Varman Garhwal

Drama

1.0  

Varman Garhwal

Drama

रक्षा-बन्धन की शाम

रक्षा-बन्धन की शाम

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विवेक- "हैप्पी रक्षा-बन्धन।"

प्रेरणा- "अरे, तुम मुझे रक्षा-बन्धन क्यों विश कर रहे हो ?"

विवेक- "क्यों क्या हुआ ?"

प्रेरणा- "ये भाई-बहन का त्यौहार है, गर्लफ्रैंड-बॉयफ्रैंड का नहीं।"

विवेक- "हाँ, तो मैंने कब तुमसे राखी बंधवाई ? मैंने तो सिर्फ विश किया।"

प्रेरणा- "लेकिन तुम मेरे बॉयफ्रैंड हो और कुछ महीनों बाद हमारी शादी होने वाली है।"

विवेक- "तो विश करने में क्या प्रोब्लम है ?"

प्रेरणा- "प्रोब्लम तो है ही ना, तुम मेरे भाई थोड़े ही हो।"

विवेक- "तो विश करने के बाद मैं बॉयफ्रैंड से भाई हो जाऊँगा ?"

प्रेरणा- "मुझे नहीं पता। मुझे बस इतना पता है, बॉयफ्रैंड राखी विश नहीं करते। ये सिर्फ भाई-बहन का त्यौहार होता है।"

विवेक- "रक्षा-बन्धन भाई-बहन का त्यौहार होता है। बहन भाई को राखी बाँधती है और भाई बहन को कोई गिफ्ट या गिफ्ट खरीदने के लिए पैसे देते है। ये बात बिल्कुल सही है। मेरी भी तो एक बहन है। लेकिन कोई दोस्त या गर्लफ्रैंड-बॉयफ्रैंड एक-दूसरे को विश नहीं कर सकते, ये कहाँ लिखा हुआ है ?"

प्रेरणा- "नहीं कर सकते, किसी से भी पूछ लो ?"

विवेक- "अच्छा तो मैं तुम्हें रक्षा-बन्धन विश करके, राखी की बधाई नहीं दे सकता। ये गलत है, ऐसा नहीं करना चाहिए।"

प्रेरणा- "हाँ।"

विवेक- "अच्छा तो एक बात बताओ ?"

प्रेरणा- "पूछो।"

विवेक- "अभी चार महने पहले अप्रैल में तुम्हारे भईया की मैरिज एनिवर्सरी पर तुमने उनको विश क्यों किया ? वो तो तुम्हारे भईया-भाभी का ही दिन था।"

प्रेरणा- "अरे मैरिज एनिवर्सरी पर तो सभी विश करते हैं।"

विवेक- "मतलब तुम वही करोगी जो सब करते हैं। खुद के दिमाग से नहीं चलोगी। तुम्हारी अपनी कोई समझ नहीं है।"

प्रेरणा- "मतलब ?"

विवेक- "मतलब ये कि विश करने का मतलब होता हैं, बधाई देना। बधाई देकर खुशियों की दुआ मांगना। जब हमने तुम्हारे भईयाँ-भाभी को गिफ्ट दिया, तुम्हारे मन में यही था ना कि भईयाँ-भाभी एक-दूसरे के साथ हमेशा खुश रहे। उनकी जिन्दगी में कभी कोई प्रोब्लम ना आए।"

प्रेरणा- "हाँ, माँगा तो यहीं था। तुमने भी तो भईयाँ-भाभी से यही कहा था।"

विवेक- "हाँ, क्योंकि विश करने का मतलब अच्छी दुआ करना या मंगलकामना करना ही होता है। बाकी गिफ्ट वगैरह तो हम अपनी तरफ से देते हैं। जैसे हौली-दिवाली पर हम अपने और अपने परिवार के लिए सुख-शान्ति मांगते हैं। दुःख-तकलीफ से दूर रखने की दुआ माँगते हैं। अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से बात करके या मिलकर उनको बधाई देते टाइम यहीं तो बोलते हैं, भगवान आपको हमेशा खुश रखें। परेशानियों से दूर रखें।"

प्रेरणा- "हाँ, होता तो ऐसा ही हैं।"

विवेक- "इसमें कुछ गलत हैं क्या ?"

प्रेरणा- "नहीं, बिल्कुल नहीं।"

विवेक- "तो फिर रक्षा-बन्धन पर मैं तुम्हें विश करके तुम्हारे और तुम्हारे भाई के लिए ये माँगता हूँ कि तुम भाई-बहनों का प्यार हमेशा बना रहे, तुम सब हमेशा खुश रहो, तो इसमें क्या प्रोब्लम है ?"

