रज्जो की माँ
रज्जो की माँ
जब देखो तो दांत फाड़ कर हंसती रहती हो, -कभी मुंह बंद भी होता है तुम्हारा,जब देखो तो ही ही ही ही करती रहती हो.....मां सीढ़ियों पर चढ़ती हुई ऊपर आ रही थी और मुझे यह उराहाने दे रही थीl मैं अपनी सहेली रूपा के साथ छत की मुंडेर पर बैठी उससे बतियाते बतियाते हंसती जा रही थी।
और वह भी मुझे हाथ मार मार कर हंस रही थी, हम दोनों सहेलियां बचपन से ही बहुत शरारती और लोगों को परेशान करने में माहिर थे.....l.मां हमारी आदत को बहुत अच्छे से जानती थी ,सो उसको यह जानकारी लग गई थी कि हम कुछ बाहर शरारत करके आए हैं, और उसी बात पर दांत फाड़ कर हंस रहे हैं। वो हाँफते हुए हमारी तरफ बढ़ रही थी और पूछ रही थी आज किसका काम बिगाड़ कर या किसके साथ छेड़खानी करके आई हो।
मां का हाँफ़ता और लाल चेहरा देखकर हम दोनों शांत हो गए और अपनी आंखों को नीचे करते हुए ऐसे भोले बन गए जैसे कुछ जानते ही ना हो। जब माँ को मुझसे कोई उत्तर नहीं मिला तो उसने कस कर मेरी चोटी खींच कर कहाँ क्यों री जवान कट कट कर कहीं गिर गई है जो जवाब नहीं निकलता , फिर जोर से चिल्लाती हुई बोली......रूपा तू ही बता.....क्या करके आए तुम दोनों!! नीचे रज्जो की मां बैठी है और शिकायत लेकर आई है कि तुम दोनों ने रज्जो के जूतों को नाली में फेंक दिया और उसके बैग से किताब निकालकर कहीं छुपा दी है.....उसके बाद तुमने उससे कहा कि अगर हमारी शिकायत किसी से की तो कल तुम्हारे पूरे बैंक से किताबें गायब कर देंगे। रूपा ये सुनकर कुछ सहम सी गई और मां का यह रूप देख कर डर गई, चाची वह स्कूल में आज बहुत सेखी झाड़ रही थी अपने नए जूते पहन कर क्या आई अपने आप को राजकुमारी ही समझ रही थी अपने नए जूते दिखा दिखा कर हम दोनों को जला रही थी, सो हमसे रहा ना गया और फिर हम दोनों को गुस्सा आ गया, हमने भी उसकी बातों का जवाब उसी की जबान में दे दिया ....आप ही बताइए......हमारी कहा
ं गलती है।
मां ने अपनी धोती के आंचल से माथे का पसीना पूछते हुए कहा .....गलती ! तुम्हारी गलती नहीं है...अगर वह सेखी झाड़ रही थी, तो क्या तुम उसके जूते नाली में फेक कर और किताबों को छुपा कर रखोगी....तुम दोनों को ये कार्य शोभा देता है.......ये तो बहुत ही शर्म की बात है, इसी वक्त दोनों यहां से उठो और जाकर रज्जो की मां से माफी मांग कर आओ, नहीं तो शाम को तुम्हारे पिता से मैं शिकायत करूंगी।
हम दोनों चुपचाप उठे और मां के साथ साथ सीढ़ियों की तरफ आगे बढ़ने लगे, आखिरी सीढ़ी से पैर जैसे ही नीचे जमीन पर रखा .... सामने हमको रज्जो की मां की सूरत दिखाई दी, हम दोनों एकदम से डर गए अब तो कयामत आ गई। तभी मां ने कहा यह दोनों लड़कियां आ गई हैं देखो, आपसे माफी मांगने के लिए ....हम दोनों ने अपने हाथ कानों पर रखते हुए और फिर कानों से हाथ हटाते हुए अपने दोनों हाथ जोड़कर उनसे माफ़ी मांगी, और कहा आगे से हम यह गलती नहीं करेंगे रज्जो की मां का गुस्सा थोड़ा ठंडा हो गया और बोली...बेटा रहने दो, दोनों आज के बाद ऐसी गलती कभी मत करना, तुम भी बच्ची हो इसलिए तुम को इस बार तो मैं माँफ कर देती हूं, लेकिन आगे से कभी भी इस तरह की कोई गलती मत करना तब तुमको मांफी नहीं मिलेगी, हम दोनों चुपचाप आंखें नीचे किए उनकी बातें सुनते रहे और उन्होंने तब हमारे दोनों के सर पर हाथ रखते हुए बड़े प्यार से समझाया बेटा आपस में हम लोग एक साथ जब रहते हैं तो इस तरह की लड़ाई और बर्ताव नहीं करते हैं।
हम दोनों को अपने किये पर अब बहुत अफसोस हो रहा था, उसी दिन हम दोनों से एक दूसरे से ये वादा किया कि आज के बाद कभी भी किसी को ना तो सताएंगे और ना ही किसी को परेशान करेंगे। रजो की माँ को दूर तक जाते हुए हम दोनों देर तक देखते रहे........ Il जो हमें दो मिनट में जीवन भर की सीख देकर चली गई थी।l