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Paramjeet Singh Kehloori

Inspirational

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Paramjeet Singh Kehloori

Inspirational

राहुल का संघर्ष

राहुल का संघर्ष

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मैं सरकारी स्कूल करो एक अध्यापक हूं आज आपको सच्ची और प्रेरणात्मक कहानी से रूबरू करवाता हूं। मेरी पाठशाला में एक राहुल नाम का लड़का पढ़ता था। राहुल के दो छोटे भाई बहन भी उसी स्कूल में पढ़ते थे। राहुल पढ़ने लिखने में थोड़ा कमजोर था लेकिन स्कूल के बाकी कार्यों में बहुत सहयोगात्मक रुख सकता था। उसके पिता कई बार पाठशाला से होकर गुजरते थे तो हमेशा मेरे साथ बात होती थी वह कहते थे गुरुजी कुछ भी हो जाए पर मेरे बेटे को रोटी के लायक जरूर कर देना। जैसे कैसे राहुल ने 5वी की पढ़ाई पूरी की और छठी की पढ़ाई के लिए उच्चतर पाठशाला में दाखिला लिया। लेकिन अचानक सामाजिक रहन-सहन में परिवर्तन आया और हम लोग कोरोना काल के एक बुरे दौर से भी गुजरे।

इसी काल में अचानक राहुल के पिताजी को एक दिन सांँस की दिक्कत महसूस हुई। घर की स्थिति बहुत दयनीय थी। राहुल के पिताजी बाजा बजाने का काम करते थे और उसी से उनके घर का पालन पोषण होता था। अचानक ज्यादा तबीयत खराब होने के बाद एक दिन राहुल के पिता इस दुनियाँ से चल बसे। मानो जिंदगी ठहर सी गई हो। इस क्षति से पूरे परिवार को एक बड़ा धक्का लगा। इस हृदय गति चोट से संभलना पूरे परिवार के लिए बहुत ही मुश्किल कार्य था। मानो दुखों का पहाड़ गिर गया हो। राहुल घर का सबसे बड़ा बेटा था। अब सारी जिम्मेदारी राहुल के कंधों पर थी।

लेकिन उन्हें कंधों ने ना ही हार मानी और ना ही अपने पिता के सपनों को चूर होने दिया। उसने अपने गांव की ही बाजा पार्टी के साथ मिलकर ढोल बजाना सीख लिया। उसके संघर्ष ने उसे जीने की नई राह दिखाई आजकल राहुल दसवीं कक्षा में पढ़ता है और साथ में अपने हुनर से अपने परिवार का भरण पोषण भी कर रहा है।

सचमुच राहुल के संघर्ष को मेरा नमन है।


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