राम नाम
राम नाम


एक बार महात्मा गांधी जी का बड़ा लड़का देवदास गांधी बीमार हो गया ,और दशा इतनी खराब होती गई कि उसके जीने की कोई आशा ही नहीं रही। हालत गिरती ही जा रही थी ।मुंबई चौपाटी में ठहरे थे ।कई डॉक्टर देखने आए। सबकी राय हुई, इसमें शक्ति लाने के लिए मांस का जूस दिया जाए तो बच सकता है ।
गांधी जी से कहा- आप इसे यहीं दीजिए जान बच जाए, नहीं तो यह कुछ ही समय का मेहमान है ।
गांधीजी ने कहा, हम यह तो नहीं दे सकते। भगवान जो करेंगे वही ठीक है ,डॉक्टर लोग चले गए। गांधी जी ने अपने लड़के के ऊपर एक भीगा कंबल उड़ाया और चौपाटी की ओर निकल गए। वह लिखते हैं कि बस मेरे हृदय से मेरे तन मन से राम नाम ही निकल रहा था। मैं आधे घंटा घूमा और ऐसा लगा कि मैं राम में ही घूम रहा हूं।
फिर ख्याल आया कि घर चलूँ। किवाड़ खोलें। लड़का बोला-" बापू"? पूछा -क्या हाल है ? अब मैं बिल्कुल ठीक हूं ।डाक्टर फिर आए पूछा आपने इसे क्या दिया है ? बोले कुछ नहीं।
प्रभु नाम की महिमा है। उसकी शक्ति अपार है। इसलिए तुम, सत्य की ओर चलो, इस संसार के भोगने के प्रलोभन में सत्य और अहिंसा को मत छोड़ो ।ऐसे कठिनाइयों के समय जो सत्य को पकड़े रहते हैं,सत्य (प्रभु)उससे प्रसन्न रहता है ,उनकी आत्मा में शक्ति आती है और उससे वह सदैव सुखी और संतुष्ट रहते हैं।