प्रेरणा- "लेकिन बाकी सब तो ऐसा नहीं करते।"

विवेक- "अब बाकी सब बेवकूफ हैं, तो क्या हम भी उनकी तरह बेवकूफ बनें ? जैसे मैरिज एनिवर्सरी पर कैक हसबेंड-वाइफ काटते हैं, एक-दूसरे को रिंग पहनाकर या माला पहनाकर धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं। उसमें रिंग या माला तो हैंसबैंड-वाईफ़ ही एक-दूसरे को पहनाते हैं। बाकी जो फैमिली मेम्बर और दोस्त-रिश्तेदार होते हैं, वो सब तो सिर्फ विश करके बधाई देते हैं। ठीक उसी तरह रक्षा-बन्धन पर बहन राखी भाई को ही बाँधती है और भाई बहन को गिफ्ट देते हैं। लेकिन जो बॉयफ्रैंड, दोस्त या दूसरे रिश्तेदार होते हैं, वो सब विश करके बधाई दे सकते हैं। हैप्पी रक्षा-बन्धन बोलकर विश करके गर्लफैंड और गर्लफैंड के भाई के लिए दुआ मांगने में कोई बुराई नहीं है।"

प्रेरणा- "लेकिन मैं तो बीस साल की हो गई। मुझे तो आज तक किसी दोस्त ने रक्षा-बन्धन विश नहीं किया।"

विवेक- "अब किसी ने विश नहीं किया, तो ये उनकी सोच है। इसमें हम क्या कर सकते हैं ? तुमने भी आज तक किसी को विश नहीं किया होगा ?"

प्रेरणा- "बचपन में करती थी। लेकिन सब यहीं बोलते थे, ये भाई-बहन का त्यौहार हैं। दोस्त को राखी विश नहीं कर सकते।"

विवेक- "तुमने पूछा, क्यों विश नहीं करते ?"

प्रेरणा-"नहीं।"

विवेक- "ये भी सही है। ये अपनी-अपनी सोच है। मेरे हिसाब से तो विश करने में कोई बुराई नहीं है। अच्छा तुम बताओ तुम्हारी फैमिली में तुम्हारे जिन भाईयों की शादी हो चुकी है, तुमने उन सबकी वाईफ को भी राखी बाँधी या नहीं ?"

प्रेरणा- "बाँधी हैं ना, भईया को राखी बाँधने के बाद हमारे यहाँ भाभी को भी बाँधते हैं।"

विवेक- "तो भाभी ने भी कुछ गिफ्ट दिया ?"

प्रेरणा- "हाँ, भाभी अलग से मेरे लिए ड्रेस लेकर आई थी।"

विवेक- "तो फिर ? इसी तरह हमारी शादी के बाद जब तुम भईया को राखी बाँधोगी तो वो तुम्हारे साथ मुझे भी कुछ गिफ्ट देगें ना। तो मैं उनको क्या बोलूँगा ?"

प्रेरणा- "थैक्स।"

विवेक- "थैक्स के साथ ये भी तो बोलना पड़ेगा हैप्पी रक्षा-बंधन। आप और आपकी बहन का प्यार हमेशा बना रहे, ताकि हर साल मुझे भी गिफ्ट मिलते रहे।"

प्रेरणा- "(हँसकर) हाहाहाहा....तो तुम गिफ्ट के लिए विश करोगे ?"

विवेक- "और क्या ? ससुराल से गिफ्ट तो मिलते ही हैं।"

प्रेरणा- "मतलब बॉयफ्रैंड को विश कर सकते हैं।"

विवेक- "मेरे हिसाब से तो कर सकते हैं। जैसे मैरिज एनिवर्सरी पर भाई-बहन के विश करने से पति-पत्नी का रिश्ता नहीं बदलता, ठीक उसी तरह रक्षा-बंधन पर अपनी दोस्त या गर्लफ्रैंड को विश करने से गर्लफ्रैंड बहन नहीं बनती। दिल से बहन मानने पर ही कोई लड़की किसी लड़के की बहन बनती है। बाकी तुम्हारी मरजी हैं। अगर तुम्हें सही नहीं लगता, तो कोई बात नहीं।"

प्रेरणा- "नहीं पहले मैं भी ऐसा ही सोचती थी। लेकिन बाकी सब लड़के-लड़कियाँ तो राखी के नाम से ही दूर भागते हैं। तो उनको देख-देखकर मैं भी उनकी तरह सोचने लगी।"

विवेक- "राखी के नाम से दूर भागने के दो ही कारण होते हैं। पहले तो वो लोग, जिनके मन में पाप होता हैं। वरना शादी तो किसी एक से ही करनी हैं, फिर दूसरी लड़कियों को बहन बोलने में क्या प्रोब्लम हैं ?"

