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Sreeparna Das

Inspirational

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Sreeparna Das

Inspirational

परिवार

परिवार

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परिवार एक शब्द जो सबकी स्वर से मिलती है एक प्यार जो सबकी मन में खिलती है एक विश्वास जो सबकी अंदर जागृत है एक कवच जो बुरे नजर से बचाता है एक पुराना पेड़ जो नई कलियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है एक ऐसा अक्षरों का मेल जिसे परिवार कहते है वाह वाह वाह !! तूम ये सब कैसे बोल देती हो हमेशा, मेरी दोस्त आशी ने कहा। तो चलिए मैडम हमारे घर की बात शेयर करते है। हाँ! चलो तो फिर, देर किस बात की । (चलते चलते).. मेरा परिवार, जहाँ खुशियों के साथ साथ दुनिया भर के दुःख को सहने की हिम्मत देती है। जहाँ गिरने पर खुद उठकर दौड़ने की ताकत देती है। हम सबका एक ही उसूल है, जो भी हो जाये हम एक दूसरे का साथ कभी नहीं छूटने देंगे। और आशी तुम तो जानती हो हम सब एक ही साथ रहते है। अरे में क्या पूरी स्कूल जानता है कि तुम्हारा घर कोई पार्लियामेंट से कम थोड़ी है भाई ।

हां ! ठीक है ,और दो बात बताती हूँ। पहले बात यह है कि घर में सबको अपना मत रखने का पूर्ण अधिकार है और ऐसा होता भी है। दूसरी चीज़ यह है कि यहाँ पर कोई किसी के खिलाफ खड़े नहीं होते है। जितना भी परेशानियां आये सब कुछ चर्चा किया जाता है। आशी ने कहा ,“कभी झगड़ा या जलन नहीं होता है एक दूसरे से”!!! हां , तुम्हारी बात सही है। जहाँ गलतफमी होती है, वहां से ही तो झगड़ा शुरू होता है। पर अटूट प्रेम और विश्वास के डोर ही काफी है इन सब के लिए। एक सच बोलूं?? आशी: हाँ जरूर। एक बार किसी बात को लेकर घर में हंगामा हुआ था। सब के चेहरे पर गुस्से की आग जल रही थी। गुस्से में घर छोड़ने की बातें चल रही थी। घर के बुजुर्ग भी उन लोगों को रोक भी नहीं रहे थे। उनका मानना था कि यह उनके द्वारा दी गई संस्कार ,शिष्टाचार, और प्रेम की परीक्षा है। हम और हमारी टोली तो ठहरे छोटे, बोल बोल के थक गए की मत जाओ, मत जाओ। कोई हमारी बात सुने तो सही। सोचो आशी जहाँ एक दिन की छुट्टी मिलने पर घर चलें आते थे, वही लोग घर छोड़ के जा रहे थे। एक, दो महीने बीत गए .. वह सब बातों को समझने लगे। धीरे धीरे एक दूसरे से चर्चा किये । सब कुछ सामने आया। बुजुर्गों को अपने पर पूरे विश्वास था। फिर सब एक दूसरे माफ़ी मांगने लगे। घर में थोड़ा रोना धोना शुरू हुआ। दूर रह के भी सब की दिल के बहुत करीब थे। नाच गाना, हर्ष और उल्लास से घर की आंगन फिर से खिल गये। जैसे शाम को पंछी अपनी को लौट आते है। आशी ने कहा, “मान गयी यार आप लोगों की भरोसे को। घर हो तो ऐसा ।


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