पिंजरा
पिंजरा
आज इंसान कुछ ज्यादा ही खुश दिख रहे हैं.. पिंजड़े में बंद तोते ने सजे धजे कपड़ों में लोगों को देखकर कहा।
तुम नहीं जानते इन्हें बहुत कुर्बानी देने के बाद आज ही आजादी मिली थी। आंदोलन करना पड़ा था तब इन्हें अपना घर मिला था...पिंजरे में बंद दूसरे तोते ने बताया।
क्या सोचने लगे... पहले को चुप देख दूसरे तोते ने पूछा।
सोच रहा था, इतनी कुर्बानी के बाद भी इन्हें आजादी का मतलब, घर का मतलब समझ आया क्या? जंगल, पहाड़ काट कर हमें बेघर कर दिया। जब अपने घर की तलाश में सड़क पर पशु आ जाएं तो उन्हें कैद कर कोसते हैं। ये नहीं सोचते कि उनके घर पर तो खुद इन्सानों ने कब्जा कर रखा है। इन्सानों ने पूरी धरती को पिंजरा ही तो बना दिया है। दूसरों को तकलीफ देने वाली ये कैसी आजादी पाई इन्सानों ने...देखना ऐसे ही हालात रहे तो एक दिन इंसान न घर के रहेंगे न घाट के...पिंजरे में बंद दोनों तोते इन्सानों को उनकी करतूत का आईना दिखा रहे थे।