प्रेरणा- "(हँसकर) हाहाहाहा....ये तुमने सही कहा। अगर बहन बोल देगें, बाद में तो गर्लफ्रैंड बनने के लिए कैसे बोलेगें ?"

विवेक- "हाँ, जिनको प्यार के नाम पर कई लोगों के साथ टाइमपास करना होता है, वहीं लोग रक्षा-बंधन के नाम से दूर भागते हैं। वरना अगर आपको किसी लड़की से राखी नहीं बँधवानी हो, तो साफ-साफ बोल दो, मुझे आपको बहन नहीं बनाना। सिम्पल। कोई लड़की ज़बरदस्ती बहन थोड़े ही बनती है।"

प्रेरणा- "हम्म, और दूसरा कारण क्या है ?"

विवेक- "दूसरा कारण यहीं हैं कि कुछ लोगों को तुम्हारी तरह गलतफ़हमी होती हैं। रक्षा-बंधन पर बस भाई-बहन ही एक-दूसरे को विश कर सकते हैं, बाकी लोग विश नहीं कर सकते। विश तो कोई भी कर सकता हैं. हौली-दिवाली पर हमें मुस्लिम, ईसाई और दूसरे धर्मों के लोग भी हैप्पी हौली, हैप्पी दिवाली बोलकर विश करते हैं, लेकिन वो सब हमारी तरह पूजा-पाठ थोड़े ही करते हैं। सिर्फ विश करते हैं। इसी तरह हम भी हैप्पी ईद, मैरी क्रिस्मस बोलकर उनको विश करते हैं, लेकिन उनकी तरह रोज़े, नमाज़, चर्च में जाना वो सब थोड़े ही करते हैं। सिर्फ विश करते हैं। विश करने में कहीं कोई बुराई नहीं है, तो इसी तरह राखी बन्धवाकर भाई बनना और अपनी दोस्त या गर्लफ्रैंड को राखी विश करना। ये दोनों अलग-अलग बातें हैं।"

प्रेरणा- "हम्म.....तो फिर मेरी तरफ से भी तुम्हें हैप्पी रक्षा-बंधन।"

विवेक- "अरे सिर्फ विश ही करोगी क्या ?"

प्रेरणा- "तो और क्या करूँ ?"

विवेक- अरे ये एक ही तो दिन होता हैं, जब बॉयफ्रैंड और पति गर्लफ्रैंड और वाईफ़ से नहीं लुटते, बल्कि भाई लुटते हैं। आज तो कुछ पार्टी-शार्टी करो, कुछ खिलाओ-पिलाओ। भाईयों और भाभियों से पैसे मिले होगें ना।"

प्रेरणा- "अच्छा, अभी तुम्हारी बहन को कॉल करके बताती हूँ, तुम्हारा भाई बोल रहा हैं कि आज बहन ने पैसे लूट लिए।"

विवेक- "ठीक है, कंजूस लड़की। मैं चलता हूँ, तुम बचाओ पैसे।"

प्रेरणा- "अरे ! कहाँ जा रहे हो ? चलो आज तुम्हें मैं पार्टी देती हूँ। तुम भी क्या याद करोगे, कितने बड़े दिल वाली गर्लफ्रैंड मिली।"

विवेक- "ओहो, पिछले आठ महीनों में पहली पार्टी देकर बड़े दिल वाली गर्लफ्रैंड। ये भी सही है।"

प्रेरणा- "हाँ, सब सही है। अब चलो, फिर मुझे घर भी जाना हैं। अंधेरा होने के बाद घर में सब परेशान हो जाते हैं।"

विवेक- "अरे ! चिन्ता मत करो। मैंने तुम्हारे भईया को कॉल किया था और उन्होंने कहा हैं प्रेरणा के साथ घर जरूर आना। तो मैं तुम्हें सही सलामत साथ लेकर तुम्हारे घर ही चलने वाला हूँ।"

प्रेरणा- "जब तुम साथ होते हो, मुझे वैसे भी कोई चिन्ता नहीं होती। मुझसे ज्यादा तो तुम मेरा ख्याल रखते हो।"

विवेक- "अब क्या करें ? तुमसे प्यार जो हो गया है।"

प्रेरणा- "हम्म... लव यू टू। चलो चलते हैं।"


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