?
माली फूट-फूट के रोया और फिर हँसने लगा।
माली चौकीदार को बोला,"मेरी बेटी जब पिछली बार ससुराल से आई थी, तो ये गुलाब लगाकर गई और कहकर गई कि पिता जी इस नन्हे गुलाब को वैसे ही पालना जैसे मुझे पाला है,अगली बार देखकर जाऊंगी।"
बेटी अल्लाह के घर क्या चली गई, लौटी ही नहीं। मैं तो आज भी फूल की देखभाल करता हूँ। कल को अगर उसे तरस आए और मेरे जनाजे में आए तो कहना ,"बेटी तुम ही मेरे बागीचे का सबसे खूबसूरत फूल हो और तुमने ही सबसे खूबसूरत फूल लगाया है।"